India News (इंडिया न्यूज), Devendra Fadnavis Cabinet: तीसरी बार सीएम बने देवेंद्र फडणवीस इस चुनाव में क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण की तरह खेले। उन्होंने लोकसभा चुनाव में दिए गए फॉलोऑन को पटखनी देकर टीम महायुति को जीत दिलाई। उन्होंने विपक्षी महाविकास अघाड़ी को हर मोर्चे पर मात दी और पवेलियन भेजा। टीम के सदस्य एकनाथ शिंदे ने गुस्से में ‘गुगली’ फेंकी तो उन्होंने उसका बखूबी बचाव किया। उन्होंने एक अन्य सहयोगी अजित पवार को ‘विकेटकीपर’ बनाकर सरकार बनाई। सीएम पद की शपथ लेने के बाद वे ‘धोनी’ की तरह पूरे फॉर्म में दिखे और एक बयान से अपनी मंशा जाहिर कर दी। उन्होंने कहा कि पिछले कार्यकाल में हमने एकनाथ शिंदे के साथ 50 ओवर के मैच खेले, अजित दादा पवार के आने के बाद हमने टी-20 खेला, अब हमें टेस्ट मैच खेलना है। टेस्ट मैच का मतलब पांच साल की लंबी पारी है, जिसमें हम अपने खेल के लिए अपनी पसंद के हिसाब से फील्डिंग की व्यवस्था करेंगे।
132 सदस्यों के साथ ड्राइविंग सीट पर बैठे देवेंद्र फडणवीस तय करेंगे कि सरकार की गाड़ी कहां जाएगी। अब महाराष्ट्र में मंत्रालयों का बंटवारा और मंत्रियों का शपथ ग्रहण बाकी है। टेस्ट मैच खेलने के मूड में दिख रहे देवेंद्र फडणवीस ने जता दिया है कि सरकार चलाने के लिए अहम विभागों पर बीजेपी अपना प्रतिनिधि नियुक्त करेगी। माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे ने गृह मंत्रालय की मांग की है, जिसे फडणवीस अपने पास रखना चाहते हैं। इसके अलावा उद्योग, शहरी विकास, राजस्व, सिंचाई और सामाजिक न्याय मंत्रालय जैसे विभाग हैं, जिन पर एनसीपी और शिवसेना दोनों का दावा है। इसके अलावा बीजेपी ने सहयोगी दलों के सामने एक और शर्त रखी है, जिसमें उन्हें मंत्री पद के लिए साफ-सुथरी छवि वाले विधायकों के नाम देने को कहा गया है।
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महायुति पार्ट-2 में कैप्टन फडणवीस को मिलेगा श्रेय पिछले ढाई साल में सरकार का इंजन देवेंद्र फडणवीस और भाजपा ही रहे, लेकिन ड्राइविंग सीट पर एकनाथ शिंदे बैठे रहे। पिछली सरकार ने अटल सेतु, मराठवाड़ा वाटर ग्रिड, समृद्धि महामार्ग, कोस्टल रोड, मेट्रो-3, मेट्रो कारशेड और जलयुक्त शिवार योजना को बढ़ावा दिया और इसका श्रेय शिंदे ने लिया। लाडली बहन और किसान सम्मान निधि का श्रेय टीम के कप्तान को गया। हालांकि भाजपा मध्य प्रदेश से लाडली बहन योजना का फॉर्मूला लाई थी, जिसके आधार पर परमाणु में लगातार सरकार बनी। चुनाव के दौरान महायुति ने लाडली बहन योजना के लिए 2100 रुपए की राशि देने का वादा किया है। इसके लिए सरकार राज्य की 2.5 करोड़ महिलाओं में हर साल 63 हजार करोड़ रुपए बांटेगी। युवाओं और किसानों के लिए घोषित अन्य चुनावी योजनाओं को जोड़ लें तो सरकार हर साल अलग से करीब 90 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। जाहिर है, इस बार भी इसका श्रेय कैप्टन को ही जाएगा।
राज्य के आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर फडणवीस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पहला, चुनावी वादों को पूरा करने के लिए उन्हें 7.82 लाख करोड़ रुपए के कर्ज में डूबी सरकार से फंड हासिल करना होगा। दूसरा, उन्हें मराठा आरक्षण पर भी फैसला लेना होगा। बीएमसी समेत निकाय चुनावों में सहयोगी दलों से तालमेल बनाए रखने की चुनौती भी होगी। सीएम पद से हटाए जा चुके शिंदे और मुख्यमंत्री पद के दावेदार अजित पवार जैसे सहयोगियों को संतुष्ट रखना आसान नहीं है। अगर किसी वजह से महायुति की तिकड़ी टूटती है तो देवेंद्र फडणवीस की राजनीति पर सवाल उठेंगे। एक इंटरव्यू में फडणवीस ने कहा कि वे चुनावी वादे पूरे करने के लिए तैयार हैं। साथ ही, यह सरकार सहयोगियों के साथ 2029 तक चलेगी। टेस्ट मैच में वे राहुल द्रविड़ की तरह ‘द वॉल’ बनकर डटे रहेंगे।
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