India News(इंडिया न्यूज), Dharma Shastra: अकसर आप देखते होंगे कि मंदिर में पूजा करते वक्त या फिर भगवान को भोग लगाने के पश्चात घंटी बजाई जाती है। लेकिन क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं कि ऐसा किया क्यों जाता है, इससे जुड़ा क्या इतिहास है। चलिए आपको इस खबर में बताते हैं पूरी जानकारी।
घंटी बजाने की प्रथा
पौराणिक ग्रंथ के अनुसार भगवान के सामने घंटी या घंटा वायु तत्व को जागृत करने के लिए बजाया जाता है। वायु के ये पांच मुख्य तत्व व्यान वायु, उदान वायु, समान वायु, अपान वायु और प्राण वायु आदि हैं। भगवान को नैवेद्य चढ़ाते समय घंटी पांच बार बजाई जाती है। नैवेद्य चढ़ाते समय वायु के पांचों तत्वों का स्मरण किया जाता है और घंटी या घंटा 5 बार बजाया जाता है और भगवान को भोग लगाया जाता है। पांच बार घंटी बजाने से भगवान और वायु तत्व जागृत होते हैं। जिससे हमारे द्वारा चढ़ाए गए प्रसाद की सुगंध वायु के माध्यम से भगवान तक पहुंचती है। इसके साथ ही सही संख्या में घंटी की ध्वनि बजाने से आप भी परम तत्व के नजदीक खुद को पाते हैं, ये आपकी मानसिक शांति के लिए भी बहुत आवश्यक होता है।
शारीरिक लाभ भी होते हैं
घंटी बजाने का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि यह शारीरिक दृष्टि से भी लाभकारी है। घंटी बजाने से उत्पन्न ध्वनि व्यक्ति के शरीर के सभी सातों चक्रों को सक्रिय करती है। साथ ही घंटी की ध्वनि से मस्तिष्क को भी शांति का अनुभव होता है। यह ध्वनि शरीर के अंदर के सभी नकारात्मक विचारों और बुराइयों को दूर करने का काम करती है। इसलिए घंटी के ध्वनि को पवित्रतादायक माना जाता है। घंटी की ध्वनि आपमें आध्यात्मिक ऊर्जा भी भरती है। अगर आप निरंतर पूजा करते हैं और घंटी बजाते हैं तो आपके मस्तिष्क में विचार सकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। जो लोग योग ध्यान करते हैं उनके लिए घंटी की ध्वनि बहुत शुभ फलदायक सिद्ध होती है।