इंडिया न्यूज, श्रीनगर, (Ghulam Nabi Azad) : गुलाम नबी आजाद ने नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने यह ऐलान जम्मू की सैनिक कॉलोनी में आयोजित एक जनसभा में की। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कांग्रेस आलाकमान पर जमकर निशाना साधा।
उनकी पार्टी का नाम अभी तय नहीं हुआ है। आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी का जो भी नाम होगा वह हिंदुस्तानी होगा। जम्मू-कश्मीर के लोग ही पार्टी का नाम और झंडा तय करेंगे। इसी रैली में उन्होंने अपने तीन अजेंडे भी बता दिए जो कि भविष्य की दिशा तय करेंगे।
आजाद ने सभा में अपने तीन मुद्दों का ऐलान किया। जिसमें जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना, भूमि का अधिकार और अपने राज्य में रोजगार का अधिकार ये मुद्दे हैं। इसके साथ ही आजाद ने कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास को भी अपने अजेंडे में शामिल किया है। गुलाम नबी आजाद ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी पार्टी का नाम न तो उर्दू में होगा और न ही संस्कृत में। उनकी पार्टी का ऐसा नाम होगा जो आम लोगों को आसानी से समझ में आ जाए।
आजाद ने कहा कि दूसरे राज्यों के लोगों को यहां जमीन खरीदने और रोजगार नहीं देने चाहिए। राज्य में वैसे भी बहुत कम नौकरियां हैं। अगर राष्ट्रीय स्तर पर इसका प्रचार किया जाएगा तो यहां के लोगों को कुछ हासिल नहीं हो पाएगा। गुलाम नबी के ये तीन मुद्दे एक तरह से कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। इससे पहले भी हजारों कार्यकर्ता और कई नेता कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी दोनों ही पुरानी पार्टियां हैं। फिलहाल यह तय नहीं हो पाया है कि गुपकार के छाता तले ये पार्टियां साथ में चुनाव लड़ेंगी या फिर अलग-अलग। गौरतलब है कि गत दिनों नेशनल कान्फ्रेंस में एक प्रस्ताव पेश किया गया था। जिसमें यह कहा गया था कि पार्टी 90 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।
वहीं गुपकार जिसके चीफ फारूक अब्दुल्ला ही हैं, ऐलान कर चुके है कि इसके घटक दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे। वैसे लोग अब नया विकल्प तलाशते हैं। गुलाम नबी आजाद एक बेदाग छवि वाले मझे हुए नेता रहे हैं। उनकी बेदागी छवि को देखते हुए लोग नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी को छोड़कर आजाद की पार्टी पर भरोसा आसानी से करेंगे।
जम्मू-कश्मीर में भाजपा पूरी तरह से ताल ठोक रही है। अभी भाजपा ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यहां उसका गठबंधन किससे होगा लेकिन इतना जरूर है कि वह अपने कुछ सहयोगियों को साथ चुनाव लड़ेगी। जम्मू क्षेत्र में भाजपा की अच्छी पकड़ है लेकिन कश्मीर में उसे खास समर्थन प्राप्त नहीं है। ऐसे में अगर गुलाम नबी आजाद की पार्टी यहां चुनाव लड़ती है तो एनसी व पीडीपी को नुकसान होगा जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। वैसे अभी भविष्य के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
आजाद ने कांग्रेस छोड़ने के बाद भी भाजपा की तारीफ की थी। इससे यह कयाश लगाया जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद भाजपा के सामने कुछ शर्तें रखें। अगर बात बन जाती है तो वह जम्मू-कश्मीर में मिलकर चुनाव लड़ सकते है। यह भी बड़ी बात नहीं है कि भाजपा गुलाम नबी आजाद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर दे। अगर स्थितियां ऐसी बनती है तो जम्मू-कश्मीर में भाजपा को काफी फायदा होगा।
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