India News (इंडिया न्यूज़), Muslims have more children than others: क्या मुसलमान ज़्यादा बच्चे पैदा करते हैं? इस पर हमेशा से ही बहस होती रहती है। लेकिन हकीकत यह है कि दुनिया की धार्मिक संरचना तेज़ी से बदल रही है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह साफ तौर से प्रजनन क्षमता में अंतर है। लेकिन ईसाई धर्म अगले चार दशकों तक सबसे बड़ा धार्मिक समूह बना रहेगा। लेकिन इसे नज़रअंदाज़ करना इस बात को नज़रअंदाज़ करना होगा कि इस्लाम किसी भी दुसरे धर्म की तुलना में तेज़ी से नहीं बढ़ रहा है। अगर दुनिया में जन्म दर का मौजूदा चलन जारी रहा, तो 2050 तक दुनिया भर में मुसलमानों की संख्या ईसाइयों की संख्या के बराबर हो सकती है।
एक रिसर्च सेंटर के डेटा के अनुसार, मुसलमानों की प्रजनन दर वैश्विक स्तर पर सबसे ज़्यादा है। एक औसत मुस्लिम महिला 3.1 बच्चों को जन्म देती है। ईसाई महिलाएँ 2.7 बच्चों की दर के साथ दूसरे नंबर पर हैं। जबकि हिंदू महिलाओं की प्रजनन दर 2.4 है, जो ग्लोबल औसत 2.5 के लगभग बराबर है।
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अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों में नास्तिक, अज्ञेयवादी और किसी भी धर्म को न मानने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी और इससे दुनिया की कुल आबादी में गिरावट आएगी। बौद्धों की जनसंख्या 2010 के बराबर ही रहेगी। लेकिन हिंदुओं और यहूदियों की जनसंख्या वर्तमान से ज्यादा होगी। धर्म के आधार पर यूरोप में भी जनसंख्या अनुपात बदलेगा। यूरोप में कुल जनसंख्या का 10 प्रतिशत मुस्लिम होगा। अगर भारत की बात करें तो यहां हिंदू धर्म को मानने वालों का प्रतिशत ज्यादा होगा। लेकिन अभी के मुकाबले मुस्लिम आबादी भी बढ़ेगी।
हालांकि भारत या दुनिया का कोई भी देश मुस्लिम आबादी के मामले में इंडोनेशिया को पीछे नहीं छोड़ पाएगा। दुनिया की आबादी में मुसलमान दूसरे नंबर पर हैं। रिसर्च सेंटर ने 2010 तक प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक दुनिया की जनसंख्या का अनुमान लगाया है। इसके मुताबिक 2010 तक ईसाई धर्म दुनिया का सबसे बड़ा धर्म था। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में इस धर्म के करीब 2.2 अरब अनुयायी हैं। अगर मौजूदा प्रजनन दर बनी रही तो 21वीं सदी के मध्य तक इस्लाम ईसाई धर्म की बराबरी कर सकता है। 2050 तक मुस्लिम आबादी में तेजी से वृद्धि होगी।
अगर भारत की बात करें तो धार्मिक समूहों पर उपलब्ध जनगणना के आंकड़े 13 साल पुराने हैं। अभी धार्मिक समूहों के बारे में कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। 2011 की जनगणना में मुस्लिम आबादी 17.22 करोड़ बताई गई थी, जो उस समय भारत की 121.08 करोड़ की आबादी का 14.2 प्रतिशत थी। पिछली जनगणना (2001) में मुस्लिम आबादी 13.81 करोड़ बताई गई थी, जो उस समय भारत की आबादी (102.8 करोड़) का 13.43 प्रतिशत थी। 2001 से 2011 के बीच मुस्लिम आबादी में 24.69% की वृद्धि हुई। यह भारत के इतिहास में मुस्लिम आबादी में सबसे धीमी वृद्धि थी। 1991 से 2001 के बीच भारत की मुस्लिम आबादी में 29.49% की वृद्धि हुई।
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