India News (इंडिया न्यूज), Debate On Constitution In Rajya Sabha: लोकसभा में पहले 13 और 14 दिसंबर को संविधान पर चर्चा की गई। अब इसके बाद राज्यसभा में आज से संविधान पर चर्चा शुरू हुई है। भारत में संविधान लागू होने के 74 साल पूरे हो चुके हैं। संविधान लागू होने के 75वें साल में पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच काफी तीखी आलोचना देने को मिली है। इस दौरान एक ऐसे नेता का नाम सदन में गूंजा जिसने भरे सदन में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संशोधन की आड़ में आप कार्यपालिका की निरंकुशता के बीज बो रहे हैं।
संविधान के 75 साल पूरे होने के मौके पर राज्यसभा में चल रही गरमागरम बहस के बीच नेहरू के कट्टर आलोचक बिहार के इस राजनेता का जिक्र राज्यसभा में बार-बार हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से लेकर जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा तक सभी ने कामेश्वर सिंह के भाषण को खूब कोट किया। हालांकि कामेश्वर सिंह भारतीय राजनीतिक इतिहास के पन्नों से गायब हो गए, लेकिन कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है। 70 साल बाद एक बार फिर कामेश्वर सिंह के शब्द सदन के अंदर बहस का हिस्सा बन गए हैं।
राज्यसभा में संविधान पर चर्चा की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंबेडकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बाद कामेश्वर सिंह का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि संविधान सभा के सदस्य रहे कामेश्वर सिंह ने नेहरू के पहले संविधान संशोधन का विरोध करते हुए कहा था कि यह अंतरिम सरकार है और ऐसा करने के लिए उसके पास लोगों का जनादेश नहीं है। संविधान सभा के सदस्य कामेश्वर सिंह ने कहा था, “यह संसद अस्थायी है। यह लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित नहीं कर रही है। संविधान चाहता है कि संसद इसे प्रतिबिंबित करे।
निर्मला सीतारमण ने कामेश्वर सिंह के भाषण को उद्धृत करते हुए कहा कि कामेश्वर सिंह कहते हैं, “क्या वे संविधान के प्रति घोर अनादर नहीं दिखाते हैं जब वे इसे केवल इसलिए संशोधित करने का प्रयास करते हैं क्योंकि कुछ कानूनों की आलोचना की गई है और न्यायपालिका द्वारा उन्हें अमान्य पाया गया है?” कामेश्वर सिंह आगे कहते हैं, ‘मैं यह कहने के लिए बाध्य हूं कि प्रधानमंत्री कार्यपालिका की निरंकुशता के बीज बोकर और पार्टी के लाभ के लिए संविधान की सर्वोच्चता के साथ खिलवाड़ करके एक खराब उदाहरण पेश कर रहे हैं। इसलिए, इसमें कोई संदेह नहीं है कि संशोधन पार्टी, प्रधानमंत्री या सरकार की छवि के लिए लाया गया था।’
बहस में भाग लेते हुए जदयू सांसद संजय झा ने सदन में नेहरू के इस कट्टर विरोधी को न केवल याद किया बल्कि उनके शब्दों का भी जिक्र किया और कहा कि दरभंगा के हमारे महाराजा कामेश्वर सिंह भी संविधान सभा के सदस्य थे और बाद में वे अपने जीवन के अंतिम क्षण तक राज्यसभा के सदस्य रहे। कामेश्वर सिंह को उद्धृत करते हुए संजय झा ने कहा, कामेश्वर सिंह ने कहा था, “मैं यह स्पष्ट रूप से कहता हूं कि प्रधानमंत्री कार्यपालिका की निरंकुशता के बीज बो रहे हैं और संविधान की सर्वोच्चता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, ताकि पार्टी के लाभ को प्राथमिकता दी जा सके। वे एक खराब उदाहरण पेश कर रहे हैं और यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक प्रवृत्ति है।
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