India News (इंडिया न्यूज़), Dabholkar Murder: नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड मामले में बहस अभी भी जारी है। इस संदर्भ में शनिवार को बचाव पक्ष ने विशेष अदालत को बताया कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम लागू करते समय उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
साल 2013 के हत्या मामले में अंतिम बहस के दौरान बचाव पक्ष के वकील वीरेंद्र इचलकर्णजिकर ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पीपी जाधव के समक्ष अपनी दलीलें पेश कीं। वकील वीरेंद्र ने अदालत को बताया कि सीबीआई ने दाभोलकर की गोली मारकर हत्या के मामले में कर्नाटक में दर्ज आरोपियों में से एक शूटर के न्यायेतर कबूलनामे पर भरोसा किया।वकील ने आगे कहा कि, ‘आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए था, लेकिन पुलिस को पता था कि अगर उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया तो वे बेनकाब हो जाएंगे।’
अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने क्या कहा?
अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने यह भी कहा कि, अभियोजन पक्ष ने कर्नाटक के संबंधित आईपीएस अधिकारी को मामले में गवाह के रूप में नहीं बुलाया, जिन्होंने उक्त बयान दर्ज किया था। उन्होंने कहा कि, ‘मामले में यूएपीए लागू करने की मंजूरी देते समय किसी उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। कानून कहता है कि अनुमोदन सचिव द्वारा दिया जाना चाहिए लेकिन अनुमोदन उप सचिव से लिया गया।
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