India News (इंडिया न्यूज),  Hathras Stampede: यूपी के हाथरस में 2 जुलाई को भगदड़ मचने से 122 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। बता दें यह भगदड़ भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची थी। भगदड़ में कई लोग घायल भी हो गए थे। जिसके बाद से मामले को लेकर कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।

भगदड़ के बाद से भोले बाबा चर्चा का विषय बन गए हैं। लगातार बाबा से जुड़ी कई जानकारियां सामने आ रही हैं। कोई जादुई नल की बात कर रहा है तो कोई बाबा के पैरों की धूल की बात कर रहा है। वहीं अब एक केतली सामने आया है। जिसके पिछे कई राज छिपे हैं।

क्या है केतली का राज ?

बाबा के केतली से भक्त अमृत प्रसाद समझकर पीते हैं। मीडिया रिपोर्ट की माने तो संभल में बाबा नारायण साकार हरि के आश्रम में मौजूद सफेद रंग की चाय की केतली को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। बता दें कि भक्त इसे बाबा की कथित चमत्कारी केतली कहते हैं। भक्त मानते हैं कि केतली से अमृत प्रसाद निकलता है।  ये वो केतली है जिसके पदार्थ को बाबा के भक्त अलौकिक शक्तियों से भरपूर मानते हैं।

Unnao Bus Accident: आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर भयावह हादसा, बिहार से दिल्ली आ रही डबल डेकर बस की दूध के टैंकर से टक्कर, 18 की मौत

बाबा की खास काली चाय

आश्रम में मौजूद सेवादार कि माने तो वो काली चाय है जिसके आगे मेडिकल साइंस भी फेल है। वहीं आश्रम के सेवादारों के मुताबिक इस चाय को पीने से बड़ी से बड़ी बीमारियां भी दूर हो जाती हैं। ये बाबा की खास काली चाय है, जो भक्तों को प्रसाद के तौर पर दी जाती है।  भोले बाबा के भक्तों के लिए ये काली चाय अमृत प्रसाद है।

कैसे बनती है चमत्कारी चाय

बता दें ये चाय खास चूल्हे पर बनती है। यहां भक्तों को जो चाय मिलती है। इसे एक तरह का गिलोय और नींबू का रस कह सकते हैं। आश्रम में आने वाले अपने भक्तों को बाबा काली चाय देते हैं और इससे उनके दुख दूर होते हैं। बाबा के आश्रम की तथाकथित चमत्कारी चाय भी खास चूल्हे पर बनती है।

Hathras Stamped: ‘SIT की रिपोर्ट राजनीति से प्रेरित’, जानें BSP सुप्रीमो मायावती ने ऐसा क्यों कहा

आश्रम के सेवादार भक्तों के लिए ये चाय तैयार करते हैं। इसमें लौंग, काली मिर्च, दालचीनी और पपीते के पत्ते, अदरक, नींबू, काला नमक, गिलोय, चायपत्ती और तुलसी जैसी कई चीजें शामिल होती हैं. इस चाय में दूध नहीं मिलाया जाता है। भक्त इस काली चाय को अमृत रस कहते हैं। हालांकि, यहां चाय खास तौर पर सेवादारों और अनुयायियों को परोसी जाती है।