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Common University Entrance Test : जानें, कैसे CUET के जरिए देश की सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में मिलेगा दाखिला ?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : March 24, 2022, 3:30 pm IST

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Common University Entrance Test:
अब स्टूडेंटों को यूनिवर्सिटियों में दाखिला लेने के लिए भटकने की जरूरत नहीं। ना ही अलग-अलग एंट्रेंस एग्जाम देने की जरूरत है। क्योंकि अब देश की सभी 45 सेंट्रल यूनिवर्सिटी के अडंरग्रेजुएट कोर्स में दाखिला लेने के लिए सिर्फ एक ही कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) देना पड़ेगा। साथ ही इससे दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में 12वीं के अंकों पर आधारित कट-आफ की भूमिका भी समाप्त हो जाएगी। तो आइए जानते हैं सीयूईटी क्या। कैसे होगा सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में दाखिला। कैसे डीयू में दाखिला के लिए 12वीं के अंकों की भूमिका होगी समाप्त।

क्या है सीयूईटी? (What is CUET)

बता दें सीयूईटी को नई शिक्षा नीति के तहत लाया गया है, जो यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए एक ही टेस्ट की वकालत करती है। अब देश की सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में दाखिला के लिए स्टूडेंटों को कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) देना होगा। बता दें कि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) ने अभी हाल ही में प्रस्तावित सीयूईटी को लेकर पब्लिक नोटिस जारी कर दिया। अब सीयूईटी के तहत सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में एडमिशन का ये नियम 2022-23 एकेडमिक सेशन से ही लागू हो जाएगा। न केवल सेंट्रल यूनिवर्सिटीज बल्कि स्टेट, प्राइवेट और डीम्ड टु बी यूनिवर्सिटीज भी कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट को अपना सकती हैं।

क्यों जरूरी है सीयूईटी?

  • कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट यानि सीयूईटी। कहा जाता है कि पिछले कई वर्षों से इस बात के प्रयास जारी थे कि ढेरों एंट्रेंस टेस्ट के बजाय एक ही एंट्रेंस टेस्ट लेने की व्यवस्था की जाए, जिससे उच्च शिक्षा पाने के इच्छुक स्टूडेंटों पर बोझ कम हो। सरकार यूनिवर्सिटी के एडमिशन के लिए बोर्ड के नंबरों को इस्तेमाल करने के पक्ष में नहीं थी, क्योंकि देश के अलग-अलग बोर्ड में कॉपियों के मूल्यांकन में विविधता देखने को मिलती है।
  • कुछ बोर्ड मार्किंग में अन्य बोर्ड की तुलना में ज्यादा विनम्र होते हैं। इससे कुछ बोर्ड के छात्रों को 12वीं में ज्यादा नंबर मिलने की वजह से यूजी कोर्स में एडमिशन में अनुचित फायदा मिलता है। वहीं यूजीसी प्रमुख का कहना है कि कुछ टॉप यूनिवर्सिटीज के स्नातक कोर्सेज में दाखिले के लिए 100 पर्सेंट का कट-आफ हास्यास्पद है।
  • कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट देश के सभी छात्रों को एक समान अवसर दिया जाएगा। उम्मीद है कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) आने से स्टूडेंटों को अब 12वीं की परीक्षा में अधिक अंक लाने की कोशिश के बजाय ज्यादा जोर सीखने पर दे सकेंगे।

कौन करवाएग Common University Entrance Test?

  • इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई (मेन) मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट और असिस्टेंट प्रोफेसेर प्रवेश परीक्षा यूजीसी-नेट जैसे एंट्रेंस टेस्ट कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी, यानी एनटीए ही सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एंट्रेंस के लिए होने वाले सीयूईटी के टेस्ट भी कराएगी।
  • सीयूईटी परीक्षा के लिए फॉर्म अप्रैल के पहले सप्ताह से मिलने लगेंगे और इसके आवेदन की प्रक्रिया आनलाइन होगी। सीयूईटी की परीक्षा जुलाई के पहले हफ्ते में आयोजित की जाएगी। सीयूईटी कंप्यूटर आधारित मल्टिपल-चॉइस टेस्ट होगा। ये टेस्ट दो शिफ्ट और 13 भाषाओं में आयोजित होगा। हालांकि, अभी ये स्पष्ट नहीं है कि सीयूईटी की परीक्षा एक दिन में होगी या एक से ज्यादा दिन।
  • जेईई (मेन) की तरह सीयूईटी स्कोर के आधार पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए कोई कॉमन काउंसलिंग नहीं होगी। हर यूनिवर्सिटी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से सीयूईटी स्कोर के आधार पर तैयार मेरिट लिस्ट के अनुसार अपनी प्रवेश प्रक्रिया को परिभाषित करने के लिए स्वतंत्र होगी। इस मामले में यूजीसी का कहना है कि भविष्य में सीयूईटी के स्कोर के आधार पर सभी सेंट्रल यूनिवसिटीज के लिए कॉमन काउंसलिंग का विकल्प भी अपनाया जा सकता है।

कैसे होगा सीयूईटी एग्जाम?

यूजीसी अनुसार कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) 90 मिनट का कंप्यूटर आधारित मल्टिपल चॉइस टेस्ट होगा। इस टेस्ट में पूछे जाने वाले प्रश्न एनसीईआरटी किताबों पर आधारित होंगे। सीयूईटी में तीन हिस्से होंगे। सीयूईटी के टेस्ट 13 भाषाओं- हिंदी, मराठी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, उर्दू, असमिया, बंगाली, पंजाबी, उड़िया और अंग्रेजी में होंगे।

टेस्ट का पहला भाग: इसमें स्टूडेंट की पसंद वाली भाषा का टेस्ट होगा। इसमें रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन, शब्दावली पर प्रश्न, समानार्थक शब्द और विलोम शब्द जैसी चीजें शामिल होंगी। इसमें 13 भाषाओं का विकल्प होगा। इन 13 भाषाओं में से एक भाषा परीक्षा में अनिवार्य रूप से उपस्थित होने के अलावा, कैंडिडेट के पास 19 अन्य भाषाओं में से एक अतिरिक्त भाषा में एक और परीक्षा देने का विकल्प भी होगा। इन 19 भाषाओं में – फ्रेंच, स्पेनिश, जर्मन, नेपाली, फारसी, इतालवी, अरबी, सिंधी, कश्मीरी, कोंकणी, बोडो, डोगरी, मैथिली, मणिपुरी, संथाली, तिब्बती, जापानी, रूसी और चीनी शामिल हैं।

सीयूईटी का दूसरा भाग: उम्मीदवार के विषय संबंधी नॉलेज के टेस्ट पर केंद्रित होगा। इस हिस्से में कुल 27 विषयों को शामिल किया गया है, जिनमें से स्टूडेंट अपने नॉलेज के हिसाब से कम से कम एक और अधिकतम छह विषय चुन सकता है। सीयूईटी के दूसरे भाग में इन 27 विषयों को शामिल किया गया।

  • कौन से हैं 27 विषय: एकाउंटेंसी/ बुक कीपिंग, बायोलॉजी/ बायोलॉजिकल स्टडीज/ बायोटेक्नोलॉजी, बिजनेस स्टडीज, केमिस्ट्री, कंप्यूटर साइंस/ इंफॉर्मेटिक्स प्रैक्टिस, इकोनॉमिक्स/ बिजनेस इकोनॉमिक्स, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, एंटरप्रेन्योरशिप, जियोग्राफी, हिस्ट्री, होम साइंस, नॉलेज ट्रैडिशन – प्रैक्टिसेज इंडिया, लीगल स्टडीज, कॉमर्शियल आर्ट्स, मैथमेटिक्स, फिजिकल एजुकेशन, फिजिक्स, पॉलिटकल साइंस, साइकोलॉजी, सोशियोलॉजी, टीचिंग एप्टीट्यूड, एग्रीकल्चर, मास मीडिया/ मास कम्यूनिकेशन, एंथ्रोपोलॉजी, फाइन आर्ट्स / विजुअल आर्ट्स (स्क्लपचर/पेंटिंग), परफॉर्मिंग आर्ट्स और संस्कृत। किस कोर्स के लिए कैंडिडेट को कौन से विषय विशेष की परीक्षा देनी होगी, इस बात का फैसला प्रत्येक सेंट्रल यूनिवर्सिटी करेगी।

