India News(इंडिया न्यूज),Delhi Women Commission: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा बड़ा निर्णय लिया गया जिसमें आज दिल्ली महिला आयोग से 223 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। जिसके बाद मालीवाल ने उपराज्यपाल के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि अगर सभी संविदा कर्मचारियों को हटा दिया गया तो महिला आयोग बंद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आयोग में अब कुल 90 कर्मचारी हैं।
LG साहब ने DCW के सारे कॉंट्रैक्ट स्टाफ को हटाने का एक तुग़लकी फ़रमान जारी किया है। आज महिला आयोग में कुल 90 स्टाफ है जिसमें सिर्फ़ 8 लोग सरकार द्वारा दिये गये हैं, बाक़ी सब 3 – 3 महीने के कॉंट्रैक्ट पे हैं। अगर सब कॉंट्रैक्ट स्टाफ हटा दिया जाएगा, तो महिला आयोग पे ताला लग जाएगा।…
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) May 2, 2024
इसके साथ ही मालीवाल ने उपराज्यपाल के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि, अगर सभी संविदा कर्मचारियों को हटा दिया गया तो महिला आयोग बंद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पैनल में अब कुल 90 कर्मचारी हैं। इनमें से 8 सरकारी हैं और बाकी तीन महीने के अनुबंध पर हैं। “वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? इस संगठन को खून-पसीने से सींचा गया है।” उन्होंने उपराज्यपाल को उन्हें जेल में डालने की चुनौती देते हुए कहा, “मैं महिला आयोग को बंद नहीं होने दूंगी।
मुझे जेल में डाल दो, लेकिन महिलाओं पर अत्याचार मत करो।” उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा जारी आदेश में दिल्ली महिला आयोग अधिनियम का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि पैनल में 40 कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या है और उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना 223 नए पद सृजित किए गए। आदेश में यह भी कहा गया है कि आयोग के पास अनुबंध पर कर्मचारियों को नियुक्त करने का अधिकार नहीं है। यह कार्रवाई फरवरी 2017 में तत्कालीन उपराज्यपाल को सौंपी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है।
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महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त निदेशक द्वारा जारी आदेश में यह भी कहा गया है कि नियुक्तियों से पहले आवश्यक पदों का कोई मूल्यांकन नहीं किया गया था। आदेश में कहा गया है कि आयोग को सूचित किया गया था कि वे वित्त विभाग की मंजूरी के बिना ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे “सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय दायित्व आए”। इसमें कहा गया है कि जांच में पाया गया है कि ये नियुक्तियां निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार नहीं की गई थीं। इसमें कहा गया है, “इसके अलावा, डीसीडब्ल्यू के कर्मचारियों के पारिश्रमिक और भत्ते में वृद्धि बिना किसी उचित कारण के और निर्धारित प्रक्रियाओं और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।
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