India News (इंडिया न्यूज़), (Report- Shweta Negi) Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में बाढ़ बारिश का कहर लगातार जारी है. बाढ़-बारिश से पूरे देश में त्राहिमाम मचा हुआ है.एक तरफ तो हर नदी प्रदेश में उफान पर है. जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. प्रदेशवासियों का जनजीवन अस्त-व्यस्त चल रहा है.एक तस्वीर हिमाचल में ये भी देखने को सामने आ रही है कि पूरे प्रदेश में घर धराशाही हो रहे हैं. पूरा जीवन जिस आशियाने को बनाने में लोग लगा देते हैं. वो मकान मिनटों में धराशाही हो रहा है.
हिमाचल प्रदेश के रामपुर उपमंडल के नरैण पंचायत और आस-पास के इलाको में भारी बरसात का कहर बढ़ने लगा है।अब लोगों के खेत खलियान समेत घर ढहने लग गए हैं. शिकायत ये है कि इस विपदा की घड़ी में राहत तो दूर उन की सुध लेने तक वाला कोई नहीं है. मौसम की बेरुखी के आगे लोग भय के साए में जीवन जीने के लिए मजबूर है. जनता के फलदार पौधे जमीदोज़ हो गए हैं.
गौरतलब है कि नरैण पंचायत और आसपास भी लगातार हो रहे भूस्खलन से कई घर उजड़ गए है. लोगों की माने तो मृदा अपरदन का एक बड़ा कारण खराब ड्रेनेज सिस्टम है. जिस कारण रास्तों में पानी इकट्ठा हो कर घरों और बाग बागीचों में लगातार सतेजी से बह रहा है. जिससे मृदा अपरदन की स्थिती उत्पन्न हो रही है. प्रभावित लोगों का कहना है कि नुक्सान के बाद राहत, बचाव कार्य करना तो दूर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने समस्या की सुध तक नहीं ली जिससे लोग हताश है. जनता का आरोप है कि अपर शिमला के साथ सरकार दोहरा व्यवहार कर रही है. सरकार नरैण पंचायत की सुध तक नहीं ले रही. नरैण निवासी गुड्डू राम से जब हमारी टीम से बात की तो उन्होंने हमें बताया कि उनका मकान अधिक बरसात के कारण भूक्षरण होने से गिरने लग गया. उनका कहना है कि इस नुकसान का मुख्य कारण सम्पर्क मार्गो पर ड्रेनेज ना होने से पानी की निकासी सही तरीके से नहीं हो पा रही है. सड़क का पानी सीधे लोगों के घरों और बागीचो में जा रहा है. बगीचे ढह रहे हैं. वे सरकार से मांग करते हैं कि सभी प्रभावितों को उचित राहत राशि प्रदान की जाए.
नरैण पंचायत में 15 मकानों को कराया गया खाली पंचायत प्रधान अविनाश कायस्थ से जब हमारी टीम ने बात की तो कायस्थ ने बताया कि पूरे पंचायत में करीब 15 मकान खतरे में आ चुके हैं. मकान में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान
पर पंचायत ने शिफ्ट कर दिया है. उन्होंने कहा प्रशासन और सरकार जिस तरीके से प्रदेश के अन्य हिस्सों में राहत और बचाव कार्य में तेजी से काम कर रही है , उसी हिसाब से उनके क्षेत्र में भी होना चाहिए. क्योंकि नुकसान यहां भी प्रदेश के अन्य हिस्सों की तरह ही हुआ है. लेकिन सरकार कुल्लू मनाली में लोगों को राहत राशि दे रही है. पूरे देश से जो लोग हिमाचल में फंसे हुए थे उनका रेस्क्यू किया गया लेकिन सरकार अपने ही प्रदेश की समस्याओं से वाकिफ नहीं है. करशोली गांव के मुनीश ने बताया कि 1 हफ्ते से उनसे घर में दरारें आ गई है. वो अपना आशियाना छोड़ कर किराए के माकन में रह रहे हैं प्रशासन की ओर से अभी तक कोई सुध लेने नहीं आया. मुनीश ने कहा कि घर में विधवा मां है
अब गुजारा कैसे होगा.
आखिर पूरे हिमाचल में मृदा अपरदन क्यों हो रहा है. इसका मुख्य कारण है वृक्षों की अविवेकपूर्ण कटाई, वनों में आग लगना, ढलान की दिशा में कृषि कार्य करना, भूमि को बंजर और खाली छोड़कर जलवायु अपरदन करना भी इसका एक मुख्य कारण है. इसलिए मिट्टी को बचाना बेहद जरूरी हो गया है. क्योंकि वो दिन दूर नहीं होगा देश में मिट्टी नहीं रहेगी और खाने को नहीं मिलेगा. हम लोग नागरिकों के मुद्दों को पर्यावरण के मुद्दे से जोड़ देते हैं जैसे कि प्लास्टिक का कचरा जो सड़कों पर पड़ा है वो नागरिक मुद्दा है जिसे सख्ती करके रोका जा सकता है लेकिन असली जो मुद्दा है वो है मिट्टी को बचाना. UN ने कहा है कि एक तिहाई मिट्टी इस धरती की मिट्टी का स्तर गिर चुका है अब कुछ 45 से 60 साल की मिट्टी और बची है.
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