इंडिया न्यूज़, चंडीगढ़:
Facebook Prepared for Assembly Elections in India: मेटा भारत में इन चुनावों (Elections) के लिए तैयारी कर रहा है; जिसमें लोगों को सुरक्षित रखने और नागरिक जुड़ाव को प्रोत्साहित करने के लिए हमारे पास एक व्यापक रणनीति है। हम अपने चुनाव संचालन केंद्र को सक्रिय करेंगे ताकि हम उन संभावित दुरुपयोगों पर नज़र रख सकें जो इन चुनावों से संबंधित हमारे मंच पर सामने आ सकते हैं। इस तरह हम उन्हें रियल टाइम में संबोधित कर सकते हैं। हमने अभद्र भाषा, गलत सूचना और अन्य प्रकार की हानिकारक सामग्री को मंच से दूर रखने के लिए टीमों और तकनीकों में महत्वपूर्ण निवेश किया है।
अपने क्षेत्रीय भाषा समर्थन को बढ़ाने के अलावा, हम चुनाव की जानकारी और रिपोर्ट्स को सत्यापित करने के लिए टूल और तकनीकों पर जनता और पत्रकारों (journalists) के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम (training program) देने के लिए अपने फैक्ट चेक पार्टनर्स को वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में 10 फरवरी से होने वाले आगामी चुनावों के मद्देनजर हम ताजा जानकारी को साझा कर रहे हैं, जो इस अवधि के दौरान लोगों और हमारे मंच को सुरक्षित रखने की मेटा (Meta) की तैयारियों से संबंधित है। इन चुनावों के लिए हमारे पास एक व्यापक रणनीति है, जिसमें अभद्र भाषा और हिंसा भड़काने वाली सामग्री का पता लगाना और उसे हटाना, गलत सूचनाओं के प्रसार को कम करना, राजनीतिक विज्ञापनों को अधिक पारदर्शी बनाना, स्थानीय कानून का उल्लंघन करने वाली सामग्री को हटाने के लिए चुनाव अधिकारियों (election officials) के साथ भागीदारी करना और मतदान के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करने में लोगों की मदद करना शामिल है।
हम अपने चुनाव संचालन केंद्र (election operation center) को सक्रिय करेंगे ताकि हम वास्तविक समय में इन चुनावों से संबंधित संभावित दुर्व्यवहारों की निगरानी कर सकें और उनका जवाब दे सकें। 2018 के बाद से हमने दुनिया भर के प्रमुख चुनावों के लिए इस मॉडल का इस्तेमाल किया है। यह हमें उभरते खतरों की अधिक दृश्यता प्रदान करने के लिए – हमारे थ्रेट इंटेलिजेंस (threat intelligence), डेटा विज्ञान(data science), इंजीनियरिंग(Engineering), अनुसंधान(Research), संचालन(Operation) , नीति (Policy) और कानूनी टीमों सहित – कंपनी भर के विषय से संबंधित विशेषज्ञों को एक साथ लाता है। इस तरह हम समस्या के गंभीर होने से पहले उस पर शीघ्रता से प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
हम इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि हमारे प्लेटफॉर्म पर अभद्र भाषा कैसे ऑफलाइन नुकसान पहुंचा सकती है। चुनावों की पृष्ठभूमि में, हमारे लिए संभावित अभद्र भाषा का पता लगाना और इसे फैलने से रोकना और भी महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे हमने प्राथमिकता दी है और लोगों को सुरक्षित रखने में मदद करने के लिए इन चुनावों को व्यापक रूप से संबोधित करने के लिए काम करना जारी रखेंगे। हमने अपनी टीमों और तकनीक में 13 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
इसने हमें सुरक्षा और हिफाजत पर काम करने वाली वैश्विक टीम के आकार को तिगुना करके 40,000 से अधिक करने की अनुमति दी है, जिसमें 70 भाषाओं में 15,000 से अधिक समर्पित सामग्री समीक्षक शामिल हैं। भारत के लिए, मेटा के पास 20 भारतीय भाषाओं में समीक्षक हैं।
यदि सामग्री का कोई भाग अभद्र भाषा के विरुद्ध हमारी नीतियों का उल्लंघन करता है, तो हम प्रोएक्टिव डिटेक्शन (अग्रसक्रिय पहचान) तकनीक का उपयोग करके या सामग्री समीक्षकों की सहायता से उसे हटा देते हैं। अगर यह इन नीतियों का उल्लंघन नहीं करता है, लेकिन बड़े पैमाने पर फैलने की वजह से ऑफलाइन नुकसान पहुंचा सकता है, तो हम इसकी पहुंच को घटा देते हैं, जिससे कम लोग ही इसे देख पाते हैं। इसके अलावा, हमारे मौजूदा समुदाय मानकों के तहत, हम कुछ ऐसे अपशब्दों को हटाते हैं जिन्हें हम अभद्र भाषा के रूप में निर्धारित करते हैं। हम अतिरिक्त जोखिम वाले क्षेत्रों को शामिल करने के लिए अपनी नीतियों को नियमित रूप से अपडेट भी कर रहे हैं।
