अजीत मैंदोला, नई दिल्ली: कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत प्रभावशाली ढंग से की है। कांग्रेस कहीं ना कहीं आम जन का ध्यान यात्रा की तरफ खींचने मे सफल रही है। यात्रा को लेकर बहस और चर्चा भी होने लगी है। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि कांग्रेस यात्रा की शुरुआत मे बने माहौल को क्या आखिर तक खींच पायेगी। अगर कांग्रेस यात्रा से माहौल बनाने मे सफल रहती है तो कार्यकर्ताओं में नया जोश आ सकता।
इससे पार्टी को चुनावों में कितना लाभ मिलेगा इसकी पहली परीक्षा इसी साल दिसंबर में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों परिणामों से पता चलेगा।तब यह यात्रा अपने अंतिम चरण में होगी साथ ही इन दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम आ चुके होंगे। कांग्रेस का कहना भारत जोड़ो यात्रा 150 दिन चलेगी। इस हिसाब इस यात्रा के अगले साल फरवरी तक जाने के आसार है। इस यात्रा के बीच में ही यह पता चल पायेगा कि कांग्रेस का नया अध्य्क्ष कोन बनता है। नये अध्य्क्ष के लिए भी यात्रा को सफल बनाना बड़ी चुनौती होगी।
भारत जोड़ो यात्रा के शुरुआत में पार्टी पूरी तरह से कांग्रेस के झंडे के नीचे एक जुट दिखाई दे रही है। इस यात्रा में गौर करने वाली बात यह है कि इसकी कमान पुराने और अनुभवी नेताओं ने संभाली हुई। इस टीम में अधिकांश वह सदस्य है जिन्होंने 2004 में कांग्रेस की सत्ता वापसी मे अहम भूमिका निभाई थी। या यूं कहा जा सकता कि सोनिया गांधी की पुरानी टीम फिर से सक्रिय हो गई। मध्य्प्रदेश के पूर्व मुख्य्मंत्री दिग्ग्विजय सिंह, राजस्थान के मुख्यम्न्त्री अशोक गहलोत, जयराम रमेश,पी चिदमबरम,रमेश चेनिथला, अशोक च्व्हाण, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल जैसे नेता जिम्मेदारी संभाल रहे है।
दिग्विजय सिंह तो भारत यात्रा टीम के समन्वयक है। दिग्वजिय ने खुद 2017 में मध्य्प्रदेश में यात्रा निकाल पार्टी को सत्ता में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए कन्या कुमारी से यात्रा शुरु होने से पहले पार्टी ने इस बार हर फ्रंट पर पूरी तैयारी की हुई थी। हर राज्य से नेता वहाँ पहुंचे। व्यवस्थीत तरीके से यात्रा की शुरुआत कराई। नेताओं ने मीडिया से बातचीत में कोई कमी नही रखी हुई है। पार्टी के दोनों मुख्य्मंत्री गहलोत और बघेल राहुल के साथ पद यात्रा में साथ दिखाई देते।
बीजेपी की तरफ से यात्रा पर सवाल उठाने पर कांग्रेस जवाब देने का कोई मौका नही छोड़ती है। कांग्रेस इसे यात्रा की सफलता से जोड़ती है। यात्रा अभी शुरु के दिनों में केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे दक्षिण के राज्यों से गुजरेगी जहा पर उसे भारी समर्थन मिल सकता है। पार्टी की असली परीक्षा अक्टूबर आखिर में उत्तर भारत में प्रवेश करने पर होगी। इस यात्रा के दौरान पत्रकारों और नेताओं के बीच चर्चा इसी बात को लेकर ज्यादा होती है कि पार्टी की कमान कोन संभालेगा। अधिकृत रूप से तो हर नेता यही कहता है राहुल ही जिम्मेदारी संभालेंगे।
लेकिन कुछ नेता आफ द रिकार्ड भी यही कहते है राहुल ही बनेगे। राहुल अभी तक अध्य्क्ष बनने से इंकार करते रहे है, लेकिन शायद अब भारत जोड़ो यात्रा की सफलता के बाद वे फिर से कमान संभालने को तैयार हो जाएं। राजस्थान के मुख्य्मंत्री गहलोत बराबर यही कहते आ रहे है राहुल फिर से अध्य्क्ष बने।इस माह के आखिर में तय हो जायेगा राहुल बनते है या कोई और।150 दिन में यह यात्रा 12 राज्यों से होते हुए 3570 किमी की दूरी तय करेगी
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