India News (इंडिया न्यूज़), Landslide: हर साल होने वाली लैंडस्लाइड में न जाने कितने मासूमों ने अपनी जान गवाई है। नेपाल में हुई भूस्खलन में आज ही 63 लोगों ने अपनी जान से हाथ धो बैठे जिनमे से 7 लोग भारतीय थे। कल हुई बदरीनाथ भूस्खलन में भी सड़क किनारें काम कर रहे मजदुरों की जान चली गयी। पिछले कुछ सालों में मानसून के आगमन के साथ ही भूस्खलन से होने की आपदा बढ़ गयी है। आइये आपको बताते है भूस्खलन होने की बड़ी वजह। भूस्खलन या लैंडस्लैड पहाड़ी इलाकों में बेहद आम बात है। भूकंप और बरसात में भूस्खलन होने की संभावना बढ़ जाती है। लैंडस्लैड सरल भासा में पत्थर का खिसकना या गिरना, पहाड़ी मिट्टी का मलबे के तरह बह जाना होता है। पर क्या आप जानते है की लैंडस्लाइड आखिर क्यों होता है और इसके होने में आप और हम एक अहम हिस्सा निभाते है। आपको बताते है इस भूवैज्ञानिक घटना की कुछ ऐसी बातें जो आपको हैरान कर देंगी।
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लैंडस्लाइड एक भूवैज्ञानिक घटना का परिणाम है। भूस्खलन कई प्रकार के होते है इनमे छोटे पत्थरों के टूटने से लेकर बड़ी -बड़ी चट्टानों का पहाड़ से टूटना और मिट्टी का बहाव शामिल होता है। इस गतिविधि का विस्तार कई किलोमीटर तक हो सकता है। अक्सर भूकंप या भाड़ी वर्षा तथा दोनों के साथ में होने पर भूस्खलन हो सकता है जो पहरों में आज एक आम बात है। लकिन इस घटना से अक्सर जान- माल की काफी हानि देखि गयी है। भूकंप और वर्षा तो एक प्राकृतिक गतिविधि है परन्तु भूस्खलन आज मानव गतिविधियों से ज्यादा बढ़ गयी है , जैसे पेड़ और वनस्पतियों को काटना ,सड़क किनारे चट्टान को काटना तथा पानी के पाइप में रिसाव की वजह से भी भूस्खलन हो सकता है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण में होने वाली मानवीय गतिविधियों के कारण होने वाली ग्लोबल वार्मिंग प्राकृतिक घटनाओं की फ्रीक्वेंसी को बढ़ा देती हैं जो लैंडस्लैड को भी ट्रिगर करती है।
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पेड़ और वनस्पतियों की जड़ें मिट्टी को बाँध कर रखती है ताकि बारिश होने पर मिट्टी बह न जाए। परन्तु मानव विकास के लिए पेड़ और वनस्पति को काट कर पर्यावरण का भारी नुक्सान हो रहा है जिसके वजह से उनकी अनुपस्थिति से कारण बारिश के दौरान मिट्टी ढीली पर जाती है और बह जाती है । वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों को काटने वाली भारी मशीन्स की कंपन के कारण पत्थरों में दरार कर देती है जिसके वजह से जब पानी उन दरारों से गुज़रता है तो उन्हें वेदर चेंज के कारन कमज़ोर कर देता है और जब भूकंप आती है तो कमज़ोर चट्टानें टूट के गिर जातें है। इसके अलावा माइनिंग, कंस्ट्रक्शन, ब्लास्टिंग इत्यादि भी भूस्खलन के अन्य कारणों में से एक है।
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