उस प्रयास को पूरा करने के लिए, हम अभद्र भाषा से जुड़े नए शब्दों और वाक्यांशों की पहचान करने के लिए तकनीक को तैनात कर सकते सकते हैं, और या तो उस भाषा वाली पोस्ट को हटा सकते हैं या उसके प्रसार को कम कर सकते हैं। हम बार-बार उल्लंघन करने वालों के खातों को भी हटा देते हैं या ऐसे खातों से सामग्री के वितरण को अस्थायी रूप से कम कर देते हैं जिन्होंने हमारी नीतियों का बार-बार उल्लंघन किया है। इस दिशा में हमने महत्वपूर्ण प्रगति की है। मंच पर अभद्र भाषा का प्रचलन अब घटकर केवल 0.03% रह गया है। लेकिन हम जानते हैं कि अभी और काम करना बाकी है।
गलत सूचना, मतदाताओं को धमकाने और फेक न्यूज का मुकाबला करना-हम जानते हैं कि लोगों के लिए हमारे सभी ऐप्स में सटीक जानकारी देखना महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि हम भारत में अपनी सेवाओं पर गलत सूचना के फैलाव से लड़ना जारी रखते हैं। हम सबसे गंभीर प्रकार की गलत सूचनाओं को हटा रहे हैं, जैसे कि ऐसी सामग्री जिसका उद्देश्य मतदान को रोकना है, या जिससे आसन्न हिंसा या शारीरिक नुकसान हो सकता है। ऐसी सामग्री के लिए जो इन विशेष नियमों का उल्लंघन नहीं करती है, की प्रमाणिकता की समीक्षा और मूल्यांकन करने के लिए हमने भारत में 10 स्वतंत्र थर्ड पार्टी फैक्ट चेकर्स के साथ साझेदारी की है।
हमारे सभी फ़ैक्ट-चेकिंग पार्टनर गैर-पक्षपातपूर्ण अंतरराष्ट्रीय फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क द्वारा प्रमाणित हैं और 11 भारतीय भाषाओं में सामग्री की समीक्षा करते हैं। जैसे ही वह किसी कंटेंट या सामग्री को गलत करार देते हैं, हम उसके वितरण या पहुंच को काफी कम कर देते हैं। इसके बाद हम उस सामग्री को साझा करने वाले लोगों को सूचित करते हैं – या जिन्होंने पहले इसे साझा किया है और वह जानकारी गलत है, उस पर चेतावनी का एक लेबल लगाते हुए हम संबंधित फैक्ट चेक आर्टिकल का लिंक शेयर करते हैं, जो उस जानकारी को गलत साबित कर रहा होता है।
व्हाट्सएप एपीआई का उपयोग करते हुए, हमारे फैक्ट चेकिंग पार्टनर्न के पास जनता के लिए नवीनतम फैक्ट चेक प्राप्त करने और सामग्री को सत्यापित करने के लिए टिपलाइन भी है। हमने जनता और पत्रकारों के लिए चुनावी जानकारी को सत्यापित करने के लिए उपकरणों और तकनीकों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम देने के लिए अपने फैक्ट चेकर्स सहयोगियों को धन सहायता भी प्रदान की है।
राजनीतिक और सामाजिक विज्ञापन की पारदर्शिता में सुधार-हमारा मानना है कि प्रत्येक मतदाता पारदर्शिता का हकदार है क्योंकि वे राजनीतिक चर्चा और बहस में भाग लेते हैं। इसलिए हमने ऐसे कई टूल पेश किए हैं जो फेसबुक और इंस्टाग्राम पर राजनीतिक विज्ञापनों के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करते हैं। पिछले साल दिसंबर में, हमने विज्ञापन प्रवर्तन (एड इन्फोर्समेंट) के विस्तार की घोषणा की, जिसमें सामाजिक मुद्दों को शामिल करने के लिए चुनावों या राजनीति के विज्ञापनों के लिए “किसके लिए भुगतान” (“पेउ बाय फॉर”) डिस्क्लेमर की आवश्यकता थी।
यह उन विज्ञापनों पर लागू होगा जो महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करते हैं, बहस करते हैं या वकालत करते हैं या उनके खिलाफ हैं। हम चाहते हैं कि फेसबुक और इंस्टाग्राम पर सामाजिक मुद्दों, चुनाव या राजनीति पर विज्ञापन चलाने वाले किसी भी व्यक्ति को अधिकृत किया जाए। यह लोगों को इन विज्ञापनों को चलाने वाले व्यक्ति या संगठन का नाम देखने में सक्षम बनाता है। विज्ञापन हमारी विज्ञापन लाइब्रेरी में सात वर्षों के लिए सुरक्षित रहते हैं और किसी भी समय उनकी समीक्षा की जा सकती है।
