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Congress in Punjab and UK Assembly Election 2022: राहुल का सिद्धू और रावत प्रेम भारी पड़ सकता है कांग्रेस को

India News Editor • LAST UPDATED : January 16, 2022, 6:55 pm IST

Congress in Punjab and UK Assembly Election 2022

अजीत मैंदोला, नई दिल्ली:
Congress in Punjab and UK Assembly Election 2022: कांग्रेस (Congress) के पूर्व अध्य्क्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को पंजाब में प्रदेश अध्य्क्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को और उत्तराखण्ड में हरीश रावत (Harish Rawat) को ज्यादा महत्व देना भारी पड़ सकता। इसके संकेत पंजाब में तो पहली सूची के जारी होने के बाद मिल गए हैं।

सन्देश चला गया की सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) की नहीं चली वह अपने भाई मनोहर सिंह (Manohar Singh) तक को टिकट नहीं दिलवा पाये। मनोहर अब निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। सिद्धू के हावी होने के सन्देश का यही मतलब निकाला जा रहा है कि जीते तो चन्नी का सीएम पद खतरे में पड़ेगा।

यह सन्देश किसी भी लिहाज से कांग्रेस के लिये ठीक नहीं माना जा रहा है। इस सन्देश से दलित वोट के अब बंटने के पूरे आसार हैं। कांग्रेस की सबसे ज्यादा उम्मीद दलित वोटों से ही है। पहली लिस्ट से साफ हो गया कि राहुल सिद्धू पर ही ज्यादा भरोसा कर रहे है। पंजाब चन्नी के डॉक्टर भाई को यह कह कर टिकट नहीं दिया गया कि एक परिवार से एक को टिकट मिलेगा। लेकिन उत्तराखण्ड में यह फामूर्ला शायद ही लागू हो पाए। बीजेपी से कांग्रेस में आये यशपाल आर्य (Yashpal Arya) और उनके बेटे को टिकट देना ही पड़ेगा। हरीश रावत अपने बेटे बेटी दोनों को राजनीति में स्थापित करने के लिये पूरी कोशिश मे हैं।

उत्तराखण्ड चुनाव कांग्रेस के लिये महत्वपूर्ण 

पंजाब और उत्तराखण्ड की एक जैसी स्थिति बनी हुई है। पंजाब में सिद्धू हावी हैं तो उत्तराखण्ड में हरीश रावत। दोनों की रणनीति एक ही जैसे भी हो चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री बनना है। इसलिये दोनों अपने अपने प्रदेशों में पार्टी में अपने विरोधियों की किसी भी स्तर तक खिलाफत करने से नहीं चूके। उत्तराखण्ड में तो यूं भी पिछले चुनाव में कांग्रेस के सभी दिग्गज रावत की नीतियों के चलते पार्टी छोड़कर बीजेपी में चले गए थे। रावत ने इस बार उन नेताओं की वापसी पर वीटो लगा दिया। जो बचे खुचे एक दो नेता रह गए उसमें किशोर उपाध्याय को साइड कर दिया गया।

यशपाल आर्य साइड है। ले दे कर हरीश रावत ही कांग्रेस में हैं। अगर कांग्रेस किन्ही कारणों से चुनाव हारती है तो फिर उत्तराखण्ड की स्थिति भी यूपी जैसे हो जायेगी। मतलब नेताओं की कमी। इसके बाद भी राहुल गांधी उत्तराखण्ड में इस बार बेलेंस नहीं बना पाए। रावत के हावी होने का खामियाजा पार्टी चुनाव में उठाना पड़ सकता है। लगता नहीं है कि हर फ्रंट में ताकतवर बीजेपी को रावत अकेले चुनौती दे पाएंगे। उत्तराखण्ड कांग्रेस के लिये बहुत महत्वपूर्ण चुनाव है।

अमरेंद्र सिंह की नजर कांग्रेस के नाराज नेताओं पर

पंजाब के हालात किसी से छिपे नहीं है। राहुल गांधी ने एक सिद्धू के चक्कर मे मजबूत समझे जा रहे राज्य को संकट में डाल दिया है। दलित सीएम बना जाति का कार्ड टिकट बंटवारे के बाद कमजोर पड़ सकता है। चन्नी के परिवार में फूट पड़ती है तो उसका लाभ विपक्ष उठाएगा। चन्नी के चचेरे भाई जसविंदर सिंह पहले ही बीजेपी में शामिल हो गए है। मनोहर के निर्दलीय लड़ना भी ठीक सन्देश नहीं माना जायेगा।

विपक्ष खास तौर पर पूर्व सीएम अमरेंद्र सिंह की नजर कांग्रेस के नाराज नेताओं में लगी है। पीएम की सुरक्षा में चूक का मामला जारी है। बीजेपी की एक ही कोशिश है कि पंजाब में किसी दल को बहुमत न मिल सके। कांग्रेस को किसी तरह से सत्ता से बाहर किया जाए। राहुल गांधी और उनके रणनीतिकार मौजूदा स्थिति को नहीं समझ पा रहे हैं। अभी सवाल सिद्धू और रावत का नहीं है बल्कि बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस को बचाने का है।

आपसी झगड़े से कांग्रेस को नुकसान

इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर आपसी खींचतान न हो तो दोनों राज्यों में कांग्रेस के लिये स्थिति अच्छी बनी थी। पंजाब में कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बना सही दलित कार्ड खेला था। चन्नी अपनी कार्यशैली से राज्य में असर भी डाल रहे थे। लेकिन प्रदेश अध्य्क्ष नवजोत सिंह सिद्धू लगातार चन्नी और सरकार को टारगेट कर माहौल बिगाड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ा।

मंत्री भी उनकी हरकतों से नाराज हैं। लेकिन आलाकमान कुछ कर नहीं पाया। आपसी झगड़े से कांग्रेस को नुकसान हो ही रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा मे चूक के मामले में विपक्ष को चन्नी सरकार पर हमले का नया मौका मिला। बीजेपी भावनात्मक मुद्दा बना कांग्रेस पर हमलावर है। चन्नी को एक साथ दो फ्रंट पर जूझना पड़ रहा।

स्थिति यह है कि सिद्धू और उनके समर्थक यही प्रचार कर रहे हैं मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव बाद में होगा। सिद्धू ने भी इसी तरह का बयान दे पार्टी को और संकट में डाल दिया था। अगर यह सन्देश चला गया कि जीतने पर चन्नी सीएम नहीं बनेंगे तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। क्योंकि कांग्रेस की सबसे बड़ी उम्मीद 32 प्रतिशत दलित वोटरों से।

अगर वह छिटका तो बाकी जातियों के पहले से बंटने के आसार हैं। बीजेपी पीएम सुरक्षा को मुद्दा बना हिन्दुओं को एक करने में पहले ही जुट गई है। जट सिख वोटों पर अकाली दल और अमरेंद्र सिह का दावा है। ऐसे में जातीय राजनीति के सहारे जीत की उम्मीद कर रही कांग्रेस संकट में घिर जाएगी।

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