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जोशीमठ में लगातार बढ़ रही घरों में दरारें, भू-धंसाव की चपेट में 849 इमारतें, जानें क्या कर रही प्रशासन

Joshimath Sinking Update: उत्तराखंड के जोशीमठ के हालात दिन ब दिन खराब होते हुए नजर आ रहे हैं। घरों व इमारतों में दरार आने का सिलसिला लगातार जारी है। जिसके चलते वहां के लोगों का बुरा हाल है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक, जोशीमठ में जनवरी के पहले हफ्ते से भूमि धंसने की वजह से 280 से ज्यादा इमारतों में दरार आ गई है। वहीं मंगलवार को ये संख्या 849 हो गई है।

चमोली जिला प्रशासन ने मंगलवार को बुलेटिन जारी कर बताया कि इमारतों की संख्या 288 से बढ़कर 849 हो गई है। राज्य आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने इसे लेकर जानकारी देते हुए कहा है कि जोशीमठ में भू-धंसाव के विभिन्न पहलुओं पर केंद्र के विभिन्न तकनीकी संस्थानों ने अध्ययन पूरा करने के लिए एक समय सीमा तय की है।

तीन सप्ताह में देनी होगी अंतिम रिपोर्ट

राज्य आपदा प्रबंधन सचिव ने इसे लेकर कहा है कि “इसमें केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान यानी कि CBRI के 10 वैज्ञानिकों की टीम को तीन हफ्ते दिए गए हैं। राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के 10 वैज्ञानिकों की टीम के लिए प्रारंभिक रिपोर्ट के लिए दो सप्ताह और अंतिम रिपोर्ट के लिए तीन सप्ताह दिए गए हैं। वहीं, वाडिया इंस्टीट्यूट फॉर हिमालयन जियोलॉजी के सात वैज्ञानिकों की एक टीम को तीन हफ्ते दिए गए हैं।”

बढ़ती दरारों ने लोगों का जीना किया दुश्वार

एक स्थानीय निवासी ने घरों में पड़ती दरारों को लेकर कहा “स्थिति दिन ब दिन खराब होती जा रही है। अगर मेरे घर में दरारें और चौड़ी होती हैं, तो हमारे पास शहर छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।” जोशीमठ के घरों और इमारतों में लगातार बढ़ती दरारों ने लोगों को डर के साए में जीने के लिए मजबूर कर दिया है। घरों और होटलों के अलावा भू-धंसाव से सरकारी स्वामित्व वाली संरचनाएं भी प्रभावित हुई हैं।

भू-धंसाव से तहसील भवन भी प्रभावित

अधिकारियों के मुताबिक, CBRI ने लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन को भी असुरक्षित घोषित किया गया है। जिसे आज बुधवार, 18 जनवरी को गिराया जाएगा। वहीं तहसील भवन के ऊपरी और निचले हिस्से को भी काफी ज्यादा प्रभावित किया है। जिस वजह से यहां काम करने के लिए आने वाले लोगों में डर की स्थिति उत्पन्न हो गई है। बता दें कि प्रशासन ने 83 क्षेत्रों में निवासियों के लिए 615 कमरों को अस्थायी राहत शिविरों के तौर पर चिन्हित किया है। इन शिविरों में करीब 2,190 लोगों को रखा जाएगा।

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Akanksha Gupta

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