India News (इंडिया न्यूज), Hindenburg Report: हिंडनबर्ग ने पिछली बार अडानी ग्रुप को निशाना बनाते हुए एक रिपोर्ट जारी किया था। जिसके बाद अडानी ग्रुप को बहुत बड़ा झटका लगा था। लेकिन इस बार हिंडनबर्ग ने अपने रिपोर्ट में सीधे तौर पर बाजार नियामक सेबी पर हमला बोला है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच भी अडानी ग्रुप से मिली हुई हैं। इस वजह से ही उन्होंने 18 महीने में भी अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर इस खुलासे की घोषणा की। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ताजा रिपोर्ट में उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया है।

सेबी चेयरपर्सन और उनके पति ने क्या कहा?

सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच द्वारा एक प्रेस बयान में कहा गया है कि 10 अगस्त, 2024 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में हमारे खिलाफ लगाए गए आरोपों के संदर्भ में, हम यह बताना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों और आक्षेपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं। इनमें कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा जीवन और वित्त एक खुली किताब है। सभी आवश्यक खुलासे पहले ही वर्षों से सेबी को प्रस्तुत किए जा चुके हैं। हमें किसी भी और सभी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है। जिसमें वे भी शामिल हैं जो उस अवधि से संबंधित हैं जब हम पूरी तरह से निजी नागरिक थे। किसी भी और हर अधिकारी को जो उन्हें मांग सकता है।

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माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने कहा कि इसके अलावा, पूर्ण पारदर्शिता के हित में हम नियत समय में एक विस्तृत बयान जारी करेंगे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसके खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उसने उसी के जवाब में चरित्र हनन का प्रयास करने का विकल्प चुना है।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने रिपोर्ट में क्या कहा?

बता दें कि, व्हिसिलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए, हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि माधबी बुच और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट ऑफशोर फंडों में अघोषित निवेश किया था। वही संस्थाएँ जिनका कथित तौर पर गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी द्वारा वित्तीय बाजारों में हेरफेर करने के लिए उपयोग किया जाता है। ये निवेश कथित तौर पर 2015 से हैं, जो 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में माधबी बुच की नियुक्ति और मार्च 2022 में सेबी अध्यक्ष के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले की हैं। साथ ही रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सेबी में बुच की नियुक्ति से कुछ हफ़्ते पहले, उनके पति ने अपने निवेश को अपने एकमात्र नियंत्रण में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया। संभवतः उनकी नई नियामक भूमिका से संबंधित किसी भी जांच से बचने के लिए।

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