India News (इंडिया न्यूज), Dimani Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में सियासी पारा हाई हो रहा है। 2023 विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनाव की घोषणा होते ही भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टी के नेता जीत के दम भर रहे हैं। इस बीच यहां के मुरैना जिले के तहत आने वाली दिमनी सीट की खासे चर्चा हो रही है। इस बार इस सीट की जिम्मेदारी बीजेपी ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के कंधो पर डाली है। बतां दे कि इनका नाम सीएम पद के भाी लिए लिया जा रहा है।

इस रेस में कांग्रेस भी पीछे नहीं है। 2018 में जब विधानसभा चुनाव हुआ था तब इस सीट से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व गिर्राज दंडोतिया ने की थी। उन्हें जीत मिली थी। हालांकि जीतने के उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था।  जान लें कि 2020 में यहां उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर भिडौसा ने जीत का झंडा फहराया था। यह चुनावी मैदान है यहां कब क्या हो जाएगा कोई नहीं जानता। जीत का दावा तो कई पार्टियां कर रही हैं लेकिन जनता किसे अपना प्यार देगी ये तो वक्त ही बताएगा। लेकिन उससे पहले यहां का चुनावी इतिहास और समीकरण समझ लेते हैं।

बीजेपी ने खेला दाव

यह जिला डकैती के लिए जाना जाता है। मुरैना जिले के तहत 6 विधानसभा सीटें आती हैं। जिसमें 6 सीटों में से 2 पर बीजेपी का कब्जा है। जबकि 4 सीटों को कांग्रेस ने अपने नाम कर लिया है।  यहां के दिमनी सीट 2020 में काफी चर्चा में थी। एक  जमाना था जब यहां पर बीजेपी की पकड़ मजबूत थी। अब इस सीट पर कांग्रेस का बोलबाला है। वापस से बीजेपी इस सीट पर अपना दबदबा कायम करना चाह रही है इसी फिराक में बड़ा फैसला लेते हुए पार्टी की ओर से दूसरी लिस्ट में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है। खास बात यह है कि केंद्रीय मंत्री तोमर 15 साल बाद विधानसभा चुनाव लड़ने वाले हैं।

वोटर और आबादी

  • 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गिरीराज दंडोतिया को 18,477 मतों के अंतर से जीत मिली थी।
  • 2018 के इस चुनाव में गिरराज को 69,597 वोट मिले। बीजेपी के शिवमंगल सिंह तोमर को 51,120 वोट हासिल हुए।
  • 2018 के विधान सभा चुनाव में दिमनी सीट पर 2,02,285 वोटर्स थे। इसमें से 1,40,933 वोटर्स ने वोट डाले।
  • जान लें कि 2020 के दलबदल में यह सीट भी शामिल हुआ।
  • 2020 के उपचुनाव में दिमनी सीट से कांग्रेस को ही जीत मिली थी, लेकिन सियासी खेल पलटा और जीत बीजेपी के दामन में चली गई। बता दें कि उस वक्त कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर भिडोसा को 72,445 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले गिर्रज दंडोतिया को 45,978 मत मिले।
  • जान लें कि कांग्रेस को इस बार 26,467 मतों के अंतर से जीत हासिल हुई। जो कि 2018 के चुनाव की तुलना में कांग्रेस की ये जीत बड़ी थी।

राजनीतिक इतिहास

दिमनी सीट का राजनीतिक इतिहास बड़ा रोमांचित रहा है। इस सीट पर से बीजेपी की पकड़ जितनी तेजी से घटी है उतनी ही तेजी से कांग्रेस की मजबूत हुई है। साल 2008 चलते हैं जब यहां से बीजेपी को आखिरी बार जीत मिली थी। तब से बीजेपी जीत की राह देख रही है। इस रेस में बहुजन समाज पार्टी  भी आगे है। इस सीट पर उसकी भी पकड़ अच्छी है। यहां से इस पार्टी ने 2003 के चुनाव में जीत दर्ज की थी। 2008 से भी पीछे चलें तो 1990 के बाद से बीजेपी ने अब तक यहां से 4 बार जीत का स्वाद चखी है। लेकिन जीत  का सिलसिला 2008 में थम गया।

साल 2013 के चुनाव में बसपा ने बाजी मारी और पार्टी  के बलवीर सिंह दंडोतिया ने जीत हासिल की। इसके बाद कांग्रेस ने भी 2 बार जीत का सहरा पहना है। फिर 2018 के बाद 2020 के उपचुनाव में भी कांग्रेस ने अपना दमखम दिखाया। इस सीट पर कांटे की टक्कर है। दिमनी विधानसभा सीट पर 3 दलों के बीच नाक की लड़ाई है।

साल 2003 तक यह सीट पर एससी वर्ग का दबदबा रहा। यह सीट उनके लिए आरक्षित रहा। 1998 से लेकर 2003 तक बीजेपी यहां से जीतती रही। साल 2008 में इस सीट को सामान्य सीट घोषित कर दिया गया।

आर्थिक-सामाजिक ताना बाना भी समझें

  • बीजेपी की ओर से कांग्रेस  से यह सीट झटकने के लिए ग्वालियर चंबल के अपने सबसे बड़े खिलाड़ी को मैदान छोड़ दिया है।
  • जान लें कि नरेंद्र सिंह तोमर अभी मुरैना से लोकसभा सांसद पद पर हैं।
  • दिमनी सीट पर सबसे अधिक मत की बात करें तो 65,000 वोट तोमर बिरादरी के मतदाता करते हैं।
  • लगभग 48,000 वोटर्स अनुसूचित जाति से आते हैं।
  • अन्य की बात करें तो कुशवाह, यादव, गुर्जर, बघेल और लोधी से भी अच्छे खासे वोटर्स आते हैं।

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