India News (इंडिया न्यूज), Wayanad Lok Sabha By-Election: वायनाड लोकसभा में उपचुनाव की घोषणा से पहले ही कांग्रेस पार्टी ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है। प्रियंका गांधी को पहली बार सदन पहुंचने में कोई दिक्कत न आए, इसके लिए पार्टी केरल से लेकर बंगाल तक अपनी रणनीति बना रही है। प्रियंका के लिए प्रचार करने के लिए पार्टी ने तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी से भी संपर्क किया है। कहा जा रहा है कि ममता ने भी इस पर सहमति दे दी है।
तृणमूल कांग्रेस से जुड़े ‘इंडिया वांट्स ममता दी’ के सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्टर भी शेयर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि ममता बनर्जी प्रियंका गांधी के लिए प्रचार करेंगी। हालांकि, अभी इसकी तारीख का ऐलान नहीं हुआ है।
ममता के प्रियंका के लिए प्रचार करने की खबरों को गुरुवार को बल मिला, जब कांग्रेस के दिग्गज नेता पी चिदंबरम ने कोलकाता में टीएमसी सुप्रीमो से मुलाकात की। चिदंबरम की मुलाकात के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के सुर भी बदल गए।
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इस साल अक्टूबर के आसपास वायनाड में उपचुनाव हो सकता है। 2024 में इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जीत दर्ज की थी।
क्यों पड़ी ममता बनर्जी की जरूरत? नीचे दिए पॉइंट में समझें
पिछले 4 चुनावों से कांग्रेस लगातार यहां से जीत रही है। पिछले 2 चुनावों में राहुल गांधी को यहां 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। राहुल के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने यहां से प्रियंका को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन इस मामले में नया मोड़ तब आया जब तृणमूल कांग्रेस के खेमे से खबर आई कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वायनाड में प्रियंका गांधी के लिए प्रचार करेंगी।
वो भी वायनाड में, जहां ममता बनर्जी की पार्टी का कोई जनाधार नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि वायनाड में कांग्रेस को ममता की जरूरत क्यों पड़ी? आइए इसे 3 पॉइंट में समझने की कोशिश करते हैं।
1. वायनाड का लेफ्ट फ्रंट से सीधा मुकाबला
वायनाड लोकसभा में कांग्रेस का लेफ्ट फ्रंट से सीधा मुकाबला है। 2024 के चुनाव में यहां से सीपीआई की एनी राजा उम्मीदवार थीं। उन्हें करीब 2.75 लाख वोट मिले थे। एनी दावा कर रही हैं कि राहुल ने चुनाव के समय से ही सीट छोड़ दी है। अब जबकि यहां उपचुनाव होने हैं, लेफ्ट गठबंधन और भी आक्रामक रणनीति तैयार कर रहा है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी इस सीट को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। ममता बनर्जी लेफ्ट के खिलाफ बड़ा चेहरा रही हैं। बंगाल में उन्होंने अकेले ही लेफ्ट को उखाड़ फेंका। ऐसे में अगर ममता वायनाड जाकर प्रियंका के पक्ष में प्रचार करती हैं तो पार्टी को इसका फायदा जरूर होगा।
2. राहुल की जीत का अंतर भी घटा
2019 में राहुल गांधी 4.31 लाख वोटों से जीते थे। उन्हें कुल पड़े वोटों का करीब 65 फीसदी वोट मिला था, लेकिन 2024 में उनके वोट प्रतिशत और संख्या में गिरावट आई। 2024 में उनकी जीत का अंतर घटकर 3.64 लाख रह गया। राहुल के वोट प्रतिशत में भी गिरावट आई। इस बार उन्हें सिर्फ 59 फीसदी वोट मिले हैं। वह भी तब जब एसडीपीआई जैसी पार्टियों ने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। उपचुनाव से पहले वाम मोर्चे ने भी यहां मोर्चा बनाना शुरू कर दिया है। विजयन सरकार ने वायनाड के कद्दावर आदिवासी नेता और मनंतावडी से विधायक ओआर केलू को मंत्रिमंडल में शामिल किया है। यह पहली बार है जब वायनाड से किसी को विजयन सरकार में मंत्री बनाया गया है।
3. वायनाड में भी बीजेपी मजबूती से उभरी
2019 में वायनाड में बीजेपी का कोई उम्मीदवार नहीं था। 2014 में पार्टी ने यहां से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार पीके रश्मिनाथ को 80 हजार वोट मिले थे।
10 साल बाद यानी 2024 में पार्टी के वोटों की संख्या में करीब 60 हजार का इजाफा हुआ है। 2024 में बीजेपी उम्मीदवार के. सुरेंद्रन को 1 लाख 40 हजार वोट मिले थे। प्रियंका गांधी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में बीजेपी भी उन्हें घेरने की पूरी कोशिश करेगी, जिससे यहां मुकाबला त्रिकोणीय भी हो सकता है।
इस पूरे मामले में सीपीएम का क्या रुख है?
- सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मोल्लाह टीवी-9 से बात करते हुए कहते हैं- किसी को प्रचार के लिए लाना पार्टी का निजी मामला है, लेकिन ममता बनर्जी को वायनाड ले जाने से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा।
- मोल्लाह के मुताबिक ममता बनर्जी के बयान पर भरोसा नहीं है। वह सुबह कुछ, दोपहर में कुछ और शाम को कुछ और कहती हैं। कांग्रेस को सोचना चाहिए कि उसे ऐसे लोगों की क्या जरूरत है?
- मोल्लाह आगे कहते हैं- बंगाल में अभी भी कांग्रेस के साथ हमारा गठबंधन है और यह गठबंधन मजबूत है। आगे क्या होगा, यह तो वक्त ही बताएगा। केरल में ममता बनर्जी का ज्यादा प्रभाव नहीं है। वहां हमारा कैडर काफी मजबूत है।
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वायनाड लोकसभा का जातिगत समीकरण
- वायनाड लोकसभा क्षेत्र 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया। इस लोकसभा में कुल 7 विधानसभा सीटें हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक इस लोकसभा में 15 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। 2024 के चुनाव में यहां 10 लाख से ज्यादा वोट पड़े।
- अगर जाति आधारित समीकरण की बात करें तो वायनाड लोकसभा में करीब 41 फीसदी आबादी मुस्लिम समुदाय की है। यहां ईसाई समुदाय की आबादी 13.1 फीसदी है। वायनाड में 7 फीसदी दलित और 9 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं।
- ये सभी आंकड़े सर्वे एजेंसी चाणक्य डॉट कॉम के हैं। 2009 में इस सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस के एमआई शानवास ने करीब डेढ़ लाख वोटों से जीत दर्ज की थी।
- 2014 में भी शानवास ने यहां से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2019 में कांग्रेस ने वायनाड से राहुल गांधी को मैदान में उतारा। राहुल ने इस सीट से सीपीआई के पीपी सुनीर को 4.5 लाख वोटों के बड़े अंतर से हराया। राहुल 2024 में भी इस सीट से जीतेंगे।
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