इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Court Cases Now) : अदालतें अब मामलों के निपटारे को अधिक महत्व देने लगी है। उक्त बातें मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने बार काउंसिल आॅफ इंडिया की ओर से शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम को संबोधन के दौरान कही। यह कार्यक्रम मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित के सम्मान में आयोजित किया गया था।
इस दौरान सीजेआई यूयू ललित ने कहा कि मैं लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने की पूरी कोशिश करूंगा। मैंने कार्यभार ग्रहण करने से पहले के समय की तुलना में मामलों को सूचीबद्ध किया है। पिछले चार दिनों में मेरे सचिव ने मेरे सामने आंकड़े रखे हैं। उन्होंने कहा कि गत चार दिनों में अदालत ने 1,293 के भ्रामक मामलों का निपटारा कर चुका है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उनके महासचिव ने गत चार दिनों का एक आंकड़ा पेश किया है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1,293 भ्रामक मामले और 440 स्थानांतरण के मामलों का निपटारा किया है। पिछले दो दिनों में 106 नियमित मामलों का भी फैसला कर दिया गया है। हम नियमित मामलों को निपटाने के लिए ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। सीजेआई ने बार काउंसिल के कार्यक्रम के दौरान यह भी भरोसा दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट मामले को तेजी से निपटाने के लिए हर संभव कोशिश करेगा। लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश की जा रही है।
देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस यूयू ललित ने 27 अगस्त को शपथ ली थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई थी। यह कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुआ था। न्यायाधीश ललित भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश हैं। शपथग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य केंद्रीय मंत्री शामिल हुए थे।
न्यायाधीश यूयू ललित सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। तीन तलाक को असंवैधानिक करार देने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के भी सदस्य थे। न्यायाधीश ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने त्रावणकोर के तत्कालीन शाही परिवार को केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रबंधन करने का अधिकार दिया था। यह सबसे अमीर मंदिरों में से एक है।
न्यायाधीश ललित की पीठ ने ही स्किन टू स्किन टच पर फैसला दिया था। इस फैसले में माना गया था कि किसी बच्चे के शरीर के यौन अंगों को छूना या यौन इरादे से शारीरिक संपर्क से जुड़ा कृत्य पॉक्सो अधिनियम की धारा-7 के तहत यौन हमला ही माना जाएगा। पॉक्सो अधिनियम के तहत दो मामलों में बॉम्बे हाईकोर्ट के विवादास्पद फैसले को खारिज करते हुए न्यायाधीश ललित की पीठ ने कहा था कि हाईकोर्ट का यह मानना गलती था कि चूंकि कोई प्रत्यक्ष स्किन टू स्किन संपर्क नहीं था इसलिए यौन अपराध नहीं है।
अधिनियम की धारा-13 बी (2) के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए निर्धारित छह महीने की प्रतीक्षा अवधि अनिवार्य नहीं है। हाल ही में न्यायाधीश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को अदालत की अवमानना के आरोप में चार महीने के जेल और 2000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी।
ये भी पढ़े : सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की याचिका
ये भी पढ़े : 69 दिन बाद जेल से बाहर आएंगी तीस्ता सीतलवाड़, सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
Neha Sharma: बॉलीवुड फिल्मों में हिट होने के लिए हीरोइनों का फिट रहना बहुत जरूरी…
India News (इंडिया न्यूज),Delhi Crime News: दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में वर्दीधारी सिपाही की हत्या…
India News (इंडिया न्यूज), Bihar Bypolls Result 2024: बिहार सरकार के मंत्री और इमामगंज विधानसभा…
India News(इंडिया न्यूज़),UP By-Election Result 2024: उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर 23 नवंबर…
India News (इंडिया न्यूज), Himachal TCP Rates: हिमाचल प्रदेश में घर और व्यावसायिक भवन बनाना…
Maa Kali: 6 राशियों—मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला और मकर—के जातकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव…