इंडिया न्यूज़ (India News), Hathras Stampede: हाथरस भगदड़ की घटना में करीब 121 लोगों की जान चली गई और 31 लोग घायल हुए हैं। घटना के बाद से कासगंज जिले की पटियाली तहसील का बहादुर नगर गांव सुर्खियों में है।
इसकी वजह है गांव में बना एक आश्रम और यहां लगे दर्जनों हैंडपंप। इनमें से एक हैंडपंप लाखों श्रद्धालुओं के लिए किसी ‘चमत्कार’ से कम नहीं है। यह आश्रम साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा की जन्मस्थली है। भोले बाबा के इस आश्रम में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। हर मंगलवार को भक्तों की संख्या काफी ज्यादा होती है।
एटा-पटियाली मार्ग पर बहादुर नगर गांव में 27 साल पहले आश्रम की स्थापना हुई थी। इसे नारायण साकार हरि धाम के नाम से जाना जाता है। यह धाम पटियाली से 4 किमी दूर सड़क से कुछ मीटर अंदर स्थित है। धाम पर हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। बुधवार को भी आश्रम में भक्तों का आना जारी रहता है। स्थानीय लोगों के अनुसार आश्रम के पास करीब 30 बीघा जमीन है। 5 बीघा जमीन पर भव्य आश्रम बना हुआ है। इस आश्रम को श्री नारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट को सौंप दिया गया है।
नारायण साकार हरि धाम यानी भोले बाबा के आश्रम के भक्तों की उन पर अटूट आस्था है। इस आश्रम में लगे हैंडपंप का पानी भक्तों के लिए ‘अमृत’ से कम नहीं है। यह हैंडपंप भक्तों के लिए ‘चमत्कार’ है। इसका पानी भक्त प्रसाद के रूप में अपने साथ ले जाते हैं। आश्रम में मौजूद एक शिष्य का दावा है कि इस हैंडपंप का पानी पीने से बीमारियां दूर होती हैं।
धाम में आने वाले सभी श्रद्धालु इस जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और अपने साथ ले जाते हैं। स्थानीय निवासी ने बताया कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं के कष्ट दूर होते हैं। जिनके दुख-दर्द दूर हो जाते हैं वे खुशी-खुशी यहां दूसरा हैंडपंप लगवा लेते हैं।
आश्रम में आने वाले श्रद्धालुओं को कई नियमों का पालन करना पड़ता है। इसमें खास नियम वह है, जिससे स्थानीय दुकानदार निराश होते हैं। श्रद्धालुओं को आश्रम के आसपास की दुकानों से किसी भी तरह का सामान खरीदने की मनाही होती है। नारायण साकार हरि धाम में वीडियोग्राफी और फोटो खींचने की भी सख्त मनाही है। साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा की पत्नी जिन्हें श्रद्धालु साकार माता श्री कहते हैं की अनुमति से धाम पर एक बोर्ड लगाया गया है, जिसमें श्रद्धालुओं को आश्रम में आने पर कई नियमों का पालन करने को कहा समिति के सदस्य आश्रम की साफ-सफाई से लेकर धाम की जमीन पर खेती-बाड़ी तक का सारा काम करते हैं। आश्रम के कर्मचारियों और समिति के लिए भोजन खेत में उगाई गई सब्जियों और अनाज से तैयार किया जाता है। बाहर से आने वाले श्रद्धालु अपना भोजन खुद लेकर आते हैं।
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