इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (China’s Debt) : चीन के कर्ज में डूबे किर्गिस्तान का विदेशी कर्ज रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। किर्गिस्तान का यह हाल चीन के विकास के झांसे में आने की वजह से हुआ है। चीन ने बेल्ट रोड इनिशिएट या बीआरआई के नाम पर किर्गिस्तान को अपने झांसे में फंसा लिया है।
जिसके वजह से किर्गिस्तान पर 9.1 अरब डालर का कर्ज हो गया है। किर्गिस्तान की इस स्थिति में लाने का विशेष श्रेय चीन का है। इस पूरे कर्ज में 42 फीसद का कर्ज केवल चीन का है। चीन का किर्गिस्तान पर करीब 5.1 अरब डालर का कर्ज है।
किर्गिस्तान की सरकार को अब चिंता जताने लगी है। वर्ल्ड बैंक के आंकड़े यह बताते हैं कि किर्गिस्तान पर उसका भी 4 अरब डालर का कर्ज हो गया है। गौरतलब है कि चीन ने अपने कर्ज के जाल में फंसाकर श्रीलंका को दीवालिया बना दिया है। पाकिस्तान भी श्रीलंका की राह पर आगे बढ़ रहा है। पाकिस्तान के राजनेता से लेकर आर्थिक जानकार भी इस बात को कई बार कह चुके हैं। बांग्लादेश पर भी चीन का काफी कर्ज है। नेपाल भी चीन के कर्ज तले दबा हुआ है।
गत सप्ताह ही किर्गिस्तान के कैबिनेट मंत्री ने पार्लियामेंट में बताया था कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमें किसी भी तरह कर्ज उतारना है। शी चिनफिंग के राज में चीन ने अपनी कर्ज की नीति से कई देशों का हाल बेहाल कर दिया है। किर्गिस्तान को भी चीन के एक्सपोर्ट इंपोर्ट बैंक से अरबों का कर्ज मिला है। किर्गिस्तान को अब यह स्पष्ट हो गया है कि चीन की जिस नीति को वह पहले अपने लिए फायदे का सौदा समझता था असल में अब उसके नुकसान का सबब बन गई है।
किर्गिस्तान को अब इस बात का डर सताने लगा है कि वह चीन से लिए कर्ज चुका पाएगा या नहीं। रेडियो फ्री यूरोप के अनुसार अब किर्गिस्तान को चीन से लिए कर्ज को न चुका पाने पर संसाधनों को गिरवी रखने तक का डर सताने लगा है। यही वजह है कि किर्गिस्तान की चिंता बढ़ गई है। जैपरोव ने स्पष्ट रूप से बताया है कि पाकिस्तान और श्रीलंका के मामलों में उन्होंने देखा है कि कर्ज न चुका पाने की स्थिति में किस तरह से चीन उनके संसाधनों पर कब्जा कर लिया है।
उन्होंने यहां तक कहा है कि हम इसको चुकाने के लिए केवल भगवान के सहारे बैठकर नहीं रह सकते हैं। इसके लिए हम सभी को एकजुट होकर काम करना होगा ताकि हम अपनी आजादी को बचा सके। जानकारों का मानना है कि चीन के कर्ज को लेकर किर्गिस्तान की चिंता बेवजह नहीं है। चीन की नजरें उनके संसाधनों पर लगी है और उन्हें इसका रेड सिग्नल भी दिखाई दे रहा है।
चीन ने अपने बीआरआई प्रोजेक्ट की शुरूआत 2013 में की थी। इस प्रोजेक्ट में चीन का बड़ा निवेश है। भारत को भी उसने इस प्रोजेक्ट में शामिल होने का प्रलोभन दिया था, लेकिन भारत ने उसके प्रपोजल का ठुकरा दिया था। चीन के ग्रीन फाइनेंस एंड डेवलपमेंट सेंटर के अनुसार बीआरआई के तहत चीन ने अब तक 932 अरब डालर का कर्ज विभिन्न देशों को दिया है।
वर्ल्ड बैंक भी चीन की नीतियों के प्रति देशों को आगाह करता रहा है। लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अब इन सभी देशों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और चीन के झांसे में फंसे देश इससे बाहर निकलने के लिए बेताब है। लेकिन उन्हें रास्ता नहीं मिल रहा है।
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