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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को लगा बड़ा झटका…मुसलमानों मे मनाई जश्न, जानें कोर्ट का क्या है फैसला

India News(इंडिया न्यूज),Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है। वाराणसी की कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे की मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा है कि ज्ञानवापी के बाकी हिस्सों का एएसआई सर्वे नहीं होगा। कोर्ट के फैसले पर हिंदू पक्ष का कहना है कि वह फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देगा। ज्ञानवापी मामले के मुख्य मामले में 33 साल बाद यह फैसला आया है। वाराणसी की एफटीसी कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के अतिरिक्त सर्वे की मांग को खारिज कर दिया है। इस मामले से जुड़े मामले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण जुगल शंभू की कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका खारिज कर दी।

1991 के लॉर्ड विशेश्वर बनाम अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी के मूल मामले में कोर्ट ने अपने 18 पन्नों के फ़ैसले में हिंदू पक्ष की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इससे जुड़े मामले पहले से ही हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं. हिंदू पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि कोर्ट ने हमारी कोई दलील नहीं सुनी. यहां तक ​​कि 18 अप्रैल 2021 के फ़ैसले को भी नज़रअंदाज़ कर दिया गया. हम इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट जाएंगे.

मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट के फ़ैसले का किया स्वागत

दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत किया है. मुस्लिम पक्ष के वकील अख़लाक़ अहमद ने कहा कि कोर्ट ने हमारी दलीलें स्वीकार की हैं और हमारे पक्ष में फ़ैसला सुनाया है. हम पहले से ही कह रहे थे कि इससे जुड़े मामले पहले से ही उच्च न्यायालय में चल रहे हैं. इसलिए इस याचिका को इस कोर्ट द्वारा ख़ारिज कर दिया जाना चाहिए. हमें खुशी है कि कोर्ट ने हमारी बात सुनी.

मुख्य मुद्दे

  • हिंदू पक्ष ने मांग की कि ज्ञानवापी परिसर की सच्चाई जानने के लिए बंद तहखानों के साथ ही सील किए गए वजूखाना और परिसर के बाकी हिस्से का एएसआई सर्वे हो।
  • शिवलिंग जैसी आकृति की सच्चाई जानने के लिए 4×4 खाई खोदने की अनुमति।
  • एएसआई द्वारा सर्वे किए गए प्लॉट नंबर 1930 का 1931 से 1932 से क्या संबंध है?

एफटीसी कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें

1991 के भगवान विश्वेश्वर के मूल मुकदमे में अतिरिक्त सर्वे की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने 25 अक्टूबर को आदेश सुनाने के लिए फाइल सुरक्षित रख ली थी। सबसे ज्यादा बहस इसी मुद्दे पर हुई। पूरे परिसर के सर्वे से जुड़ी याचिका का प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने विरोध किया। बताया गया कि सर्वे एएसआई ने कर लिया है। अब अतिरिक्त सर्वे की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक पुराने आदेश में कहा है कि अब ज्ञानवापी में कोई भी काम होगा तो उसके लिए अनुमति लेनी होगी। इसलिए यह याचिका खारिज करने योग्य है।

इस मामले में विजय शंकर रस्तोगी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने वजूखाना को संरक्षित करने का निर्देश दिया है और वजूखाना व शेष परिसर का सर्वे सुरक्षित माहौल में किया जा सकता है। अधूरी सर्वे रिपोर्ट के कारण हिंदू पक्ष को नुकसान होगा। मुख्य गुंबद से सौ फीट नीचे आदिविशेश्वर का ज्योतिर्लिंग है। इसकी सच्चाई जानने के लिए 4×4 की खाई खोदने की अनुमति दी जाए।

रस्तोगी ने दलील दी कि मुख्य गुंबद से सौ फीट नीचे आदिविशेश्वर का ज्योतिर्लिंग है। उन तक पहुंचने के लिए 4×4 फीट की खाई खोदी जा सकती है और जीपीआर सर्वे के जरिए इसका पता लगाया जा सकता है। एएसआई के जीपीआर के जरिए किए गए सर्वे में भी 5.8 मीटर से नीचे सिग्नल नहीं मिल रहा था और भारी पत्थरों से भरी किसी चीज के बारे में पता चला था।

मुस्लिम पक्ष ने जज युगल शंभू से कहा कि रस्तोगी की यह मांग अव्यवहारिक है। मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद और अखलाक अहमद ने कहा कि एक तो सौ फीट तक 4×4 का गड्ढा खोदना और फिर इतनी गहराई में जाकर जीपीआर सर्वे करना अव्यवहारिक है और दूसरी बात कोर्ट ने किसी भी तरह की खुदाई पर रोक लगा दी है।

सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि 1883-84 के स्थाई बंदोबस्त में प्लॉट संख्या 9130 के सामने अहले इस्लाम लिखा हुआ है। मुस्लिम पक्ष का यह सबसे मजबूत दावा था कि ज्ञानवापी का मालिकाना हक उनके पास है। इसी आधार पर मुस्लिम पक्ष ने दीन मोहम्मद का केस जीत लिया।

हिंदू पक्ष की ओर से रस्तोगी ने कहा कि सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने फर्जीवाड़ा करके भगवान विशेश्वर की जगह अहले इस्लाम लिख दिया है। दोषीपुरा मामले में सुप्रीम कोर्ट में बनारस के 245 वक्फ फर्जी साबित हो चुके हैं। मुस्लिम पक्ष को प्लॉट 9130 के वक्फ से संबंधित कागजात दिखाने चाहिए, जिस पर उनका दावा है कि अहले इस्लाम लिखा हुआ है।

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Divyanshi Singh

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