एंट्रेंस टेस्ट का तीसरा भाग: जनरल नॉलेज, करंट अफेयर्स, जनलर मेंटल एबिलिटी,न्यूमेरिकल एबिलिटी,क्वांटेटिव रीजनिंग (सिंपल एप्लीकेशन आॅफ बेसिक मैथमेटिकल कॉन्सेप्ट्स /अर्थमेटिक/ अलजेबरा ज्योमेट्री/मेंसुरेशन/स्टैट कक्षा 8 तक पढ़ाए जाने वाले), लॉजिकल और एनालिटिकल रीजनिंग पर आधारित एक सामान्य परीक्षा होगी। किसी कैंडिडेट को सामान्य परीक्षा तभी देनी होगी, अगर उसके कोर्स और चुनी हुई यूनिवर्सिटी के लिए ये जरूरी है।

Common University Entrance Test सेंट्रल यूनिवर्सिटीज तक क्यों अनिवार्य?  

अभी सीयूईटी को केवल सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के लिए अनिवार्य किया गया है, लेकिन सरकार ने प्राइवेट यूनिवर्सिटीज और डीम्ड यूनिवर्सिटीज के लिए भी सीयूईटी के जरिए एडमिशन कराने का रास्ता खुला रखा है।

देश में कितने अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट?

आल इंडिया सर्वे आफ हायर एजुकेशन मुताबिक, 2019-20 में देश में हायर एजुकेशन में 3.85 करोड़ छात्र भर्ती थे। इनमें 79.5 फीसदी या करीब 3.06 करोड़ छात्र अंडरग्रेजुएट थे और 11.2 फीसदी या 43.1 लाख पोस्टग्रेजुएट छात्र थे।

हर साल कितने स्टूडेंट करते हैं आवेदन?

देश में हर साल करीब एक करोड़ स्टूडेंट अंडरग्रेजुएट कोर्सेज के लिए आवेदन करते हैं। 2021 में अकेले सीबीएससी बोर्ड के ही 12.96 लाख छात्र 12वीं पास हुए थे।

क्या बदलेगा डीयू के लिए?

  • दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंडर-ग्रेजुएट कोर्सेज के लिए बेहद ऊंचे कट-आफ मार्क अब इतिहास बन जाएंगे। अब तक दिल्ली यूनिवर्सिटी समेत कई प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज के अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में दाखिले के लिए 12वीं के अंकों को आधार माना जाता था। सीयूईटी के आने से अब किसी छात्र के 12वीं, यानी उसके बोर्ड के अंकों की कॉलेज के किसी कोर्स में एडमिशन में कोई भूमिका नहीं रह जाएगी। अब कॉलेज में एडमिशन का आधार केवल सीयूईटी में मिला स्कोर होगा न कि 12वीं में मिले मार्क्स।
  • डीयू यानि दिल्ली यूनिवर्सिटी या किसी भी सेंट्रल यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेज 12वीं के अंकों का इस्तेमाल केवल उनके यहां एडमिशन के लिए मिनिमम एलिजबिलटी क्राइटेरिया के रूप में ही कर सकते हैं। यानी प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए मानदंड तय करने के लिए ही वे 12वीं के अंकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • स्किल आधारित कोर्सेज के लिए, जिनमें प्रैक्टिकल जरूरी होता है, जैसे- म्यूजिक, पेंटिंग, मूर्तिकला और थिएटर जैसे कोर्सेज में प्रवेश के लिए यूनिवर्सिटीज को सीयूईटी के साथ-साथ प्रैक्टिकल परीक्षा या इंटरव्यू कराने की अनुमति होगी। एमबीबीएस और इंजीनियरिंग जैसे प्रोफेशनल कोर्सेज के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में प्रवेश इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम जैसे जेईई (मेन) या नीट के जरिए होगा।

क्यों डीयू के एडमिशन में केरल स्टूडेंटों को मिलता था अधिक लाभ?

  • दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंडरग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन में केरल के छात्रों को सबसे ज्यादा फायदा मिलता है। 2021 में डीयू की 206 अनारक्षित सीटों में से 95 फीसदी पर केरल स्टूडेंट भर्ती हुए थे। डीयू में केरल के छात्रों के दबदबे की वजह केरल बोर्ड का मार्किंग सिस्टम है, जिसमें छात्र की 12वीं का फाइनल बोर्ड रिजल्ट उसकी 11वीं और 12वीं के प्रदर्शन पर आधारित होता है।
  • केरल बोर्ड 11वीं और 12वीं में 6 विषयों में छात्र द्वारा पाए अंकों के औसत के आधार पर 12वीं का रिजल्ट तैयार करता है। खास बात ये है कि इन दोनों कक्षाओं में छात्र को जिस विषय में ज्यादा नंबर मिलते हैं। उन्हें ही फाइनल बोर्ड रिजल्ट में शामिल किया जाता है। इसी वजह से 12वीं के अंकों के कट-आॅफ पर आधारित डीयू में केरल के छात्रों को ज्यादा एडमिशन मिल जाता है।

क्या सीयूईटी से यूनिवर्सिटीज की आरक्षण नीति पर असर पड़ेगा?

कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट से यूनिवर्सिटी की वर्तमान आरक्षण नीति पर असर नहीं पड़ेगा। यूनिवर्सिटीज सीयूईटी स्कोर के आधार पर जनरल और आरक्षित सीटों पर एडमिशन कर पाएंगी।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पीजी में दाखिला कैसे होगा?

अंडर-ग्रेजुएट कोर्सेज की तरह सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के लिए पोस्ट-गेजुएट (पीजी) कोर्सेज के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के जरिए एडमिशन करना अनिवार्य नहीं होगा। इसका मतलब है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटीज पीजी कोर्सेज में एडमिशन के लिए सीयूईटी को अपनाने, या अपनी खुद की एडमिशन प्रॉसेस को बनाए रखने के लिए स्वतंत्र हैं।

सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में कितने स्टूडेंट हैं?

2019-20 के डेटा मुताबिक, देश की 45 सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के कुल 7.20 लाख स्टूडेंटों में से 5.40 लाख अंडरग्रेजुएट छात्र और 1.24 लाख पीजी स्टूडेंट थे। वहीं स्टेट यूनिवर्सिटीज में 13.97 लाख अंडरग्रेजुएट और प्राइवेट स्टेट यूनिवर्सिटीज में 8.4 लाख अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट थे। देश में 2019-20 में हायर एजुकेशन के कुल 2.71 लाख स्टूडेंट थे, जिनमें 1.31 करोड़ पुरुष और 1.40 करोड़ महिलाएं थीं।

सीयूसीईटी व सीयूईटी में अंतर क्या?  

अब मोदी सरकार की ओर से लाया गया सीयूईटी नया विचार नहीं है। 2010 में ही यूपीए-2 के शासन में मनमोहन सिंह सरकार सेंट्रल यूनिवर्सिटीज कॉमन एंट्रेंस टेस्ट यानी सीयूसीईटी लेकर आई थी। कांग्रेस सरकार की सीयूसीईटी की योजना परवान नहीं चढ़ सकी, क्योंकि पिछले साल तक देश की केवल 14 सेंट्रल यूनिवर्सिटीज ने ही इस एंट्रेंस टेस्ट को अपनाया था। मोदी सरकार का सीयूईटी कांग्रेस सरकार के सीयूसीईटी का नया वर्जन है, लेकिन इन दोनों में बड़ा फर्क ये है कि अब देश की सभी 45 सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के लिए सीयूईटी को अपनाना अनिवार्य है।

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