India News (इंडिया न्यूज), Demonetisation 7 Years: भारत सरकार ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 के नोटों पर बैन लगा दिया। उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात 8 बजे दूरदर्शन पर आकर एलान किया कि आज आधी रात यानी 12 बजे से देश में 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद किया जा रहा है।
इसी वक्त पीएम मोदी ने नए 500- 2000 रुपये के नोट आने की भी घोषणा की थी। इस नोटबंदी की खबर आते ही देश में अफरातफरी मच गई थी। आम से लेकर खास तक इसके असर से प्रभावित हुए। आज 8 नवंबर 2023 को देश में नोटबंदी के 7 साल पूरे हो चुके हैं। अगर ध्यान दिया जाए तो पता चलता है कि नोटबंदी के असर से हम आज भी अलग नहीं हो पाए हैं।
पीएम मोदी के एलान के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 500 -2000 रुपये के नए नोट चलाए। देश में पहली बार 2000 रुपये का नोट गुलाबी रंग के इस नोट को चलाने के पीछे सरकार ने तर्क दिया। बड़े ट्रांजेक्शन के लिए ये नोट मुख्य रूप से काम आएगा।
केंद्र सरकार ने कहा कि 500 – 1000 रुपये के नकली नोटों की रोकथाम और देश में काले धन पर लगाम लगाने के लिए ये फैसला किया गया है। जाली नोटों की रोकथाम के लिए सरकार का ये एक हथियार। पीएम मोदी के आधिकारिक ऐलान के बाद रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने बताया कि देश में चल रहे सभी मूल्यवर्ग के नोटों की सप्लाई में 2011 से 2016 के बीच कुल 40 फीसदी का इजाफा हुआ है।
19 मई, 2023 को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अचानक 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने के फैसले किया। लोगों ने इस खबर को मोदी सरकार की 8 नवंबर, 2016 की नोटबंदी याद आ गई और इस कदम को मिनी नोटबंदी कहा। आरबीआई ने देश की जनता को 23 मई से 30 सितंबर के बीच का वक्त दिया जिसके बीच किसी भी बैंक में जाकर 2000 रुपये के नोट जमा कराने की सुविधा दी गई। 30 सितंबर को 2000 के नोट बदलने की डेडलाइन खत्म होने के बाद केंद्रीय बैंक ने इसकी समयसीमा 7 अक्टूबर 2023 तक बढ़ाई थी।
सरकार ने नोटबंदी के फैसले के बाद एक झटके में 86 फीसदी नोट को चलन से बाहर कर दिया। वहीं, पुराने नोट बदलने और नए नोट हासिल करने के लिए लोगों के पास बैंकों के बाहर लाइनों में लगने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। मालूम हो कि साल 2016 की नोटबंदी के दौरान बैंकों के बाहर लाइनों में कुल 100 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले को विपक्ष ने जोरो से उठाया और सरकार को जमकर घेरा। हालांकि रिपोर्ट्स के अनुसार देश की जनता ने परेशानियां तो उठाईं, लेकिन इस फैसले में केंद्र सरकार का साथ दिया और कहा कि काले धन और जाली नोटों की इस लड़ाई के खिलाफ वो सरकार के साथ हैं।
वहीं,नोटबंदी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुईं। इस मामले में 7 सालों तक अलग-अलग केस चले। हालांकि जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया और कहा कि केंद्र सरकार के 2016 में 500- 1000 रुपये की सीरीज वाले नोटों की नोटबंदी के फैसले को अनुचित नहीं ठहराया जा सकता।
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