अजीत मेंदोला, नई दिल्ली: राजस्थान कांग्रेस की राजनीति एक बार फिर गर्माती दिख रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए नाम चर्चा में आने के बाद जहां पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट समर्थक विधायक बयान दे आलाकमान को चुनौती दे रहे है, वही केंद्रीय जांच एजेसियों ने उनके समर्थकों पर छापा डाल उनकी छवि एक एक बार फिर सवालों को घेरे में लाने की कोशिशें शुरू कर दी है। लगभग वैसा ही माहौल बनाया जा रहा है जैसा कि ढाई साल पहले सरकार गिराने में नाकाम रहने के बाद बनाया गया था। उस समय गहलोत के करीबियों और रिश्तेदारों पर ईडी ने छापा मार गहलोत की छवि को खराब करने की असफल कोशिश की थी। उन छापों में ईडी कुछ नहीं निकाल पाई।
मुख्यमंत्री गहलोत ने उस समय भी केंद्र को बताया था कि इस तरह की छापेमारी से कुछ नहीं होगा। केंद्र के साथ राज्य सरकार का पानी, जीएसटी, राज्य के साथ भेदभाव समेत कई मुद्दों को लेकर आज भी तनातनी जारी है। इस बीच गहलोत सरकार ने कई ऐसे फैसले किये जिनकी चर्चा पूरे देश भर में है।
इनमे पुरानी पेंशन योजना बहाली, संजीवनी स्वास्थ्य योजना के तहत 10 लाख तक का मुफ्त इलाज, किसानो का कर्जा माफी और मनरेगा की तरह शहरी रोजगार गारंटी योजना। यह ऐसे फैसले है जिन्हे गैर बीजेपी सरकारे अपनाने लगी है। कांग्रेस चुनाव वाले राज्य गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इन योजनाओं को वायदों को आगे कर चुनाव लड़ रही है। यही नहीं एक तरह से राजस्थान मॉडल चर्चा में आ गया।
जानकार मानते है कि कांग्रेस गहलोत की साफ सुथरी छवि और उनकी सरकार के फैसलों की चर्चा के चलते उन्हे अध्य्क्ष बनाने का फैसला कर सकती है। हालांकि कौन अध्य्क्ष बनेगा नामांकन के अंतिम दिन 30 सितंबर को पता चल जायेगा।गहलोत अगर वाकई कांग्रेस के अध्य्क्ष बनते है तो निश्चित रूप से बीजेपी की रणनीति गड़बड़ा सकती है। माना जा रहा है कि इसी के चलते एक बार फिर केंद्रीय जांच एजेंसियों की नजर राजस्थान पर टिक गई है।
गहलोत सरकार के एक मंत्री और कुछ करीबियों एक छापे इसकी शुरुआत माने जा रहे है। प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा तो कई बार बोल भी चुके है कि चुनाव करीब आते ही केंद्रीय जांच एजेंसी गहलोत सरकार को बदनाम करने के लिये और छापे डालेगी।लेकिन अब तक जैसे हुआ कि कुछ भी हाथ नहीं लगा उसी तरह आगे भी होगा। कांग्रेस बीजेपी और केंद्र सरकार की एक भी चाल सफल नहीं होने देगी।
दरअसल फरवरी 2020 के बाद से मुख्य्मंत्री गहलोत को केंद्रीय जाँच एजेसियों से लगातार जुझना पड़ रहा है। पार्टी आलकमान जानने के बाद भी आपसी ठकराव से अपनी ही सरकार को नुकसान हो रहा खराब माहौल बनाने वालों को कोई चेतावनी तक नही दे पा रहा है। यही वजह है सचिन पायलट और उनके समर्थक बयान दे माहौल गर्माने का मौका नही छोड़ते है। आलाकमान मूक दर्शक बन तमाशा देख रहा है। जबकि यह तय है कि गहलोत अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते है तो सीएम या तो वे खुद या उनकी पसंद का ही बनेगा।
लेकिन सचिन गुट ऐसा दबाव बना रहा है उन्हे सीएम बनाया जाये। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजस्थान पर्यटन निगम के अध्य्क्ष धर्मेंद्र राठौर कहते है कि मुख्य्मंत्री गहलोत अपने काम के दम पर आगे बढ़ने पर विश्वास रखते है। इसलिए छापे मारी और बयानों से उन पर असर नही पड़ता। बीजेपी तो लगातार 4 साल से सरकार को अस्थिर करने की कोशिश मे लगी है, लेकिन सच सबके सामने है।
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