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Rahul Gandhi: राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से राहत नहीं, कोर्ट ने कहा- निचली अदालत का फैसला सही

Roshan Kumar • LAST UPDATED : July 7, 2023, 11:48 am IST

India News (इंडिया न्यूज़), Rahul Gandhi, गुजरात: उच्च न्यायालय ने ‘मोदी चोर’ वाली टिप्पणी के मामले में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सजा पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सत्र न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा। अब राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे या संसद सदस्य (सांसद) के रूप में अपनी स्थिति के निलंबन को रद्द करने की मांग नहीं कर पाएंगे। वह हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।

  • 23 मार्च को आया था फैसला
  • सांसदी इसी मामले में गई
  • सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प

गुजरात हाई कोर्ट का कहना है कि ट्रायल कोर्ट का दोषी ठहराने का आदेश उचित है, उक्त आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है। इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है। कोर्ट ने आगे कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं। बीजेपी नेता पूर्णश मोदी ने राहुल गांधी पर मानहानि का मुकदमा किया था जिसमें उन्हें सजा हुई है।

10 मामले लंबित

जस्टिस हेमन्त प्रच्छक की सिंगल बेंच ने मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने कहा, “उनके खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं। मौजूदा केस के बाद भी उनके खिलाफ कुछ और केस दर्ज हुए। ऐसा ही एक मामला वीर सावरकर के पोते ने दायर किया है। वैसे भी, दोषसिद्धि से कोई अन्याय नहीं होगा। दोषसिद्धि न्यायसंगत एवं उचित है। उक्त आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए, आवेदन खारिज किया जाता है।”

क्या है मामला?

13 अप्रैल 2019 लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गांधी के कर्नाटक के कोलार में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, “नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी। सभी चोरों का नाम ‘मोदी’ कैसे है?” भाजपा के पूर्व विधान सभा सदस्य (एमएलए) पूर्णेश मोदी ने उक्त भाषण पर आपत्ति जताते हुए दावा किया कि गांधी ने मोदी उपनाम वाले व्यक्तियों को अपमानित और बदनाम किया।

सूरत की मजिस्ट्रेट अदालत ने मोदी की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि गांधी ने अपने भाषण से जानबूझकर ‘मोदी’ उपनाम वाले लोगों का अपमान किया है। मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च 2023 को उनकी टिप्पणी के लिए उन्हें दोषी ठहराया। न्यायाधीश हदीराश वर्मा ने फैसला दिया था। सूरत की एक सत्र अदालत ने 20 अप्रैल को गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उनकी सजा को निलंबित करने की मांग की गई थी। इस मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

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