Congress President Election: राजनीति में जो होता है वह दिखता नहीं है, और जो दिखता है वह होता नहीं है। ठीक इसी प्रकार की कहानी कुछ कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव की है। अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे ने नामांकन तो भर दिया है, लेकिन इसमें एक नेता की जीत लगभग तय मानी जा रही है। हालांकि यह एक चुनाव जैसा है लेकिन यह चुनाव ना होकर केवल एक चयन है।

प्रदीप भंडारी ने इसका विश्लेषण किया और बताया कि दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ के पीछे की पूरी कहानी क्या है? प्रदीप भंडारी ने बताया कि सोनिया गांधी जब अध्यक्ष पद के लिए चयन कर रही थी, तो उस प्रक्रिया के 3 स्तंभ थे। सोनिया गांधी चाहती थी कि अध्यक्ष वही हो जो उनका वफादार हो और राहुल गांधी को सर्वोच्च नेता माने और उस व्यक्ति का पैन इंडिया राजनीतिक अस्तित्व ना हो।

गहलोत को मंजूर नहीं था पायलट का सीएम बनना

अब इस दौड़ में शुरुआत से ही दो नाम आगे चल रहे थे, वह अशोक गहलोत और मल्लिकार्जुन खड़गे थे। जब अशोक गहलोत की मैडम से बात हुई, तो गहलोत तैयार हो गए लेकिन फिर उन्होंने देखा कि अजय माकन के जरिए उन्हें मुख्यमंत्री से हटाकर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की योजना चल रही है और गहलोत इसे हरगिज़ नहीं चाहते थे।

पायलट को सीएम बनाने का अभी नहीं समय

प्रदीप भंडारी ने बताया कि इसके बाद विधायकों ने शक्ति प्रदर्शन किया और सोनिया गांधी नाराज हो गईं और समझ गईं कि अगर राजस्थान में सरकार बनानी है तो सचिन पायलट को सीएम बनाने का अभी समय नहीं है। हालांकि पूरे घटनाक्रम से सोनिया गांधी आहत थीं और मुकुल वासनिक और तमाम नेताओं ने बोला कि आप गहलोत से संवाद कीजिए।

उन्होंने खुलासा करते हुए बताया कि जब अशोक गहलोत संवाद करने के लिए सोनिया गांधी के पास पहुंचे, उसी दौरान दिग्विजय सिंह ने बातों-बातों में ही राहुल गांधी से पूछ लिया कि क्या वह अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ सकते हैं? फिर दिग्विजय सिंह को भी हरी झंडी मिल गई।

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