India News (इंडिया न्यूज़), Gujarat game zone accident: गुजरात के राजकोट में टीआरपी गेमज़ोन के मालिकों में से एक प्रकाश हिरन की भी आग में झुलसने से मौत हो गई। बता दें, इस भीषण आग में बच्चों सहित 27 लोगों की मौत हो गई थी।
आग लगने के समय से कैद सीसीटीवी फुटेज में हिरन को घटनास्थल पर देखा गया, जिससे घटना के दौरान उनकी मौजूदगी की पुष्टि होती है, उनकी कार आग लगने वाली जगह पर पाई गई। हिरन के भाई, जितेंद्र ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई, जिसमें दावा किया गया कि जब आग परिसर में लगी, तब उनका भाई गेमिंग ज़ोन के अंदर था।
फोरेंसिक विभाग ने उनकी मां के डीएनए नमूने लिए और आज पुष्टि की कि प्रकाश की भी आग में मौत हो गई। कई शव पहचान से परे जल गए थे और पुलिस ने शवों की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण का इस्तेमाल किया। रेसवे एंटरप्राइजेज के पार्टनर प्रकाश के पास गेमिंग ज़ोन में 60 प्रतिशत स्वामित्व था और गुजरात पुलिस ने उन्हें आरोपी बनाया था। पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में छह लोगों को आरोपी बनाया गया है – धवल एंटरप्राइजेज के मालिक धवल ठक्कर, रेसवे एंटरप्राइजेज के साझेदार अशोकसिंह जडेजा, किरीटसिंह जडेजा, प्रकाश हिरन, युवराजसिंह सोलंकी और राहुल राठौड़ – जिन्होंने मिलकर गेम जोन चलाया था, जहां आग लगी थी।
इस मामले का मुख्य आरोपी ठक्कर घटना के बाद से फरार था और उसे राजस्थान से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस को सूचना मिली थी कि वह राजस्थान में अपने रिश्तेदार के घर छिपा हुआ था। युवराजसिंह सोलंकी, नितिन जैन और राहुल राठौड़ को दो सप्ताह की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
उन पर आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 337 (किसी व्यक्ति के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्य से चोट पहुंचाना), 338 (किसी व्यक्ति के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्य से उसे गंभीर चोट पहुंचाना) और 114 (अपराध किए जाने के समय वहां मौजूद कोई व्यक्ति) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
25 मई को मनोरंजन केंद्र में लगी भीषण आग में बच्चों समेत 27 लोगों की मौत हो गई थी। चूंकि शव इतनी बुरी तरह जल चुके थे कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही थी, इसलिए राज्य सरकार ने डीएनए प्रोफाइलिंग के जरिए पीड़ितों की पहचान करने के लिए फोरेंसिक साइंस लैब की मदद ली।
गुजरात उच्च न्यायालय को बताया गया कि गेमिंग जोन ने इस साल तक अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र के लिए आवेदन नहीं किया था। अदालत ने कहा, “यह घटना आंखें खोलने वाली है। मासूम बच्चों की मौत के बाद व्यवस्था की आंखें खुल गई हैं। छोटे बच्चों की मौत की कीमत पर ऐसा खेल का मैदान नहीं चलाया जा सकता।” अदालत ने सत्तारूढ़ भाजपा को हलफनामे के रूप में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसे विशेष जांच दल को सौंपा जाना है।
गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “क्या आप अंधे हो गए हैं? क्या आप सो गए हैं? अब हमें स्थानीय व्यवस्था और राज्य पर भरोसा नहीं है,” अदालत ने यह कहते हुए नाराजगी जताई कि चार साल से अग्नि सुरक्षा प्रमाणन सुनवाई का समाधान नहीं हुआ है।
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