नई दिल्ली:- “हिजाब” ये शब्द चाहे तीन अक्षर का हो लेकिन इसपर होने वाले विवाद काफी बड़े हैं जो न सिर्फ भारत देश में चल रहे हैं बल्कि ईरान में हिजाब पर विवाद तेज़ है. भारत में सितम्बर में हिजाब मामले पर फैसला सुरक्षित रखा गया था और आज ये जब फैसला सामने आया तो उसमे भी संशय।अब इस हिजाब मामले की सुनवाई बड़ी बेंच तक पहुंचेगी. उच्चतम न्यायालय के जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धुलिया इस पूरे मामले की सुनवाई कर रहे थे. और इस विवाद पर इन दोनों जजों के मत अलग अलग हैं. जस्टिस गुप्ता ने ये बात भी साफ़ की कि हमारे अलग-अलग विचार हैं इसलिए ये मामला चीफ जस्टिस के पास भेजा जा रहा है ताकि वह बड़ी बेंच का गठन करें. हिजाब पर बैन सही है या गलत, इस पर फैसला अब CJI यूयू ललित करेंगे। हिजाब मामले पर पक्ष और विपक्ष जो आज इस फैसले के आने का इंतज़ार कर रहे थे उन्हें अभी और भी इंतज़ार करना होगा। चलिए अब आपको सिलसिलेवार तरीके से समझाते हैं कि हिजाब मामला चर्चे में क्यों आया.लेकिन उससे पहले ये जान लेते हैं कि फिलहाल हिजाब बैन रहेगा या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट में आज हिजाब पर फैसला सुनाया गया जिसमें ये बात साफ़ कर दी गयी है कि हिजाब विवाद अब CJI तक जाएगा। फैसले के बाद कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बी नागेश ने बताया कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला अभी अंतरिम तौर पर लागू रहेगा।और इसी वजह से स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर बैन बरकरार रहेगा।इस साल मार्च में कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब पर फैसला सुनाया था जिसमे ये बात कही गई थी कि क्लासरूम में हिजाब पहनने की अनुमति देने से “मुसलमान महिलाओं की मुक्ति में बाधा पैदा होगी” और ऐसा होता है तो ये संविधान की ‘सकारात्मक सेकुलरिज्म’ की भावना के भी विपरीत होगा.
एक तरफ जहाँ कर्नाटक के उडुपी की सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी की कुछ मुस्लिम लड़कियों ने जब कक्षा में हिजाब पहनकर घुसना चाहा तो मैनेजमेंट ने उन्हें घुसने से मना कर दिया जिसके बाद मुस्लिम लड़कियों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कक्षाओं में हिजाब पहन कर बैठने देने की अनुमति मांगी। लेकिन 15 मार्च को हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा कि हिजाब इस्लाम में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। इसीलिए इसकी अनुमति नहीं दे सकते।
वहीँ दूसरी तरफ ईरान में महिलाएं इस वजह से सड़कों पर उतर रही हैं क्योंकि वो चाहती हैं कि हिजाब महिलाओं को पहनना है या नहीं ये वो खुद तय करें। ईरान में महिलाएं जबरन हिजाब पहनने के क़ानून का विरोध कर रही हैं और अपने हिजाब को सार्वजनिक जगहों पर जला रहीं हैं. ईरानी क़ानून ये बात कहता है कि सार्वजनिक जगहों पर सभी महिलाओं का हिजाब पहनना अनिवार्य है. और महिलाएं इस तरह से हिजाब पहने कि उनके सिर के एक भी बाल न दिखाई दें. महसा अमीनी जिनकी ईरान इस वजह से पलिस ने हिरासत में लिए था कि हिजाब में उनके बाल दिख रहे थे. ने हिजाब तो पहना था लेकिन उनके कुछ बाल दिख रहे थे. इसलिए पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था.जिसके बाद पुलिस कर्मियों का ये कहना है कि जब महसा को हिरासत में लिया गया उसके बाद उनकी कुछ तबियत खराब हुई और फिर दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद मौत हो गई.
लेकिन महसा अमीनी के परिजनठीक उलट बात बता रहे हैं, उन्होंने कहा कि उनकी बेटी को पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया था जिसके कारण उनकी मौत हुई है. सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि महसा के आप कहते हैं कि जब उन्होंने अपनी बेटी को दिखाने की अनुमति मांगी तो उन्हें अंदर भी नहीं जाने दिया गया.अब दुनिया भर में इसे लेकर प्रतिक्रियाएं दी जा रही हैं, भारत भी इसमें अछूता नहीं है भारत में लोग तरह तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं कोई पक्ष में है तो कोई विपक्ष में.
