India News (इंडिया न्यूज़),Delhi Flood,Ajit Kumar Srivastava: राजधानी दिल्ली में पिछले हफ्ते यमुना का जलस्तर बढ़ने से कई इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया था। अब यमुना खतरे के निशान से नीचे बह रही है और इसी के साथ ज्यादातर इलाकों से बाढ़ का पानी भी हट गया है। लेकिन राजघाट में अभी तक पूरी तरह बाढ़ का पानी नहीं निकल पाया है। महात्मा गांधी के स्मारक को फिर से बहाल करने और बाढ़ का पानी निकालने के लिए तेजी से सफाई अभियान चल रहा है। बाढ़ से राजघाट का एक क्षेत्र सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ। इसे भी ठीक करने का काम चल रहा है।
बता दें कि पिछले हफ्ते यमुना का पानी शहर में घुसने से राजघाट और शांति वन तक आसपास के स्मारक जलमग्न हो गए थे। इसके पास के इलाकों में पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी के स्मारक भी है।
बाढ़ ने जिस राजघाट के क्षेत्र पर तबाही मचाई, उसका भी बड़ा ऐतिहासिक महत्व है। कई राष्ट्राध्यक्षों और दुनियाभर के तमाम नेताओं ने गांधी की याद में वहां पौधे लगाए हैं। समय की कसौटी पर खरा उतरने वाले कई पौधे रंगभेद विरोधी नायक और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रैनिकोस ओलांद और पूर्व अमेरिकी राजदूत डब्ल्यू हेंडरसन द्वारा लगाए गए थे।
इन्हीं बातों को देखने के लिये दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना सुबह 11 बजे राजघाट पहुँचे और वहाँ कि स्थिति देखी। राजघाट पर मौजूद अधिकारियों के बीच एलजी सक्सेना ने खुद राजघाट का दौरा किया और वहां कि तस्वीरें शेयर करके बताया कि अब स्थिति बेहतर हो चुकी है। रुके हुए बाढ़ के पानी को काफ़ी हद तक बाहर निकाल दिया गया है और फुटपाथों और भू-दृश्यों की बहाली का काम चल रहा है।
हम आपको बता दें कि 1978 में यमुना में आई बाढ़ के दौरान भी बाढ़ का पानी राजघाट में घुस गया था और यह इलाका कई दिनों तक जलमग्न रहा था, जिससे यहां के पेड़ों को भारी नुकसान हुआ था। इस बार जैसे-जैसे पानी कम होना शुरू हुआ, उस जगह पर लगे कई पौधे और पेड़ भी क्षतिग्रस्त पाए गए। सूत्रों ने कहा कि कुछ विजिटर बुक्स भी पानी में भीग गई हैं। साइट पर मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि इस क्षेत्र को पूरी तरह से सुलभ बनाने में एक सप्ताह और लग सकता है। उन्होंने कहा कि पानी पूरी तरह से निकल जाने के बाद भी स्मारक को तैयार करने में कुछ समय लगेगा क्योंकि वहां कीचड़ और दलदल हो गया है।
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