India News (इंडिया न्यूज), Bangladesh Crisis: दिल्ली का चांदनी चौक सिर्फ भारतीयों का ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देश बांग्लादेश का भी पसंदीदा बाजार रहा है। यहां से भेजी जाने वाली वस्तुओं का बांग्लादेशी महिलाएं बेसब्री से इंतजार करती हैं। चाहे शादी हो या कोई विशेष समारोह, घर की सजावट हो या दफ्तर का काम, चांदनी चौक की वस्तुओं के बिना ये सब अधूरे लगते हैं, खासकर महिलाओं के पहनावे के मामले में। लेकिन पिछले एक हफ्ते से बांग्लादेश में चल रही हिंसा, प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग, और राजनीतिक अस्थिरता के कारण इस व्यापार पर बुरा असर पड़ा है।

दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन के महासचिव श्रीभगवान बंसल ने बताया कि बांग्लादेश में उत्पन्न परिस्थितियों के कारण व्यापार लगभग ठप हो गया है। भारत के कई शहरों से बांग्लादेश में कपड़े भेजे जाते हैं, लेकिन दिल्ली के चांदनी चौक से भेजे जाने वाले लेडीज कॉटन सूट की मांग सबसे अधिक होती है। यहां से बिना सिले हुए कॉटन सूट बांग्लादेश भेजे जाते रहे हैं, जो वहां के महिलाओं के पहनावे का अहम हिस्सा बन चुके हैं।

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लहंगा-चुनरी और शेरवानी का भी होता था बड़े पैमाने पर निर्यात

बंसल ने यह भी बताया कि सिर्फ कॉटन सूट ही नहीं, बल्कि लहंगा-चुनरी और शेरवानी भी बड़ी मात्रा में बांग्लादेश निर्यात किए जाते थे। चांदनी चौक के ब्रांडेड लहंगों के डुप्लिकेट भी वहां काफी लोकप्रिय हैं। लेकिन अब व्यापार लगभग पूरी तरह से रुक चुका है। अनुमान है कि भारत और बांग्लादेश के बीच कपड़ों के व्यापार का कुल मूल्य हजारों करोड़ रुपये था, जो अब ठप हो गया है।

बांग्लादेश में हिंसा और उपद्रव के बाद से वहां के व्यापारियों से संपर्क कट चुका है। पहले जहां फोन के माध्यम से बातचीत होती थी और बैंकिंग चैनलों के जरिए लेनदेन किया जाता था, अब किसी व्यापारी का फोन भी नहीं लग रहा है और न ही उठ रहा है। इस स्थिति में दिल्ली और बांग्लादेश के बीच व्यापार लगभग पूरी तरह से बंद हो गया है।

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चांदनी चौक के व्यापारियों को उठना पड़ रहा हैं भरी नुकसान

बंसल ने यह भी कहा कि चांदनी चौक के कई व्यापारी, जिन्होंने हाल ही में अपना माल बांग्लादेश भेजा था, उन्हें अभी तक भुगतान नहीं मिला है। व्यापार में उधारी का चलन होता है, और बड़ी पेमेंट इसी आधार पर की जाती हैं। जिनका पैसा फंसा हुआ है, वे अब काफी चिंतित हैं।

कोलकाता भी बांग्लादेश के साथ व्यापार का एक प्रमुख केंद्र रहा है। यहां से माल कोलकाता भेजा जाता था, फिर वहां से बांग्लादेश रवाना कर दिया जाता था। लेकिन अब कोलकाता के व्यापारी भी बांग्लादेशी व्यापारियों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं, जिससे व्यापारिक गतिविधियां लगभग ठप हो गई हैं।

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