India News (इंडिया न्यूज़), Delhi (Amendment) Bill 2023: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 लोकसभा में पारित होने के बाद कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने कहा हम I.N.D.I.A गठबंधन के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के डर को समझ सकते हैं…वह विधेयक के बजाय केवल राजनीति के बारे में बोल रहे थे। वह I.N.D.I.A द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब नहीं दे रहे थे। गठबंधन सहयोगियों ने वास्तव में संघीय राजनीति और लोकतांत्रिक संस्थानों के बारे में पूछा था जिसके द्वारा वह दिल्ली सरकार की सत्ता संभाल रहे हैं। उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, हम उनके जवाब को लेकर आश्वस्त नहीं थे। तो, सभी I.N.D.I.A. गठबंधन ने लोकसभा से वॉकआउट किया।
भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा, “विपक्ष शर्मिंदा था…उनमें वोट देने की हिम्मत नहीं थी इसलिए उन्होंने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने 9 विधेयकों पर चर्चा नहीं की लेकिन वे अपने गठबंधन को बचाने के लिए इस विधेयक पर चर्चा करने आए। उन्होंने इस विधेयक का विरोध नहीं किया लेकिन वॉक-आउट किया। कांग्रेस ने अघोषित रूप से सरकार का समर्थन किया और मतदान में भाग नहीं लिया। यदि आप बाहर निकलते हैं, तो इसका मतलब है कि आप विधेयक का समर्थन करते हैं। अन्यथा, आपने इसके विरुद्ध मतदान किया होता।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि I.N.D.I.A के गठबंधन के बाद भी पीएम मोदी पूर्ण बहुमत के साथ फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे… सभी बिल महत्वपूर्ण हैं और आपको सदन में उपस्थित रहना चाहिए था। इस (दिल्ली सेवा विधेयक) विधेयक के पारित होने के बाद गठबंधन टूट जाएगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 की चर्चा पर लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संदर्भित करता है जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है। शाह ने कहा,”पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी, राजेंद्र प्रसाद और डॉ. अंबेडकर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के विरोध में थे।”
गौरतलब है 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला देकर ये साफ कर दिया कि दिल्ली की नौकरशाही पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल है और अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर भी अधिकार भी उसी का है। प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और अधिकार से जुड़े मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, दिल्ली की पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर केंद्र का अधिकार है, लेकिन बाकी सभी मामलों पर चुनी हुई सरकार का ही अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया था कि पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी दूसरे मसलों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी।ऐसे में केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई , जिसके तहत अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल को वापस मिल गया।
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