चलिए अब हम फिर लौटते हैं आज आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तरफ, और बताते हैं कि जिन दोनों जजों ने इस पर अपने अलग अलग मत रखें हैं उनके क्या शब्द थे
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस धूलिया कहते हैं कि ये सवाल बच्चियों की शिक्षा दीक्षा से जुड़ा हुआ है, उन्हें क्या पहनना है क्या नहीं ये उनके खुद के चयन का मामला है, ऐसे में मैं इन याचिकाओं के पक्ष में मंजूरी देता हूँ. मुस्लिम बेटियां ये खुद तय करें कि उन्हें क्या पहनना है क्या नहीं तो ज़्यादा बेहतर होगा।
वहीं इस पूरे मामले पर जस्टिस गुप्ता कहते हैं कि कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से वो सहमत हैं,हाई कोर्ट ने कहा था कि हिजाब इस्लाम के अनुसार अनिवार्य नहीं है. 129 पन्ने के फ़ैसले में हाईकोर्ट ने क़ुरान की आयतों और कई इस्लामी ग्रंथों का हवाला भी दिया था. जस्टिस गुप्ता ने इस फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले से 11 सवाल भी पूछे। इन सवालों के बाद उन्होंने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि हमारे विचारों में भिन्नता है।
अब जब दोनों जजों के अलग अलग विचार थे तो मामला फिर फंसना ही था, जिसके बाद ये तय हुआ कि अब इस पूरे मामले पर अंतरिम निर्णय CJI यूयू ललित लेंगे।जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि यह मामला CJI को भेजा जा रहा है, ताकि वे उचित निर्देश दे सकें।तब तक के लिए हिजाब पर बैन बरकरार रहेगा।
हिजाब पर विवाद होना लाजिमी है क्यों देश में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक लोग रहते हैं ऐसे में सभी की अलग अलग राय है सभी की अलग अलग भावनाएं हैं. ये मामला शुरू तो कर्नाटक के उडुपी से हुआ था लेकिन देखते ही देखते ये जंगल में आग की तरह बाक़ी ज़िलों में भी फैल गया.शिवमोगा और बेलगावी ज़िलों में भी हिजाब पहनकर कॉलेज आने वाली मुसलमान छात्राओं पर बैन लगा दिया गया, देखते ही देखते पूरे देश भर के अलग अलग हिस्सों में विवाद छिड़ गया, सड़कों पर हिजाब पहने जहाँ समर्थन में मुस्लिम लड़कियां उतर रही थीं वहीँ विरोध प्रदर्शन करने वालों की भी कमी न थी. भगवा गमछा पहने छात्रों ने हिजाब पहने छात्राओं के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी शुरू कर दी.
हिजाब विवाद पर समर्थन करने वालों के जहाँ अलग अलग जगहों से नारेबाजी करते हुए वीडियो वायरल हुए वहीं विरोध में भी लोगों ने जमकर नारेबाजी की. हिजाब विवाद के दौरान ही भोपाल में बुलेट पर सवाल हिजाब पहनी लड़किया वीआईपी रोड पर गश्त करती नज़र आईं.
ये वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ हांकलाकि इस पर लोगों ने अपने अलग अलग तर्क दिए, क्योंकि बुलेट की नंबर प्लेट भाजपा के झंडे के रंग में रंगी दिखाई दे रही थी इस पर कांग्रेस ने सवाल भी उठाया था और कहा था कि यह भाजपा प्रायोजित है।इसी तरह अलग अलग राज्यों से इस मामले पर वीडियोस सामने आये.
जस्टिस गुप्ता 16 अक्तूबर को रिटायर होने जा रहे हैं, उन्हीं की अध्यक्षता में मामला सुनाया गया है। आगे ये मामला अब CJI तक जायेगा ऐसे में अब CJI यह तय करेंगे कि इस मामले पर सुनवाई के लिए बड़ी बेंच गठित की जाए या फिर कोई और बेंच।इस विवाद पर फैसला आने में अभी और कितना दोनों पक्षों को इंतज़ार करना होगा इस बारे में कुछ भी फिलहाल नहीं कहा जा सकता है.
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