India News (इंडिया न्यूज), ED Raids in Ladakh Crytptocurrency Case: प्रवर्तन निदेशालय विभाग ने फर्जी क्रिप्टोकरेंसी कारोबार की जांच के लिए पब्लिक मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत लेह लद्दाख क्षेत्र में अपनी पहली छापेमारी की। ईडी सूत्रों ने आज बताया कि एजेंसी ने ए आर मीर और अन्य के खिलाफ मामले में लद्दाख के लेह, जम्मू और हरियाणा के सोनीपत में कम से कम छह ठिकानों पर छापेमारी की।
आरोप है कि हजारों निवेशकों ने अपना पैसा नकली मुद्रा, यानी ‘इमोइलेंट कॉइन’ में निवेश किया है और उन्हें न तो मुद्रा मिली है और न ही रिटर्न। लेह क्षेत्र में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं, साथ ही जम्मू और कश्मीर से शिकायतें भी मिली हैं, जिसके कारण पीएमएलए का मामला सामने आया है।
- क्रिप्टोकरेंसी केस में पड़ी रेड
- लद्दाख में ED की पहली रेड
- इन धाराओं के तहत शिकायत दर्ज
इन धाराओं के तहत शिकायत दर्ज
लेह के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट से प्राप्त शिकायत के अनुसार, जम्मू और कश्मीर पुलिस द्वारा लेह पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 420 के तहत 05-03-2020 को एफआईआर नंबर 16/2020 दर्ज की गई थी, जिसमें ए.आर. मीर और अजय कुमार चौधरी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
खबर एजंसी की मानें तो ए आर मीर और उनके एजेंट कथित तौर पर लेह में एसएनएम अस्पताल से कुछ दूरी पर स्थित अपने कार्यालय से “इमोलिएंट कॉइन लिमिटेड” के नाम से एक नकली क्रिप्टोकरेंसी व्यवसाय चला रहे थे। जांच एजेंसी ने कार्यालय को सील कर दिया है, और उन पर कई निर्दोष व्यक्तियों को उनके निवेश को दोगुना करने का झूठा दावा देकर धोखा देने का आरोप लगाया है।
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इमोलिएंट कॉइन लिमिटेड की शुरुआत कब हुई?
“इमोलिएंट कॉइन लिमिटेड” को 28 सितंबर, 2017 को लंदन में अपने पंजीकृत कार्यालय के साथ शामिल किया गया था। श्री नरेश गुलिया और श्री चन्नी सिंह भारत में इसके प्रमोटर थे।
प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों ने आगे बताया कि जांच के दायरे में आए व्यक्ति श्री ए.आर. मीर ने श्री अजय कुमार चौधरी के साथ मिलकर रियल एस्टेट का कारोबार शुरू किया। दोनों ने एमोलिएंट कॉइन्स लिमिटेड के जरिए जुटाए गए फंड से जम्मू में कई जमीनें खरीदीं।