अजीत मैंदोला, नई दिल्ली: कभी पार्टी के दिग्गज नेता रहे गुलाम नवी आजाद इन शुक्रवार को पार्टी छोड़ने के अपने इस्तीफे में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर अब तक सबसे बड़ा हमला बोल कांग्रेस और गांधी परिवार को बड़ी मुश्किल में डाल दिया।
आजाद ने ऐसे समय पर इस्तीफा और हमला बोला है। जब कांग्रेस के सामने अस्तित्व बचाने की चुनौती खड़ी है। आजाद के इस्तीफे में दूसरी सबसे बड़ी बात संजय गांधी का जिक्र है। उन्होंने इंदिरा गांधी के बाद संजय गांधी को सोनिया और राजीव गांधी के मुकाबले ज्यादा महत्व दिया है। इसके राजनितिक पंडित अपने तरीके से अलग अलग अर्थ निकाल रहे है।
संजय गांधी के सांसद पुत्र वरुण गांधी ने इन दिनों अपनी पार्टी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। समझा जा रहा देर सवेर बीजेपी से अलग होंगे। ऐसे मे राजनीति के जानकार मान रहे है कि क्या आने वाले दिनों में नाराज और पार्टी छोड़ने वाले कांग्रेसी क्या अलग से कोई मोर्चा बना सकते है। आजाद के आज के पत्र से इसके संकेत मिलते दिख भी रहे है।
कईं नेता दे चुके हैं इस्तीफ़ा
पिछले साल असंतुष्ठ 23 कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी की कार्यप्रणाली के खिलाफ मोर्चा खोला था। उनमे गुलाम नवी आजाद एक प्रमुख नेता थे। पार्टी ने कुछ असंतुष्ट नेताओं में सेंध लगा ग्रुप 23 को कमजोर करने की कोशिश की। एक बार के लिए लगा था कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक हो गया।
लेकिन जम्मू कश्मीर की कमेटियों के गठन में आजाद को ना कहने के बाद भी जगह देने से शांत दिख रही चिंगारी फिर भड़क गई। आजाद ने पहले कश्मीर की समिति से इस्तीफा दे पार्टी की छिछालेदर की। फिर दूसरे असंतुष्ट नेता आनंद शर्मा ने हिमाचल की कमेटी से इस्तीफा दे कांग्रेस आलकमान को परेशानी में डाला।
लेकिन आज आजाद ने कांग्रेस अध्य्क्ष सोनिया गांधी को इस्तिफें का पाँच पेज का जो पत्र लिखा उसने कांग्रेस को बड़े संकट में डाल दिया। सोनिया गांधी इस समय अपने परिवार के साथ देश से बाहर है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अध्य्क्ष बनने को तैयार नही हो रहे है।
रविवार को एक बार फिर अध्य्क्ष और चुनाव को लेकर कार्यसमिति चर्चा करने वाली है। इस बीच में आजाद का पत्र बड़े झटके से कम नही है। आजाद ने पार्टी की बर्बादी के लिए पूरी तरह से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को जिम्मेदार ठहराया है।
अन्य नेता भी दे सकते हैं इस्तीफ़ा
उन्होंने साफ कहा है कि जब से राहुल 2013 में पार्टी के उपाध्य्क्ष बने उन्होंने और उनकी टीम ने पार्टी बर्बाद कर दी। राहुल का अध्यादेश फाड़ना सबसे बड़ी भूल थी। उन्होंने इंदिरा,गांधी,सोनिया और संजय गांधी का भी अपने तरीके से जिक्र किया।
उन्होंने कहा है संजय गांधी के कहने पर यूथ कांग्रेस का महासचिव बन इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के खिलाफ जन आंदोलन चलाया जेल गये। संजय गांधी ने सबसे पहले उन्हे जम्मू कश्मीर युवक कांग्रेस की जिम्मेदारी संभाली। संजय गांधी की दुःखद मृत्यु के बाद युवक कांग्रेस का अध्य्क्ष बना।
उन्होंने एक तरह से यह बताने की कोशिश की कि संजय गांधी ही उन्हे राजनीति मे लाये। राजीव गांधी के बारे मे इतना भर जिक्र है कि उनके बाद राजीव युवक कांग्रेस के अध्य्क्ष बने। सोनिया गांधी के लिए उन्होंने कहा कि आप ने बुद्धिमान सलाहकार रख पार्टी चलाई। लेकिन राहुल ने उसके उलट वरिष्ठ नेताओं का अपमान किया।
झुंझलाहट मे अध्य्क्ष पद छोड़ वरिष्ठ नेताओं का अपमान किया। आजाद ने कांग्रेस की आज की सबसे खराब स्थिति के लिए राहुल और उनकी टीम को जिम्मेदार बता नाराजगी व्यक्त की है। आजाद के इस्तिफे के बाद पार्टी सकते मे है। आने वाले दिनों मे कुछ और नेताओं के भी इस्तिफे के आसार है। इसका पार्टी संगठन के चुनावो पर भी असर पड़ सकता है।
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