India News (इंडिया न्यूज), Indira Gandhi Protest: ये राजनीति है यहां कब क्या हो जाए। ये कोई नहीं जानता है। बस एक ही घटना काफी होती है किसी भी सीन को सीधा पलटने के लिए। साल 1977 में कुछ ऐसी ही कहानी लिखी गई थी। अगर आपको इतिहास में दिलचस्पी है तो ये जानते होंगे कि इसी साल ही इमरजेंसी को खत्म किया गया था। इसके बाद सत्ता में जोरदार पलट हुआ था। यानि इंदिरा गांधी के हाथ से सत्ता रेत की तरह फिसल गई थी। मोरारजी देसाई जब देश के प्रधानमंत्री थे उस वक्त उनकी सरकार में किसानों के मसीहा और भारत रत्न चौधरी चरण सिंह गृह मंत्री थे।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा से इमरजेंसी में अपनी गिरफ्तारी का बदला लेने के लिए उतारु थे। इतिहास के पन्नों पर अगर नजर डालें तो इंदिरा गांधी और चौधरी चरण के रिश्तों में खटास की महक आती थी। दोनों के बीच शुरुआत से ही तनावपूर्ण माहौल था। इसके पीछे की वजह है चौधरी चरण सिंह जो थे वो नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक सब के खिलाफ थे। यह भी जान लें कि जब चौधरी चरण सिंह कांग्रेस में थे तब भी वह पीएम नेहरू की नीतियों का जमकर विरोध किया करते थे। इसके साथ ही वो किसानों की आवाज को बुलंद करते थे।
जब पंडित नेहरू ने दुनिया को अलविदा कहा तो उसके बाद चरण सिंह ने कांग्रेस पार्टी को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। फिर अपनी पार्टी को खड़ा किया। उनकी पार्टी का नाम था भारतीय क्रांति दल। कई दूसरे समाजवादी नेताओं के समर्थन से वह 1967 और 1970 में यूपी के सीएम पद पर काबिज हो गए। लेकिन जून 1975 में जब इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागु की तो चौधरी चरण सिंह अरेस्ट हो गए फिर उन्हें जेल जाना पड़ा। साल 1977 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा। फिर गृह मंत्री बनते ही चौधरी चरण सिंह ने देश के जिन-जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थी, वहां की विधानसभा को पूरी तरह से भंग करके रख दिया था।
कहते हैं सत्ता कब किसके पाले में चला जाए ये कोई नहीं कह सकता है। इसके बाद अब इंदिरा गांधी पर कार्रवाई होनी बाकी थी। जिसके अनुसार इंदिरा पर दो आरोप लगे। जिसके तहत एक चुनाव प्रचार में सरकारी जीपों को यूज करने का और दूसरा ओएनजीसी के एक ठेके का। इसके बाद इंदिरा भी सीना ठोक कर कह रही थीं कि पहले मुझे गिरफ्तार करके दिखाओ।
फिर वो दिन आया जिसका उस वक्त किसी ने नहीं सोचा था। 3 अक्तूबर जब सीबीआई की टीम शाम करीब पौने पांच बजे 12 वेलिंग्टन क्रेसेंट पहुंचती है। जो कि इंदिरा गांधी का यहां आवास है। चौधरी चरण सिंह ने यह साफ किया था कि CBI उन्हें बिना हथकड़ियों के गिरफ्तार करेगी। लेकिन इंदिरा गांधी ने कहा कि मुझे हथकड़ी लगाओ। उस समय गांधी परिवार के लोग और बड़ी संख्या में कांग्रेस के लोग वहीं खड़े थे। फिर शाम 7.30 पर इंदिरा गांधी घर से बाहर निकलीं। उसकी खुली कार पर खड़ी हो गई थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार CBI और दिल्ली पुलिस चाहती थी कि टीम इंदिरा गांधी को फरीदाबाद के बड़खल गेस्ट हाउस लेकर जाए। बता दें रास्ते में एक रेलवे फाटक पड़ता था जो उस वक्त बंद था। उस समय एक साथ दो ट्रेनें गुजरने वाली थीं। जिसमें बहुत वक्त लग गया। फिर क्या थाइंदिरा गांधी गाड़ी से उतर गईं और पास में मौजूद रेलवे लाइन की पुलिया के पास धरने पर बैठ गई। उस समय संजय गांधी, हरियाणा के दिग्गज नेता बंसीलाल के अलावा भारी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता इंदिरा के साथ खड़े थे।
इंदिरा के वकीलों ने यह दलील दी कि आपके पास वारंट दिल्ली का है तो आप दूसरे राज्य की सीमा में आकर गिरफ्तार नहीं कर सकते फिर बहुत मान मशक्कत के बाद दिल्ली पुलिस की टीम इंदिरा गांधी को लेकर वापस दिल्ली पहुंची। अगले दिन इंदिरा कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने गिरफ्तारी के आधार को कमजोर माना। फिर 16 घंटे में इंदिरा गांधी बाहर आ गई थी। इस गिरफ्तारी ने सहानुभूति लहर को पैदा कर दिया। फिर 1980 के लोकसभा में 353 सीट पर कब्जा किया। इंदिरा गांधी फिर पीएम बनीं और कांग्रेस ने हरियाणा की भी आधी सीटों को अपने नाम कर लिया।
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