दिल्ली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स साइबर हमले का निशाना बना है इस संस्थान का सर्वर हैक होने से यहां के स्टाफ और मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है, बीते हफ्ते एम्स का मेन सर्वर डाउन हो गया था। इसके बाद से ही यहां ऑनलाइन काम ठप हो गए जांच अधिकारी इसके पीछे विदेशी और आतंकी साजिश होने की आशंका जताई जा रही है।
अगर ये सच साबित होता है तो देश की साइबर सुरक्षा में सेंध से इनकार नहीं किया जा सकता और ये बहुत ही गंभीर मामला है क्योंकि इस संस्थान में आम जनता से लेकर देश के हाई प्रोफाइल लोगों का भी इलाज होता है।
ये पहला हमला नही
खतरे वाली बात ये है कि देश के मेडिकल संस्थानों पर ये पहला हमला नहीं है इस महीने की शुरुआत में ही ऐसा ही हमला बिहार के किशनगंज एमजीएम मेडिकल कॉलेज और माता गुजरी यूनिवर्सिटी के सर्वर पर भी हो चुका है इस हमले में यहां से डाटा चोरी हुआ था और हैकरों ने क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर रकम की मांग की गई थी।
साइबर अटैक और दिल्ली-बिहार कनेक्शन
दिल्ली एम्स में पहुंचे मरीजों में उस वक्त हलचल मच गई जब बुधवार 23 नवंबर को सुबह 7 बजे अचानक से कंप्यूटर से पर्चियां बनना बंद हो गई हैरान-परेशान मरीज इधर- उधर घूमते रहे तो स्टाफ भी परेशान रहा स्टाफ ने मरीजों को बताया कि सर्वर डाउन है इसकी सूचना एनआईसी (NIC) को दी गई शुरुआती जांच में एनआईसी ने सर्वर पर रैंसमवेयर वायरस अटैक होने की आशंका जताई थी तब से अब- तक एम्स में सारा काम मैन्युअली किया जा रहा है सर्वर को ठीक किए जाने की पुरजोर कोशिशें की जा रही है, लेकिन अभी तक ये सही नहीं हुआ है।
मरीजो के डेटा चोरी होने का डर
एम्स के अधिकारियों को सर्वर से करोड़ों मरीजों के डेटा चोरी होने का डर सता रहा क्योंकि इसमें देश के अहम लोगों, सांसदों, मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों, न्यायाधीशों और बड़े अधिकारियों का डेटा भी मौजूद है,
एम्स सर्वर पर हुए इस हमले की जांच में भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल, गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस लगी है एम्स के सुरक्षा अधिकारी की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस यूनिट ने जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद का केस भी दर्ज कर लिया है।