Have the Clouds of War Dissipated From Ukraine?
इंडिया न्यूज़,मास्को:
Have the Clouds of War Dissipated From Ukraine? जंग के मुहाने पर खड़े यूक्रेन (Ukraine) से जंग के बादल छटने की आहट सुनाई देने लगी है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि मास्को (Moscow) ने अपनी सेनाओं को पीछे हटने के लिए कह दिया है। इसके पीछे की वजह यह है कि जर्मनी(Germany) ने रूस से मसले को सुलझाने के लिए डॉयलॉग (dialogue) शुरू करने के लिए कहा है। मास्को से फरमान मिलने के बाद रूसी सेना(Russian army) ने यूक्रेन के कई इलाकों से पीछे हटना शुरू हो गई है। हालांकि हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं लेकिन एक बात साफ है कि अगर दोनों देशों के बीच जंग हुई तो इसका सीधा असर यूरोप(Europe) पर तो पड़ेगा ही बल्कि विश्वभर पर इसके दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे।
जर्मनी से बात के बाद बदला पुतिन ने फैसला
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(Russian President Vladimir Putin) यूक्रेन पर दबाव डालने के लिए पिछले करीब 5 महीने से यूके्रन की सीमाओं पर सैन्य शक्ति बढ़ा रहे थे। वहीं जर्मनी इंटेलिजेंस(Germany Intelligence) ने भी जता दिया था कि रूस 16 फरवरी को किसी भी समय अपने प्रतिद्धंधी पर हमला कर सकता है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन(US President Joe Biden) भी पुतिन से बात कर चुके हैें।
लेकिन वह नहीं माने, इस बार जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कॉल्ज(German Chancellor Olaf Scholz) ने बाल्टिक देशों (baltic countries)के नेताओं की मौजूदगी में मास्को से बात कर चेताया है कि रूस सीमा से अपनी फौज हटा लें। जंग के हालात बनने पर हम सभी पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इन सबके बाद भी अगर रूस नहीं मानता तो हमें संघ व नाटो (union and nato)अपनी एकजुटता दिखानी ही होगी।
जंग की स्थिति में क्या होगा यूरोप सहित दुनिया पर असर
यूक्रेन और रूस के बीच अगर तनाव कम नहीं होता और जंग की संभावना बनती है तो विश्वभर में महंगाई चरम पर पहुंच जाएगी। कई देशों की तो अर्थव्यवस्था ही धराशाई होने की संभावना विशेषज्ञों ने जता दी है। बता दें कि रूस ही प्राकृतिक गैस (natural gas)का सबसे बड़ा सप्लायर है। वहीं कच्चे तेल (Crude oil)के उत्पादन में भी इसका बहुत बड़ा हिस्सा है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि अगर दोनों देशों में जंग शुरू हो जाती है तो इसका सीधा असर रूस से होने वाली नेचुरल गैस और कच्चे तेल के आयात पर पड़ेगा। जिससे दुनिया में मंहगाई और बढ़ जाएगी। वहीं यूरोप में भी 40 प्रतिशत गैस की आपूर्ति रूस से ही होती है।
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