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देश के सबसे खूंखार कमांडो में कौन शामिल, जानिए कैसे होती है ट्रेनिंग और क्या है भर्ती प्रक्रिया?

India News (इंडिया न्यूज), Commandos of India: भारतीय युवाओं का सपना होता है कि वह एनएसजी या एसपीजी जैसी किसी सैन्य बटालियन में शामिल हो। हालांकि, इनका हिस्सा बनना काफी मुश्किल है। ये दोनों ही अपनी बहादुरी, कौशल और प्रशिक्षण आदि के लिए जाने जाते हैं। साथ ही इन्हें किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। ये भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे ताकतवर कमांडो में से हैं। दोनों ही भारत की विशेष सुरक्षा एजेंसियां ​​हैं, लेकिन इनके कार्य क्षेत्र और जिम्मेदारियां अलग-अलग हैं। आइए, आपको इन दोनों के अंतर बारे में बताते हैं…

कब हुआ एनएसजी और एसपीजी का गठन?

बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) का गठन 22 सितंबर 1986 को हुआ था। इस के गठन का मुख्य उद्देश्य देश में आतंकवाद विरोधी गतिविधियों को रोकना था। कमांडो इसे अपनी भाषा में नेवर से गिव अप भी कहते हैं। खासकर आतंकवाद से निपटने के लिए NSG का गठन किया गया था। जिसे ब्लैक कैट कमांडो के नाम से भी जाना जाता है। यह बल मुख्य रूप से आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने, बंधकों को बचाने के अभियान और विशेष अभियानों में लगा हुआ है। वहीं विशेष सुरक्षा समूह (SPG) का गठन 2 जून, 1988 को भारत की संसद के एक अधिनियम द्वारा किया गया था। SPG का मुख्य कार्य भारत के प्रधानमंत्री, उनके परिवार और अन्य VIP की सुरक्षा करना है। यह एक अत्यधिक विशिष्ट बल है, जो सबसे करीबी सुरक्षा प्रदान करता है। SPG कर्मियों का काम देश के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

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नहीं होती है इनमें सीधी भर्ती

दरअसल, NSG कमांडो की सीधी भर्ती नहीं की जाती है, बल्कि इनका चयन भारतीय सेना और अन्य सशस्त्र बलों जैसे कि सीआरपीएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ, सीआईएसएफ और अन्य बलों से किया जाता है। 50 प्रतिशत से अधिक कमांडो भारतीय सेना से हैं, जबकि बाकी अन्य सशस्त्र बलों से हैं। वहीं, एसपीजी में कोई सीधी भर्ती नहीं होती है। इसमें भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) से वरिष्ठ और कनिष्ठ अधिकारियों की भर्ती की जाती है। एसपीजी के जवान हर साल समूहों में बदलते हैं। कोई भी व्यक्ति एक साल से अधिक समय तक सेवा नहीं दे सकता है। वहीं एसपीजी कर्मियों को अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद उनकी मूल इकाई में वापस भेज दिया जाता है।

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कैसी होती है ट्रेनिंग?

बता दें कि, एसपीजी कमांडो की ट्रेनिंग बहुत गहन और विशिष्ट होती है। जिसमें शारीरिक फिटनेस, हथियारों को संभालने और सुरक्षा प्रोटोकॉल का व्यापक प्रशिक्षण दिया जाता है। इन कमांडो को वाहन सुरक्षा, एस्कॉर्ट ड्रिल और भीड़ प्रबंधन जैसी विभिन्न सुरक्षा तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इन्हें नजदीकी लड़ाई, स्नाइपर शॉट और बॉडीगार्डिंग का विशेष कौशल सिखाया जाता है। दूसरी ओर, एनएसजी कमांडो की ट्रेनिंग सबसे कठिन मानी जाती है, जिसमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें अत्याधुनिक हथियारों और तकनीकों के बारे में जानकारी दी जाती है। इसके साथ ही उन्हें जटिल और जोखिम भरे ऑपरेशन के लिए तैयार किया जाता है। उनके प्रशिक्षण में क्लोज क्वार्टर बैटल, स्नाइपर ट्रेनिंग और आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए विशेष ऑपरेशन शामिल हैं।

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Raunak Pandey

रौनक पांडे बिहार की माटी से निकलकर दिल्ली में पत्रकारिता को सीख और समझ रहे हैं. पिछले 1.5 साल से डिजिटल मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर सक्रिय हैं। अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय राजनीति पर लिखना पसंद है.

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