India News(इंडिया न्यूज),Elon Musk: भारतीय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर एलन मस्क और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। मस्क ने कल यानी शनिवार को कहा था कि हमें ईवीएम को खत्म कर देना चाहिए। इसके हैक होने का खतरा है। इसे इंसान या एआई द्वारा हैक किया जा सकता है। हालांकि यह खतरा छोटा है लेकिन फिर भी बहुत ज्यादा है।
मस्क के बयान पर बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने पलटवार किया है। ईवीएम को हैक नहीं किया जा सकता। मस्क के बयान में कोई सच्चाई नहीं है। उन्हें भारत आकर कुछ सीखना चाहिए। राजीव चंद्रशेखर ने ईवीएम की तमाम खूबियां बताईं। उन्होंने कहा कि मस्क के कहने का मतलब यह है कि कोई भी सुरक्षित डिजिटल हार्डवेयर नहीं बना सकता। उनकी सोच गलत है।
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बीजेपी नेता ने कहा कि मस्क की सोच अमेरिका और दूसरी जगहों पर लागू की जा सकती है, जहां वे इंटरनेट से जुड़ी वोटिंग मशीन बनाने के लिए रेगुलर कंप्यूट प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं लेकिन भारतीय ईवीएम कस्टम डिजाइन की गई, सुरक्षित और किसी भी नेटवर्क या मीडिया से अलग होती हैं। इसमें कोई कनेक्टिविटी नहीं है, कोई ब्लूटूथ नहीं है, कोई वाईफाई नहीं है, कोई इंटरनेट नहीं है। इसे दोबारा प्रोग्राम नहीं किया जा सकता। राजीव चंद्रशेखर के इस बयान पर टेस्ला और एक्स के मालिक मस्क ने फिर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि कुछ भी हैक किया जा सकता है।
भारत में ईवीएम एक ब्लैक बॉक्स है- राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ईवीएम पर फिर सवाल उठाए हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे घोषित होने के बाद उन्होंने पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर टिप्पणी की। राहुल ने कहा कि भारत में ईवीएम एक ब्लैक बॉक्स है। किसी को ईवीएम की जांच करने की जरूरत नहीं है। चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर चिंता जताई जा रही है। उन्होंने कहा कि जब संस्थाओं में जवाबदेही की कमी होती है, तो लोकतंत्र दिखावा बन जाता है। धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है।
क्या है ईवीएम का पूरा मामला?
कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि ईवीएम से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है। मुंबई में एनडीए उम्मीदवार रवींद्र वायकर के एक रिश्तेदार का मोबाइल फोन ईवीएम से कनेक्ट था। एनडीए के इस उम्मीदवार ने महज 48 वोटों से जीत दर्ज की। ऐसे में सवाल यह है कि एनडीए प्रत्याशी के रिश्तेदार का मोबाइल ईवीएम से क्यों जुड़ा था? मोबाइल फोन वहां कैसे पहुंचा जहां वोटों की गिनती हो रही थी? ऐसे कई सवाल हैं जो संदेह पैदा करते हैं। चुनाव आयोग को स्पष्टीकरण देना चाहिए।
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