India News (इंडिया न्यूज), Assam CM Himanta Biswa Sarma: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा अपने मुस्लिम विरोधी फैसले के लिए जाने जाते हैं। अब उन्होंने फिर ऐसा ही एक फैसला लिया है। जिसका असम के सभी मुस्लिम समुदायों पर तो असर नहीं पड़ेगा। लेकिन असम विधानसभा के मुस्लिम कर्मचारियों के लिए ये फैसला नागवार गुजरेगा। असम के मुस्लिम विधायकों को भी इससे दो चार होना पड़ सकता है। जब विधानसभा का सत्र चलेगा तो उन्हें जुमे की नमाज के लिए दो घंटे का ब्रेक नहीं मिलेगा।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने असम विधानसभा में शुक्रवार को दो घंटे के नमाज ब्रेक को रद्द करने की घोषणा की है। उन्होंने आगे कहा है कि इससे उत्पादकता बढ़ाने और औपनिवेशिक युग की प्रथाओं को खत्म करने की दिशा में एक बेहतर कदम बताया है।
ये औपनिवेशिक युग की प्रथा थी: सरमा
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को इस्लाम के सभी रूल रेगुलेशन एक प्रथा लगती है। इसलिए वो इसे एक-एक करके ख़त्म करने का काम कर रहे हैं। कुछ महीनों पहले असम में कई मदरसों को बंद कर दिया गया था। अब उन्होंने असम विधानसभा में शुक्रवार को जुमे के नमाज के लिए मिलने वाले 2 घंटे के ब्रेक को खत्म कर दिया है। इसपर उन्होंने कहा कि लंबे समय से चले आ रहे उस प्रावधान को खत्म कर दिया गया है। जिसके तहत मुस्लिम विधायकों और कर्मचारियों को शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए ब्रेक लेने की अनुमति देती थी।
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सीएम सरमा ने विधानसभा अध्यक्ष का जताया आभार
सीएम सरमा ने इस “ऐतिहासिक फैसले” का समर्थन करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी और विधायकों का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जुमा ब्रेक को खत्म करके, असम विधानसभा उन प्रथाओं पर विधायी उत्पादकता को प्राथमिकता दे रही है, जिन्हें वह पुरानी मानते हैं। इस प्रथा की शुरुआत मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला ने 1937 में की थी। सीएम ने इस बात पर जोर दिया कि विधानसभा को बिना किसी धार्मिक विचार के काम करना चाहिए। असम विधानसभा में नमाज़ के ब्रेक को खत्म करने का फैसला सभी विधानसभा सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया था। जिससे शुक्रवार को दोपहर 12:00 बजे से 2:00 बजे तक दो घंटे के ब्रेक को खत्म कर दिया गया है।
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