India News (इंडिया न्यूज़),Delhi Service Bill: दिल्ली: राज्यसभा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित कर दिया गया है। राज्यसभा ने ‘हां-131, ना-102’ के साथ दिल्ली सेवा विधेयक पारित किया।हाल ही में इस बिल को लोकसभा में पारित किया गया था। बिल को लेकर हो रहे हंगामें के बीच एक और मामला सामने आया है। बता दें सांसद राघव चड्डा द्वारा चयन समिति का हिस्सा बनने के लिए पेश किए गए प्रस्ताव पर चार सासंदो के सहमति के बिना उनके हस्ताक्षर किए जाने का मामला साामने आया है।
ऐसे में इसे विशेषाधिकार का मामला बतया जा रहा है। इसे लेकर राज्यसभा के उपसभापति का कहना है कि चार सांसदों ने मुझे लिखा है कि उनकी ओर से कोई सहमति नहीं दी गई है और इसकी जांच की जाएगी।एआईएडीएमके सांसद डॉ. एम. थंबीदुरई का भी दावा है कि उन्होंने कागज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और यह विशेषाधिकार का मामला है।
चार सांसदों का दावा है कि दिल्ली एनसीआर संशोधन विधेयक को उनकी सहमति के बिना चयन समिति को भेजने के प्रस्ताव में उनके नाम का उल्लेख किया गया था। यह प्रस्ताव AAP सांसद राघव चड्ढा ने पेश किया था।
राज्यसभा के उपसभापति ने आश्वासन दिया है कि इसकी जांच कराई जाएगी। https://t.co/7ixYniLXRJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 7, 2023
दिल्ली सेवा विधेयक को प्रवर समिति को भेजने के लिए आप सांसद राघव चड्डा द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर अपने फर्जी हस्ताक्षर का आरोप लगाते हुए अन्नाद्रमुक सांसद एम. थंबीदुरई ने कहा,”मैंने विशेषाधिकार समिति का हवाला देते हुए राज्यसभा के सभापति को एक पत्र दिया है कि प्रस्ताव में मेरा नाम कैसे शामिल किया गया, क्योंकि मैंने किसी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। इसलिए, किसी ने मेरे जाली हस्ताक्षर किए होंगे।”
दिल्ली सेवा विधेयक पर राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा,”दो सदस्य (बीजद सांसद सस्मित पात्रा और भाजपा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी) कह रहे हैं कि उन्होंने AAP सांसद राघव चड्ढा द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव (चयन समिति का हिस्सा बनने के लिए) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। अब यह जांच का विषय है कि प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कैसे हो गए।”
बीजेडी सांसद डॉ सस्मित पात्रा ने कहा,”जिस समय सदन में प्रस्ताव पेश किए जा रहे थे (दिल्ली सेवा विधेयक पर चर्चा के दौरान), मैंने सुना कि राघव चड्ढा द्वारा पेश किए गए एक प्रस्ताव में मेरे नाम का उल्लेख किया गया था। मेरी पूर्व सहमति के बिना मेरा नाम प्रस्ताव में नहीं डाला जा सकता। मुझे उम्मीद है कि सदन के सभापति कार्रवाई करेंगे। मैंने शिकायत दे दी है। जाहिर है यह विशेषाधिकार का मामला है। हम सभी ने अपनी-अपनी शिकायतें दर्ज़ कराई हैं।”
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