इंडिया न्यूज, अहमदाबाद, (Govt Officials Under RTI) : आरटीआई के तहत सरकारी अधिकारियों को परेशान करने के आरोप में आयोग ने नौ लोगों पर आजीवन आरटीआई दाखिल करने व प्रश्न पूछे जाने पर बैन लगा दिया है। यह कार्रवाई गुजरात सूचना आयोग ने की है। इसके तहत आरोपी अब सूचना के अधिकार का उपयोग कर प्रश्न नहीं कर पाएंगे और न आगे से उनके आवेदनों का कोई जवाब ही दिया जाएगा।
गुजरात सूचना आयोग के इस कदम का विरोध एक एनजीओ ने किया है। एनजीओ ने पहले पिछले दो सालों में सूचना आयोग के अधिकारियों के दिए गए फैसले का विश्लेषण किया और यह पाया कि गुजरात में पहली बार ऐसा हुआ है जब लोगों को सूचना हासिल करने के अधिकार से जिदंगी भर के लिए वंचित कर दिया गया है।
आयोग ने बताया कि इन नौ लोगों ने आरटीआई अधिनियम का बार-बार उपयोग कर और अधिक मात्रा में सवाल पूछकर अधिकारियों को बेवजह परेशान किया है। आयोग ने आनंद जिले में पेटलाड शहर के आवेदक हितेश पटेल पर आरटीआई का दुरुपयोग करने के लिए उन पर 5,000 रुपए का जुमार्ना भी लगाया है।
एनजीओ के पंक्ति जोग ने बताया कि गुजरात में ऐसा पहली बार ऐसा हो रहा है कि लोगों को सूचना मांगने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। जबकि आरटीआई अधिनियम के अनुसार आवेदकों पर प्रतिबंध लगाने का कोई नियम नहीं है। यहां तक कि केंद्रीय सूचना आयोग ने भी एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि ऐसा कोई नियम नहीं है। जोग ने कहा है कि इस फैसले को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
गांधीनगर की स्कूल शिक्षिका अमिता मिश्रा ने अपनी सेवा पुस्तिका और वेतन विवरण की एक प्रति मांगी थी। इस पर सुनवाई करते समय सूचना आयुक्त के एम अध्वर्यु ने बताया कि वह जिस संस्था में काम कर रही है उसी को परेशान करने में लगी हुई हैं। वह बार-बार एक ही चीज जानना चाहती है, उन्हें गलत आरोप लगाने की आदत है। उन्हें कड़ी सर्व विद्यालय और गांधीनगर जिला शिक्षा अधिकारी से आगे से जानकारी लेने से रोक दिया गया।
एनजीओ के अनुसार इस सूची में सूरत के अर्जुनसिंह सोलंकी भी शामिल हैं। जिन्हें दक्षिण गुजरात विज कंपनी लिमिटेड (डीजीवीसीएल) से जानकारी मांगने से रोक दिया गया है। क्योंकि उनके सवालों का जनहित से कोई लेना-देना नहीं है और यह आरटीआई अधिनियम का दुरुपयोग है।
यह देखते हुए कि सोलंकी पहले से ही बिजली चोरी के कई मामलों का सामना कर रहा है और 2011 और 2021 के बीच उसने कई आरटीआई दायर किए थे। जीआईसी ने कहा कि वह अधिकारियों को परेशान करने के लिए ऐसा कर रहे थे। इसलिए आयोग ने डीजीवीसीएल को आगे से उसके किसी भी आरटीआई प्रश्न पर विचार नहीं करने का निर्देश दिया।
आयोग ने मोडासा कस्बे के कस्बा के एक स्कूल कर्मचारी सत्तार मजीद खलीफा पर भी प्रतिबंध लगा दिया। उसका सुनवाई के दौरान अधिकारियों के सामने बर्ताव सही नहीं था। यह सुनवाई वर्चुअल तरीके से हो रही थी। सूचना आयुक्त के एम अध्वर्यु ने अपने फैसले में कहा कि उसे जिला शिक्षा अधिकारियों से कोई भी सवाल पूछने का अधिकार नहीं है क्योंकि उसका बर्ताव, हाव-भाव सही नहीं था और वह लगातार अधिकारियों के साथ-साथ आयोग को भी परेशान कर रहा था।
प्रतिबंधितों की इस सूची में निलंबित बस कंडक्टर मनोज सरपदादिया भी शामिल है। उसे अब गुजरात के किसी भी कार्यालय से जानकारी प्राप्त करने से रोक दिया गया है। जीआईसी ने बताया कि सरपदादिया ने करीब 150 आरटीआई दाखिल किया है। उसने जिस तरह के सवाल पूछे हैं। जो आरटीआई के दायरे में आता ही नहीं है। उसके प्रश्न से अधिकारी बेवजह परेशान रहते थे। उसका प्रश्न समाप्त ही नहीं हो रहा था।
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