India News(इंडिया न्यूज),Earthquake prediction: हाल ही में तुर्की और सीरिया में आए भीषण भूकंप के बाद नेपाल में हुई तबाही को देखते हुए वैज्ञानिकों ने राहत की खबर दी है। भूकंप की घटनाओं के अध्ययन के बाद ऐसे संकेत मिले हैं कि जिन स्थानों पर विनाशकारी भूकंप आए, वहां भूकंपीय गतिविधियां करीब एक साल पहले ही शुरू हो गई थीं। यानी अगर तकनीक की मदद से भूकंप की आशंका वाले इलाकों में लगातार अध्ययन किया जाए तो भूकंप की भविष्यवाणी एक साल पहले ही की जा सकती है। इससे जान-माल की संभावित हानि कम हो जायेगी।

विनाशकारी भूकंपों के अध्ययन से प्राप्त जानकारी

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित शोध में यह बात सामने आई है। यह शोध इस साल फरवरी में तुर्की और सीरिया में आए 7.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप पर केंद्रित है। इन बड़े भूकंपों के कारण करीब आठ महीने तक भूकंपीय गतिविधियां शुरू हो गई थीं, जिनका अध्ययन करने के बाद यह दावा किया जा रहा है।

भूकंप की तीव्रता का पता लगाना चुनौतीपूर्ण

इस शोध के मुख्य लेखक पेट्रीसिया मार्टिनेज-गार्जोन हैं। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि भूकंप की सटीक तीव्रता का पता लगाना बेहद चुनौतीपूर्ण काम है। वर्तमान में हमारे पास जो तकनीक है वह भूकंपीय गतिविधियों को रिकॉर्ड तो कर सकती है लेकिन यह कितनी तीव्र होगी इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। इसीलिए उन्होंने तकनीक में और अधिक शोध का सुझाव दिया है ताकि भूकंप की तीव्रता का भी आकलन किया जा सके।

उन्होंने कहा कि भूकंप के पूर्वानुमान में संभावित योगदान के लिए क्षेत्रीय जांच को प्रयोगशाला प्रयोगों के साथ जोड़ना महत्वपूर्ण माना जाता है। शोध के अनुसार, बड़े भूकंपों से होने वाली भारी तबाही को देखते हुए, भविष्यवाणी तकनीकों में कोई भी प्रगति भूकंप के पूर्वानुमान में मददगार साबित हो सकती है।

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