India News (इंडिया न्यूज), Lal Bahadur Shastri Death: आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि है। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, आज ही के दिन, 59 साल पहले 11 जनवरी 1966 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी। यह मौत कोई साधारण मौत नहीं थी, जिसका रहस्य आज भी अनसुलझा है। महज 19 महीने तक देश के प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री ने दुनिया को भारत की ताकत का एहसास कराया था। तब पाकिस्तान को लाल बहादुर शास्त्री की कम लंबाई का मजाक झेलना पड़ा था और जब साल 1965 में युद्ध हुआ तो भारतीय सेना लाहौर शहर के करीब पहुंच गई थी।
पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल अयूब खान किसी भी नेता को उसकी लंबाई से आंकते थे। बताते चलें कि, लाल बहादुर शास्त्री की लंबाई 5 फीट 2 इंच थी और 6 फीट 2 इंच के अयूब खान को लगता था कि शास्त्री जी देश नहीं चला पाएंगे। दरअसल, 1964 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की मौत के बाद अयूब खान ने भारत का दौरा रद्द कर दिया और कहा कि भारत में बात करने के लिए कौन है। जानकारी के अनुसार, अयूब खान ने जब दौरा रद्द कर दिया तो लाल बहादुर शास्त्री खुद पाकिस्तान पहुंच गए। गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में हिस्सा लेने काहिरा गए लाल बहादुर शास्त्री लौटते समय कराची पहुंचे और अयूब खान को संदेश दिया कि वे किसी से नहीं डरते। कराची में उनकी मुलाकात अयूब खान से हुई, लेकिन अयूब खान उन्हें पहचानने में फिर भी चूक गए और उनके व्यक्तित्व से प्रभावित नहीं हुए।
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पाकिस्तान ने इसके एक साल बाद 1965 में बिना किसी उकसावे के भारत के खिलाफ कई मोर्चे खोल दिए और भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया। हालांकि, भारतीय सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया और लाहौर पहुंच गई। भारतीय सेना की कार्रवाई से पाकिस्तान हैरत में पड़ गई और उसने संयुक्त राष्ट्र से गुहार लगाई। संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद ताशकंद समझौते के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की घोषणा हुई। लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद अयूब खान विदेश से भारत आने वाले पहले व्यक्ति थे। लाल बहादुर शास्त्री के शव को देखने के बाद उन्होंने कहा कि यह आदमी भारत और पाकिस्तान को एक साथ ला सकता था।
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ताशकंद समझौते के बाद 11 जनवरी 1966 की रात को प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उनकी मौत कैसे हुई, यह 49 साल बाद भी रहस्य बना हुआ है। उस समय मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया था कि लाल बहादुर शास्त्री की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, लेकिन उनकी पत्नी ने आरोप लगाया था कि उन्हें जहर दिया गया था। जब लाल बहादुर शास्त्री का शव भारत लौटा तो कई लोगों ने संदेह जताया था कि उनकी मौत स्वाभाविक नहीं थी, फिर भी उनके शव का पोस्टमार्टम नहीं किया गया।
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