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हिंदू मानते हैं जिसे अपनी माता, जानिए कैसे हो रही गायों की मौत? चौंकाने वाले आंकड़े आए सामने

Raunak Pandey • LAST UPDATED : October 13, 2024, 9:57 am IST

India News (इंडिया न्यूज), Cows Death: सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म को मानने वाले लोग गाय को अपनी माता का दर्जा देते हैं। लेकिन हर साल हजारों गायों की मौत हो जाती है। जिसको लेकर आंकड़े आए हैं। दरअसल, भारत में प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है। यह समस्या न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि पशुओं, खासकर गायों के लिए भी जानलेवा साबित हो रही है। हर साल हजारों गायें प्लास्टिक निगलने की वजह से अपनी जान गंवा देती हैं। वहीं यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे कोई भी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और इस वजह से बड़ी संख्या में गायें मर रही हैं।

क्यों जानलेवा बन रहा है प्लास्टिक?

  • पेट में जमा होना: गाय जब प्लास्टिक खाती हैं तो यह उनके पेट में जमा हो जाता है। यह प्लास्टिक उनके पाचन तंत्र में बाधा डालता है और भोजन को ठीक से पचने नहीं देता।
  • बाधा: प्लास्टिक के टुकड़े गाय के आंतों में फंस जाते हैं और पाचन तंत्र को पूरी तरह से अवरुद्ध कर देते हैं।
  • विषाक्त पदार्थ: प्लास्टिक में कई तरह के विषैले रसायन होते हैं, जो गायों के शरीर में जमा हो जाते हैं। ये रसायन विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं और कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • भूख न लगना: पेट में प्लास्टिक के कारण गायों को भूख कम लगती है और वे कम खाती हैं। इससे कुपोषण और कमजोरी होती है।

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हर साल प्लास्टिक खाने से कितनी गायें मरती हैं?

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल 500 बिलियन प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल किया जाता है। प्लास्टिक पॉलिथीन खाने से गायों की मौत का आंकड़ा सबसे ज्यादा है। कई अध्ययनों से पता चला है कि भारत में हर साल हजारों गायें प्लास्टिक निगलने की वजह से मरती हैं। हालांकि, सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि कई मौतें रिपोर्ट ही नहीं की जाती हैं। लेकिन यह तय है कि यह समस्या बहुत बड़ी है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है। इस सूची में कई राज्यों के नाम शामिल हैं। लेकिन राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की हालत सबसे खराब है। इंडिया टुडे की 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक कचरा खाने की वजह से यहां 1000 जानवरों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा देश के दूसरे शहरों में भी यह एक गंभीर समस्या है।

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