India News (इंडिया न्यूज़) (मनोज मनु) Madhya Pradesh Election: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान तीनों के विधानसभा चुनाव अपने चरम पर पहुँच रहे हैं। तीनों ही राज्यों में देखा जाए तो ख़ासकर छत्तीसगढ़ से कुमारी शैलेजा मध्य प्रदेश में BJP की ओर से चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और कांग्रेस के चुनाव प्रभारी रणदीप सुरजेवाला की अग्नि परीक्षा है। पूरा देश इन नेताओं का चुनावी कौशल और प्रबंधन देखना चाहता है।

फ़िलहाल कांग्रेस का पलड़ा भारी

कांग्रेस ने अपनी चुनावी संगठनात्मक परिवर्तन कर छत्तीसगढ़ में प्रभारी के तौर पर PL पुनिया की जगह कुमारी शैलेजा को प्रभारी बनाया है। कुमारी शैलेजा के प्रभारी बनने के बाद वहाँ के प्रदेश संगठन में बदलाव हुआ और बदलाव करते हुए कई सारी रणनीति बनाई गई है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नाराज गुट को ये एहसास दिलाने की कोशिश की गई है। दिल्ली आला कमान हर हालत में गुटबाज़ी नहीं चाहता है बल्कि हर गुट में बैलेंस रखना चाहता है और इसी कड़ी में मोहन मरकाम को हटाकर दीपक बैज को प्रदेश अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी दी गई है।

अपने आपको अलग थलग मान चुके TS सिंह देव को उप मुख्यमंत्री और मंत्री पद के साथ ताम्रधव्ज साहू को केंद्रीय चुनाव समिति में लेकर यह संकेत देने की कोशिश की गई कि पार्टी आलाकमान हर किसी को समान नज़र से देख रहा है। प्रदेश में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सक्रियता को देखते हुए कुमारी शैलजा ने अपने दौरे और बैठकों को भी बढ़ा दिया है। BJP की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,ओम माथुर और मनसुख मांडविया की लगातार बैठकें और सक्रियता ने सत्ता में बैठी कांग्रेस को भले ही परेशानी में डाल रखा हो लेकिन फ़िलहाल पलड़ा कांग्रेस का ही भारी है।

रणदीप सुरजेवाला का राजनैतिक इतिहास

ऊधर कांग्रेस की बात करें तो मध्य प्रदेश का चुनावी रण भी चरम पर पहुँच रहा है। हरियाणा के दो दिग्गज आमने सामने है। मध्य प्रदेश के प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल को मध्य प्रदेश का प्रभार से हटाते हुए राहुल गांधी के विश्वस्त रणदीप सुरजेवाला को मध्य प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। चंडीगढ़ में जन्में रणदीप सुरजेवाला को राजनीति विरासत में मिली लेकिन राजनीति की ABCD उन्होंने हरियाणा से सीखी। उनके पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला हरियाणा में कांग्रेस के बड़े नेता रहे है।

रणदीप ने कम उम्र में ही राजनीति शुरू की और सत्रह साल में हरियाणा युवा कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी बने। सही मायने में सुरजेवाला का राजनैतिक सफ़र 1993 उपचुनाव से शुरू हुआ और वो तेज़ी से आगे बढ़ते चले गए। उन्होंने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को 1996 और 2005 में हराकर सुर्खियां बटोरी। साल 2000 में वह यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और हाल ही में कर्नाटक के चुनाव का ज़िम्मा भी उनके हाथ में था। कर्नाटक में कांग्रेस को मिली सफलता के कारण ही उनकी चर्चा ज़ोरों पर है। कमलनाथ से मनमुटाव के चलते पार्टी जय प्रकाश अग्रवाल को हटाकर संतुलन बनाने वाले नेता को प्रभारी महासचिव बनाना चाहती थी। तो ज़िम्मेदारी रणदीप सुरजेवाला को दी गई है.

रणदीप सुरजेवाला बनाम भूपेंद्र यादव

अब रणदीप सुरजेवाला के सामने चुनौती हरियाणा के ही रहने वाले भूपेंद्र यादव से है। यह महज़ इत्तफ़ाक है के भूपेंद्र यादव भी हरियाणा गुरुग्राम के जमालपुर गाँव के रहने वाले है और उनकी पढ़ाई लिखाई अजमेर में हुई। 7 साल की उम्र से ही वो RSS से जुड़े। साल 1992 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे हे। राजनीति से पहले वो अच्छे एडवोकेट माने जाते हैं। 2000 में वो ABVP के महासचिव बने। 2010 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। 2012 में राजस्थान सेराज्यसभा सदस्य बने। 2018 में भी बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा में पहुंचाया। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति में भी उन्हें जगह मिली। मध्य प्रदेश के चुनाव प्रभारी बनने से पहले वो राजस्थान गुजरात मणिपुर में भी चुनाव प्रभारी रहे हैं।

मज़ेदार बात है के मध्य प्रदेश के ये दोनो चुनाव प्रभारियों को वकालत में महारत हासिल हैं। मध्य प्रदेश में वैसे तो देखा जाय टक्कर शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ के बीच है लेकिन भूपेंद्र यादव और रणदीप सुरजेवाला को दोनों ही राजनैतिक पार्टियों ने अपनी ओर से संजय बनाकर मध्य प्रदेश के चुनावी महाभारत में भेजा है। अब देखना होगा कि कौन इस अग्नि परीक्षा में सफल होता है और कौन असफल ।

 

Also Read: