इंडिया न्यूज़:- देव दिवाली के दिन दीप दान का विशेष महत्त्व होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को देव दीपावली पर्व मनाया जाता है। यह पर्व दिवाली के 15 दिन बाद मनाया जाता है।मुख्य रूप से दैत्य त्रिपुरासुर पर भगवान भोलेनाथ की विजय हुई थी जिसकी खुशी में ये त्यौहार मनाया जाता है.
मान्यता ये भी है कि इस दिन देवता गण पृथ्वी लोक पर आते हैं और काशी में दिवाली मनाते हैं. इस दिन दीपदान का विशेष महत्व होता है.
देव दिवाली का महत्त्व
देव दीपावली के दिन ख़ास तौर पर गंगा नदी या दूसरी पवित्र नदियों में दीप दान करने का विशेष महत्त्व है। मान्यता है कि इस दिन बनारस में गंगा जी के घाटों पर स्वयं देवता दीपावली मनाने आते हैं। इस दिन गंगा नदी के घाटों पर दीप और दीपदान करना देवताओं के साथ दीपावली मनाने के बराबर माना जाता है। भगवान विष्णु ने इसी दिन मत्स्यावतार लिया था। इसलिए देव दीपावली पर दीपदान करने से बैकुंठ लोक के द्वार भी खुल जाते हैं.
देव दिवाली मुहूर्त
देव दिवाली तारीख – 7 नवंबर 2022
देव दिवाली दीपदान मुहूर्त – शाम 5.14 – रात 07.49
कार्तिक पूर्णिमा तिथि शुरू -7 नवंबर 2022 को शाम 4 बजकर 15
कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त – 8 नवंबर 2022 को शाम 4 बजकर 31
कई शुभ संयोगों से सुसज्जित है देव दीपावली
इस साल 7 नवंबर को आने वाली देव दीपावली कई शुभ संयोगों से सुसज्जित है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजे से लेकर 5 बजकर 51 मिनट तक रहेगा तो वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक रहने वाला है।
वहीं अमृत काल शाम 5 बजकर 15 मिनट से लेकर 6 बजकर 54 मिनट तक रहेगा और रवि योग सुबह 6 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। वहीं, विजय मुहूर्त शाम 2 बजकर 16 मिनट से लेकर शाम 3 बजकर 1 मिनट तक होगा। इस शुभ संयोग के बनने से देव दीपावली पर दीपदान करने वालों को सुखसमृद्धि मिलेगी इसके साथ ही शत्रु से सताने का भय भी समाप्त हो जायेगा।