India News (इंडिया न्यूज), CV Ananda Bose: पश्चिम बंगाल में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच कड़वाहट कम होने का नाम ही ले रहा है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने रविवार (14 जुलाई) को इस आरोप को खारिज कर दिया कि राज्य विधानसभा द्वारा पारित आठ विधेयक राजभवन में लंबित हैं। बोस ने कहा कि आठ विधेयकों में से छह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के विचारार्थ सुरक्षित रखे गए हैं, जबकि एक अन्य न्यायालय में विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि आठवें विधेयक के लिए राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि राजभवन नहीं आया, जबकि उसे कुछ स्पष्टीकरण की आवश्यकता होने के कारण बुलाया गया था। बोस ने केरल से पीटीआई को बताया कि आज की एक खबर ने मेरा ध्यान खींचा है कि बंगाल सरकार ने आठ लंबित विधेयकों को लेकर राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
सरकार के आरोपों को राज्यपाल ने नकारा
बता दें कि, शुक्रवार को ममता बनर्जी सरकार ने बोस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर आठ विधेयकों पर हस्ताक्षर न करने का कोई कारण बताए बिना उन पर रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार द्वारा की गई/की जाने वाली कार्रवाई की रिपोर्ट भारत के संविधान के अनुच्छेद 167 के अनुसार की जा सकती है। दरअसल, अनुच्छेद 167 राज्यपाल के प्रति मुख्यमंत्री के कर्तव्यों को परिभाषित करता है। बोस ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार तथ्यों की पुष्टि किए बिना अदालत का रुख क्यों कर रही है।
राजभवन में अटके हैं 8 फाइल
राजभवन के एक अधिकारी के अनुसार, राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबंधित 2022 के छह संशोधन विधेयक भारत के राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित थे। अधिकारी ने बताया कि कुलपतियों के चयन से संबंधित पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 न्यायालय में विचाराधीन है।अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल नगर एवं ग्राम (योजना एवं विकास) (संशोधन) विधेयक, 2023 के लिए राज्य सरकार को प्रमुख सचिव को राजभवन भेजने के लिए कहा गया था, क्योंकि कुछ महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण की आवश्यकता थी। सरकार ने अभी तक इसका जवाब नहीं दिया है।