इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
CJI Raman देश के प्रधान न्यायाधीश ने विधायिका पर कानूनों के प्रभाव की स्डडी न करने का आरोप लगाया है। जजों व वकीलों को संबोधित करते हुए सीजेआई रमण ने यह बात कही।
उन्होंने कहा, विधायिका यानी संसद व विधानसभाएं उसके द्वारा बनाए जाने वाले कानूनों के प्रभाव की न स्टडी करती हैं और न ही उसका वे आकलन करती हैं, यही कारण है कि ये कई बार बड़े मसले बन जाते हैं। नतीजा यह होता है कि इसके कारण न्यायपालिका पर भी मुकदमों का ज्यादा बोझ बढ़ जाता है।
CJI Raman किसी तरह की बाधा से हमारा न्याय देने का मिशन नहीं रूक सकता
सीजेआई ने कहा, क हमें यह जरूरत याद रखना चाहिए कि हमें चाहे जिस आलोचना या बाधा का सामना करना पड़े, हमारा न्याय देने का मिशन नहीं रूक सकता।
उन्होंने कहा, हमें न्यायपालिका को मजबूत करने व नागरिकों के अधिकारों की रक्षा का हमारा मार्च जारी रखना है। सीजेआई ने यह भी रेखांकित किया कि मौजूदा अदालतों का बगैर किसी खास बुनियादी ढांचे की स्थापना किए व्यावसायिक अदालतों के रूप में रिब्रांडिंग से लंबित मामलों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
CJI Raman लंबित मुकदमों की समस्या बहुआयामी
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मौजूदगी में संविधान दिवस समारोहों के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा कि लंबित मुकदमों की समस्या बहुआयामी है। उम्मीद है कि सरकार इस दो दिनी समारोह में इस समस्या के समाधान के लिए आए सुझावों पर विचार करेगी।
CJI Raman बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 9 हजार करोड़ की मंजूरी के लिए कानून मंत्री की सराहना की
सीजेआई ने सरकार द्वारा न्यायिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 9 हजार करोड़ की बड़ी राशि स्वीकृत करने के लिए केंद्रीय कानून मंत्री की सराहना की।
उन्होंने कहा, मैंने शुक्रवार को कहा था कि फंड कोई समस्या नहीं है। समस्या राज्यों द्वारा अनुदान नहीं देना है। इस कारण केंद्रीय फंड ज्यादातर अनुपयोगी पड़ा रहता है। इसलिए मैंने न्यायिक बुनियादी ढांचे के लिए स्पेशियल परपज व्हीकल के गठन का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कानून मंत्री रिजिजू से आग्रह किया कि वे इस प्रस्ताव को अंजाम तक पहुंचाएं।
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