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देश गगनयान के साथ अंतरिक्ष में इतिहास रचेगा, 10 हजार करोड़ का आएगा खर्च

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Country With Gaganyaan) : देश गगनयान के साथ अंतरिक्ष में इतिहास रचने जा रहा है। गगनयान में कुल 10 हजार करोड़ रुपये के खर्च आएंगे। चंद्रयान, मंगलयान के बाद अब बारी गगनयान की बारी है। सरकार अगले वर्ष अंतरिक्ष में गगनयान भेजने की तैयारी कर रही है। इस मिशन के सफल होने पर भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष में इंसान को भेजने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।

देश अगले वर्ष अंतरिक्ष में इंसानों को भेजेगा

भारत जल्द ही अंतरिक्ष में एक बड़े मिशन की तैयारी कर रहा है। सरकार 2023 में अपने महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी लगी हुई है। इसमें इंसानों को भी अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। हाल ही में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया था कि भारत अगले वर्ष तक इंसानों को अंतरिक्ष में भेजेगा। इस संबंध में इस वर्ष के आखिर तक दो परीक्षण किए जाएंगे।

पहला परीक्षण सिर्फ टेस्टिंग होगा इसमें मानवरहित यान को भेजा जाएगा, जबकि दूसरी बार में एक महिला रोबोट (अंतरिक्ष यात्री) को भेजा जाएगा। ट्रायल के परिणाम को देखते हुए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजे जाने पर अंतिम फैसला किया जाएगा।

मिशन के लिए तैयार किए गए है अलग-अलग टेस्ट प्लान

मिशन के लिए अलग-अलग टेस्ट प्लान तैयार किए गए है। इस मिशन में एचएलवीएम 3 का उपयोग किया जाएगा। एचएलवीएम3, जीएसएलवीएम के 3 जैसा ही है, लेकिन इसमें व्हीकल के ऊपरी भाग में इमरजेंसी क्रू एस्केप सिस्टम तैयार किया गया है। इसलिए इसका नाम जीएसएलवी मार्क की जगह एचएलवीएम3 रखा गया है। कू्र एस्केप सिस्टम के ठीक नीचे ओएम यानी आर्बिटल माड्यूल होगा।

इस आर्बिटल माड्यूल में के दो भाग होंगे, जिसके ऊपरी भाग में कू्र माड्यूल और निचले भाग में सर्विस माड्यूल होगा। कू्र माड्यूल में अंतरिक्ष यात्री होंगे। इस मिशन के लिए अलग-अलग टेस्ट भी प्लान किए गए हैं। इसमें इंटीग्रेटेड एयर ड्राप टेस्ट, टेस्ट व्हीकल मिशंस, पैड अबार्ट टेस्ट, मानवरहित फ्लाइट आदि शामिल हैं। इन सबके बाद आखिर में मानव मिशन को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसके लिए इसरो ने डीआरडीओ की मदद से भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक विशेष सूट तैयार किया है।

इस मिशन में 10 हजार करोड़ का आएगा खर्च

इस मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को लालकिले से की थी। मिशन पर तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। भारतीय एस्ट्रोनाट्स करीब सात दिन तक पृथ्वी के लोअर आर्बिट का चक्कर लगाएंगे। इनकी ट्रेनिंग के लिए इसरो ने रूस की अंतरिक्ष एजेंसी ग्लावकास्मोस से समझौता किया है।

गगनयान मिशन का मकसद एक इंडियन लांच व्हीकल पर इंसानों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने की योजना है और उन्हें वापस सुरक्षित पृथ्वी पर लाना है। इस तरह देश स्पेस सेक्टर में अपनी क्षमता को प्रदर्शित करना चाहता है। देश के तीन बड़े संस्थान इसरो, डीआरडीओ और हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड मिशन से जुड़ी जिम्मेदारियां पूरी करने में जुटे हैं। अगले साल तक मिशन लांच होने की उम्मीद की जा रही है।

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Umesh Kumar Sharma

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