हमारा मानना है कि एक सूचित समुदाय बनाने और लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए आवश्यक सभी सूचनाओं तक पहुंचने में मदद करने के लिए मेटा की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। हम चुनाव से पहले सुरक्षा मेगाफोन लॉन्च कर रहे हैं ताकि यूजर्स को 2-स्तरीय प्रमाणीकरण सक्रिय करके अपने खातों को ऑनलाइन खतरों से बचाने के बारे में आगाह किया जा सके। यह हिंदी समेत 5 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगा।हम मतदाताओं को सटीक जानकारी देने और मतदाताओं को इस जानकारी को फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर दोस्तों के साथ साझा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए चुनाव दिवस रिमाइंडर भी देंगे।
भारत के चुनाव आयोग के साथ स्वैच्छिक आचार संहिता-2019 में, उद्योग निकाय आईएएमएआई के नेतृत्व में हमने वैध कानूनी आदेश प्राप्त करने के बाद सामग्री से संबंधित दावा प्राप्त करने और स्थानीय कानून के मुताबिक सामग्री को हटाने के लिए, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के लिए भारत के चुनाव आयोग के साथ एक उच्च प्राथमिकता वाला चैनल स्थापित किया था। स्वैच्छिक संहिता इस चुनाव के लिए भी लागू है।
एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड निजी मैसेजिंग सेवाओं के बीच व्हाट्सएप के उद्योग अग्रणी होने को सुनिश्चित करते हुए यूजर्स या उपयोगकर्ता की सुरक्षा हमारे द्वारा की जाने वाली हर चीज के बुनियाद में है। हमने यूजर्स को उन संसाधनों से सशक्त बनाने के लिए प्रॉडक्ट को लगातार विकसित करने और उसे शैक्षणिक मकसद जैसी दोनों कोशिशों से समर्पित प्रयास किए हैं, जो उन्हें सूचनाओं को सत्यापित करने में मदद करते हैं।
व्हाट्सएप सक्रिय रूप से प्लेटफॉर्म पर वायरैलिटी या तेजी से फैलने को रोकता है। हमने ‘फॉरवर्ड’ पर जो सीमाएं लगाई हैं, उन्होंने व्हाट्सएप पर ‘हाई फॉरवर्डेड मैसेज’ के प्रसार को 70% से अधिक कम कर दिया है। हम यूजर्स को समस्याग्रस्त संदेशों का सामना करने पर व्हाट्सएप को खातों को ब्लॉक करने और रिपोर्ट करने की अनुमति देते हैं।
हमारी उन्नत स्पैम डिटेक्शन तकनीक स्वचालित और बल्क मैसेजिंग में संलग्न खातों का पता लगाने और उन पर कार्रवाई करने के लिए चौबीसों घंटे काम करती है, जिसके परिणामस्वरूप हम ऐसे खातों को व्हाट्सएप की सेवा की शर्तों का उल्लंघन करने पर प्रतिबंध लगाते हैं। हमने अकेले दिसंबर 2021 के महीने में ही 20 लाख से अधिक खातों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
सभी चुनावों से पहले, हम राजनीतिक दलों को व्हाट्सएप के जिम्मेदार उपयोग के बारे में प्रशिक्षित करते हैं और पार्टी-कार्यकर्ताओं को उनके खातों के प्रतिबंधित होने की संभावना के बारे में आगाह किया जाता है यदि वे यूजर्स की पूर्व सहमति के बिना लोगों को व्हाट्सएप संदेश भेजते हैं।
इसके अतिरिक्त, हम समय-समय पर कई जागरूकता अभियान चलाते हैं, जिसमें ‘खुशी साझा करें, न कि अफवाह’ और ‘इसे शेयर करने से पहले जांचे’ शामिल हैं, ताकि लोगों को यह याद दिलाया जा सके कि किसी संदेश को फॉरवर्ड करने से पहले तथ्यों को हमेशा दोबारा जांच लें। हम लोगों को सुरक्षित रखने में मदद करने के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करने के सही तरीकों पर प्रशिक्षण प्रदान करना भी जारी रखेंगे।
हम जानते हैं कि चुनाव का समय काफी विवादास्पद होता है और वे अक्सर अप्रत्याशित हो सकते हैं। इसलिए जब हम भारत में इन चुनावों की ओर बढ़ते हैं तो हम उन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होते हैं, जो आएंगी। साथ ही हम बदलती परिस्थितियों और अप्रत्याशित घटनाओं के मुताबिक खुद को ढालने के लिए भी तैयार होते हैं। भारत में लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण अभ्यास की रक्षा के लिए हम अतिरिक्त आवश्यक कदम उठाने से नहीं हिचकिचाएंगे और मतदान शुरू होने से पहले, उसके दौरान और बाद में भी हम अपने प्लेटफॉर्म और भारतीय लोगों को सुरक्षित रखेंगे।
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