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Hathras Stampede: यहां छुप कर बैठे हैं भोले बाबा? बिल से बाहर निकालने पहुंची पुलिस

Reepu kumari • LAST UPDATED : July 3, 2024, 11:04 am IST

India News (इंडिया न्यूज़), Hathras Stampede: बीते मंगलवार को जो हाथरस में हुआ उससे पूरा देश सहम गया है। फुलवई गांव में सत्संग के बीच में जो मौत का खेल चला उसका दर्द भूला नहीं जा सकता है। हर तरफ लाशें ही लाशें बिछी हुई था। वहीं इस बीच जिस बाबा के सत्संग में लोग आए थे वो बाबा ही भगदड़ के वक्त अपने भक्तों को छोड़कर फरार हो गए। जिनकी तलाश में पुलिस जगह- जगह छापेमारी कर रही है।

मंगलवार की त्रासदी ने सबको हिला कर रख दिया है। सत्संग फुलवई गांव में राजमार्ग से सटे एक स्थान पर आयोजित किया जा रहा था। इसके लिए एक बड़ा तंबू लगाया गया था। यह एक दिवसीय आयोजन था इसलिए सुबह से ही श्रद्धालु यहां पहुंचना शुरू हो गए थे। इसके बाद दोपहर करीब 12 बजे स्वयंभू संत भोले बाबा कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। उस व्यक्ति के भक्तों में कई पुलिसकर्मी भी शामिल थे, जो हाथ उठाकर बाबा की प्रशंसा में नारे लगाते देखे गए।

  • आश्रम में छुपे हैं भोले बाबा?
  • भगदड़ की ये है वजह 
  • बाबा की तलाश जारी 

आश्रम में छुपे हैं भोले बाबा?

मंगलवार को हुए हादसे के बाद बाबा अब लापता हैं। सूत्रों का कहना है कि वह मैनपुरी के एक आश्रम में छिपा हुआ है। पुलिस ने आज सुबह आरोपियों की तलाश में आश्रम, राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट पर छापा मारा। इस आश्रम में भोले बाबा के कई अनुयायी भी मौजूद हैं।

भोले बाबा, जिनका असली नाम नारायण हरि है, अन्य स्वयंभू संतों के विपरीत भगवा वस्त्र नहीं पहनते, बल्कि सफेद सूट और टाई पहनते हैं। उनका दूसरा पसंदीदा परिधान कुर्ता-पायजामा है। अपने उपदेशों के दौरान वह दावा करते हैं कि उन्हें अपने अनुयायियों से जो भी दान मिलता है, वह अपने लिए एक पैसा भी नहीं रखते हैं, बल्कि वह सब अपने भक्तों पर खर्च करते हैं।

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भगदड़ की ये है वजह 

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के पद पर तैनात हुए मनोज कुमार सिंह ने कहा कि मंगलवार को हाथरस में हुई भगदड़ का मुख्य कारण भीड़भाड़ थी। कथित तौर पर बाबा के अनुयायी उनके वाहन के पीछे भागने लगे।

एक बार जब वह उपदेश स्थल से चले जाते हैं, तो लोग यहां से मिट्टी उठाते हैं और उससे प्रार्थना करते हैं। मिट्टी उठाने के क्रम में लोग नीचे झुके और उनमें से कई गिर गये. इससे भगदड़ मच गई। कार्यक्रम के लिए प्रशासन को भेजे गए आवेदन में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 80 हजार बताई गई है। हालांकि वहां मौजूद लोगों की सही संख्या इससे कहीं ज़्यादा थी।

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